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निकाय गठन के पांच दशक बाद भी नहीं हो सकी जल निकासी की समुचित व्यवस्था

शहर में दिन प्रतिदिन घरों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। घरों की संख्या बढ़ने के कारण स्वाभाविक रूप से पानी की खपत एवं बहाव भी बढ़ा।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 08 Jun 2022 06:22 PM (IST)
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निकाय गठन के पांच दशक बाद भी नहीं हो सकी जल निकासी की समुचित व्यवस्था

संवाद सहयोगी जमुई : शहर में दिन प्रतिदिन घरों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। घरों की संख्या बढ़ने के कारण स्वाभाविक रूप से पानी की खपत एवं बहाव भी बढ़ा। कितु पानी निकासी की समूचित व्यवस्था नहीं हो सकी। लिहाजा दिन प्रतिदिन जल जमाव की समस्या बढ़ने के साथ ही विकराल रूप लेती जा रही है। बरसात के दिनों में शहर की आधा दर्जन सड़क और मोहल्ला तालाब में तब्दील हो जाता है। मुहल्लों में छोटे-छोटे नाले से घरों का पानी निकलता है, लेकिन यह शहर से बाहर नहीं निकल पाता और खाली जगह एवं नीचली जमीन में जल जमाव का रूप ले लेता है।

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बड़े नाले का अधूरा निर्माण निकासी पर लगा रहा ब्रेक

शहर के जल निकासी के लिए एक तो बहुत कम संख्या में मुख्य नाले का निर्माण कराया गया है। इसमें भी उस नाले का आधा अधूरा निर्माण होने के कारण जल निकासी की समस्या जस की तस बनी हुई है। इसके कारण शहरवासियों के लिए जल जमाव की समस्या नासूर बन चुका है। -----------

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गर्मी में भी कई सड़कों पर बहता है नाले का गंदा पानी

जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण गर्मी के दिनों में भी शहर के बिहारी, महिसौडी, कल्याणपुर, सिरचंद नवादा मोहल्ले की सड़कों पर नाले का गंदा पानी बहता है। शहर के मुख्य बाजार महाराजगंज से लेकर श्रीकृष्ण सिंह स्टेडियम होते हुए सतगामा होकर नदी तक जाने वाली मुख्य नाले का निर्माण दो दशक बाद भी अधूरा पड़ा है। यही हाल कचहरी चौक से होकर घोड़ा अस्पताल होते हुए पालिटेक्निक कालेज नाले की भी है।

छोटे-छोटे नाले के निर्माण पर जोर

स्थानीय वार्ड पार्षद की सहमति मोहल्ले के छोटे-छोटे नाली निर्माण कार्य पर अधिक होती है। इसका कारण यह है कि छोटे नाले का निर्माण कार्य किसी ना किसी तरीके से स्थानीय वार्ड पार्षद के हाथों में होता है। वहीं बड़े नाले का निर्माण निविदा के माध्यम से होगी जो स्थानीय वार्ड पार्षद नहीं चाहते हैं।

आहर-पेईन का अतिक्रमण भी जल जमाव को दे रहा बढ़ावा

आज शहर के जिस एक दर्जन मोहल्ले में जल जमाव की समस्या देखने को मिल रही है। एक दशक पूर्व इन जगहों पर जल जमाव नहीं होता था। कारण यह है कि नगर क्षेत्र में बड़े-छोटे लगभग दो दर्जन से अधिक आहर व पेईन थे, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण लगभग सभी पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया। कहीं घर, कहीं चहारदीवारी तो कहीं मिट्टी भराई कर इसके निशान मिटा दिए गए। पहले के समय घर से निकले गंदा व वर्षा का पानी इन्हीं आहर व पेईन से बाहर निकल जाता था। इससे खेतों की पटवन भी होती थी। बरसात में यहां दिखता है तालाब का नजारा

* महाराजगंज मुख्य सड़क।

* महिसौडी पंचमंदिर रोड।

* महिसौडी महाराजगंज रोड।

* न्यू टोला बिहारी मोहल्ला।

* वीर कुंवर सिंह कालोनी।

* वीआईपी कालोनी।

* सरकारी बस डिपो।

* प्रखंड कार्यालय जमुई परिसर।

* अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय।

कहते हैं शहर वासी समय पर नाले की साफ-सफाई नहीं होने के कारण मोहल्ले की सड़कों पर जल जमाव होता है। सफाई कर्मी आम नागरिकों की बात को अनदेखा कर देते हैं।

अशोक केसरी

वार्ड संख्या 25, भछियार

---- आधा-अधूरा निर्माण होने से जल जमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके कारण सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

मनोज कुमार

वार्ड संख्या 22, शिवनडीह ---------

जल निकासी के लिए स्थानीय वार्ड पार्षद को प्लानिग करना चाहिए। मुख्य नाला निर्माण के बाद ही छोटे-छोटे नाले का निर्माण करना चाहिए, ताकि समुचित ढंग से पानी का निकास हो सके। कूड़ा-कचरा एवं प्लास्टिक को नाले में फेंकने से परहेज करना चाहिए।

प्रभाष कुमार सिंह, नीमारंग ---------

तेज बारिश होते ही मुख्य बाजार महाराजगंज की सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है। इसके कारण स्थानीय दुकानदारों को काफी नुकसान पहुंचता है। अधूरा नाला निर्माण को अगर बरसात से पूर्व पूर्ण कर नाले की सफाई करा दी जाए तो काफी हद तक समस्या कम हो जाएगी।

नितेश केसरी, सचिव

चेंबर आफ कामर्स

----------- बरसात होते ही महिसौडी चौक से महाराजगंज जाने वाली सड़क पर एक से दो फीट पानी जमा हो जाता है। इसके कारण स्थानीय दुकानदार एवं मोहल्ले वासियों सहित बाजार करने आए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

मनोज कुमार, महिसौड़ी