Bihar First Elephant Corridor : बिहार का पहला हाथी गलियारा पहचाना गया, जमुई में हाथियों की मौजूदगी पर लगी मुहर
Bihar First Elephant Corridor बिहार के जमुई में वन्य प्राणी संरक्षण की दिशा में वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से जारी पहल से एक प्रदेश को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। वन्यजीवन से जुड़े एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हाथियों के झुंड का आवागमन मुख्य रूप से गरही-चरकापत्थर-बटिया-मधुवा उप-बीट के बीच है। इस गलियारे की सांकेतिक लंबाई 46 किमी है।
By Sanjay Kumar SinghEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sun, 13 Aug 2023 01:31 PM (IST)
Bihar First Elephant Corridor : संवाद सहयोगी जमुई। जमुई वन प्रमंडल क्षेत्र की पहचान बिहार के पहले हाथी गलियारे के रूप में की गई है। ऐसा मई माह में विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) सहित अन्य सर्वें रिपोर्ट के आधार पर किया गया है।
इसके साथ ही जमुई के जंगलों में हाथियों की मौजूदगी पर भी मुहर लग गई। यूं तो हाथी गलियारे की संख्या देशभर में 150 होगी, लेकिन जमुई का यह हाथी गलियारा बिहार के लिए पहला होगा।
इसकी विधिवत घोषणा शनिवार को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भुवनेश्वर में की है।
बिहार के लिए बड़ी उपलब्धि
जमुई में वन्य प्राणी संरक्षण की दिशा में वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से जारी पहल के लिए यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हाथियों के झुंड का आवागमन मुख्य रूप से गरही-चरकापत्थर-बटिया-मधुवा उप-बीट के बीच है। गलियारे की सांकेतिक लंबाई 46 किमी है।
यहां हाथियों की आवाजाही की स्थिति कभी-कभी होती है और इस गलियारे का उपयोग करने वाले हाथियों की कुल संख्या नौ है। हालांकि रिपोर्ट में गलियारे के साथ प्रवास प्रबंधन की आवश्यकता जताई गई है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।हाथियों के संरक्षण की योजना
हाथियों के संरक्षण व संवर्धन को लेकर 1992 में केंद्र सरकार की ओर से एक विस्तृत परियोजना तैयार की गई थी। यह योजना राज्यों को हाथियों के प्रबंधन और सुरक्षा में मदद और सहायता करती है, ताकि जंगल में हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।बिहार के पहले हाथी गलियारे की पहचान पर जमुई के वन प्रमंडल पदाधिकारी पियूष बरनवाल ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया 2021 से जारी थी।इस साल मई माह में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अनिल सिंह के नेतृत्व में हुए सर्वे में भी गरही-चरकापत्थर-बटिया-मधुवा के रास्ते हाथियों के झुंड के आवागमन की पुष्टि हुई थी। हाथी गलियारा घोषित करने में उक्त रिपोर्ट को आधार माना गया है।यह बहुत संतुष्टि की बात है कि इस खंड को बिहार में पहले हाथी गलियारे के रूप में पहचाना गया है। हम जल्द ही हाथियों के संरक्षण और गलियारे में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार करेंगे। - पीके गुप्ता, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन