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चुनावी वादों में ही बनता है लिफ्टवा घाट पुल

जमुई। एनएच 333 के किनारे राजपुर व चाननटांड़ से दक्षिण दिशा की और बढिए तो यहीं से लिफ्ट

By JagranEdited By: Updated: Fri, 28 Aug 2020 06:29 PM (IST)
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चुनावी वादों में ही बनता है लिफ्टवा घाट पुल

जमुई। एनएच 333 के किनारे राजपुर व चाननटांड़ से दक्षिण दिशा की और बढिए तो यहीं से लिफ्टवापुल की राजनीति शुरू होती है। बीते दो दशकों से यह नेताओं के लिए चुनावी वैतरणी बना हुआ है। जनता को ठगने के लिए किसी ने यहां फर्जी शिलापट लगवाया तो किसी ने पुल निर्माण की स्वीकृति मिलने का झांसा देकर शिलान्यास तक कर डाला व चुनावी वैतरणी पार कर ली।

आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी प्रखंड की 25 हजार की आबादी मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पाई है। स्थानीय नेताओं द्वारा क्षेत्र के विकास को ले जो बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं। लिफ्टवा घाट उन दावों की हकीकत बयां कर रहा है। एनएच 333 के किनारे बरनार नदी पर प्रस्तावित लिफ्टवा पुल निर्माण अभी तक अधर में ही है। हालांकि लोकसभा व विधानसभा चुनावों के दौरान यहां की जनता को भरोसा दिलाया जाता रहा है कि जल्द ही पुल का निर्माण शुरू करवा दिया जाएगा। हद तो तब हो गई जब एक पार्टी के प्रत्याशी ने बीते विधानसभा चुनाव के दौरान वहां शिलापट लगवाकर जनता में उम्मीद जगा दी थी कि अब पुल निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है लेकिन हकीकत यह है उक्त घाट पर प्रस्तावित पुल निर्माण की फाइल अभी तक तैयार ही नहीं की जा सकी है। पांच वर्षों से विधायक सावित्री देवी व एक पंचवर्षीय पूरा कर दूसरे कार्यकाल का एक साल बीता चुके सांसद चिराग पासवान भी इसपर जनता की उम्मीद पूरा नहीं कर पाए।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

झायत के ब्रह्मदेव रजक का कहना है कि बरनार नदी पर पुल निर्माण हो जाने से तकरीबन 25 हजार की आबादी मुख्य सड़क से जुड़ जाएगी।

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बरियारपुर के मुकेश कुमार यादव का तर्क है सोनो प्रखंड के दक्षिणी क्षेत्र का तब तक समुचित विकास संभव नहीं है जब तक लिफ्टवा पुल का निर्माण नहीं हो जाता।

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चंद्रा के ज्योतिष तुरी ने बताया कि बरसात के दिनों में क्षेत्र के लोगों को नदी पार कर सोनो जाने में भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान हर साल दो-तीन लोग नदी पार करते समय डूब कर मर जाया करते हैं।

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सुनील कुमार यादव बताते हैं कि बरसात में इस इलाके के ग्रामीणों को तब और भी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं जब किसी मरीज को डॉक्टर के यहां ले जाना पड़ता है।

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बुझायत निवासी समाजसेवी देवसागर बौद्ध बताते हैं कि लिफ्टवा घाट पर पुल निर्माण नहीं होने से क्षेत्र के लोग अभी भी पाषाण युग में जीने को विवश हैं। यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के लोग अपना गुस्सा नेताओं पर उतारने को तैयार बैठे हैं।

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नैयाडीह पंचायत के पूर्व मुखिया सह पैक्स अध्यक्ष सह मुखिया प्रतिनिधि हरिशंकर यादव का मानना है कि उक्त पुल बन जाने से क्षेत्र के तकरीबन चार दर्जन गांव सीधे मुख्य सड़क से जुड़ जायेंगे। तब क्षेत्र में विकास की झलक दिखने लगेगी। नेताओं को इस और अविलंब ध्यान देना चाहिए। जनता को अब वादों पर भरोसा नहीं रहा उसे विकास चाहिए।

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पुल बन जाने से किन-किन गांवों को होगा फायदा

प्रखंड के लालपुर, घोघा, बुझायत, किशनमनटाड, नैयाडीह, हथियापत्थर, विजैया, करमाटांड़, बोथा, चरैया, पनारी, बिनझी, बरियारपुर, अकलूडीह, देवीडीह, नीमाटॉड आदि ऐसे बड़े-बड़े गांव हैं जो सीधे मुख्य सड़क से जुड़ पाएंगे।

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लिफ्टवा घाट पर पुल निर्माण के लिए विधानसभा में आवाज उठाई थी। साथ ही पथ निर्माण मंत्री को भी पत्र लिखकर इस अतिउपयोगी पुल के निर्माण शुरू कराने का आग्रह किया गया था। लेकिन आज तक सरकार ने इस उपयोगी योजना पर ध्यान नहीं दिया। लिफ्टवा घाट पर पुल का निर्माण कराना मेरी पहली प्राथमिकता है।

- सावित्री देवी, विधायक, चकाई।

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अपने विधायकत्व काल में उन्होंने लिफ्टवा घाट पुल से संबंधित संचिका काफी आगे बढ़ाई थी। संबंधित विभाग द्वारा उसे स्वीकृति मिलना शेष था। लेकिन वर्तमान विधायक ने शेष कार्यों पर गंभीरता नहीं दिखाई लिहाजा पुल निर्माण से जुड़ी संचिका आगे नहीं बढ़ पाई। इनकी उदासीनता से यहां की जनता पिछले पांच वर्षों से परेशानियों का सामना कर रही है। चुनाव जीतते ही लिफ्टवा पुल उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।

- सुमित कुमार सिंह, पूर्व विधायक, चकाई।

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