बिहार में उन्मुक्त गगन के मेहमानों का आगमन, नागी नकटी पक्षी अभयारण्य को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय दर्जा
Nagi Bird Sanctuary- नागी पक्षी अभयारण्य को जल्द मिलेगा अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिलेगा। ऐसा इसलिए भी संभव हुआ है क्योंकि यहां कई देशों के पक्षी हर साल बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। इस साल भी यहां रूस जापान जैसे देशों से पक्षी पहुंचे हैं।
By Sanjay Kumar SinghEdited By: Shivam BajpaiUpdated: Wed, 30 Nov 2022 03:40 PM (IST)
बिभूति भूषण, जमुई: Nagi Bird Sanctuary-अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो नए साल का आगमन होते- होते जिला के झाझा प्रखंड स्थित नागी राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिल जाएगा। पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा बिहार सरकार के माध्यम से भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को इस आशय का प्रस्ताव स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है। जिला वन पदाधिकारी ने बताया कि जल्द ही इस प्रस्ताव पर भारत सरकार और अलग-अलग देशों के प्रतिनिधियों द्वारा संयुक्त रूप से एक संधि पत्र पर हस्ताक्षर किया जाएगा।
यह दर्जा मिलने के बाद यहां कई प्रकार की सुविधाओं का विकास होगा। इसके पश्चात अलग-अलग देशों द्वारा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के माध्यम से जिला को पक्षियों की सुरक्षा, विकास, संरक्षण और देखभाल के लिए कई प्रकार का फंड उपलब्ध कराया जाएगा। बहरहाल इसमें मंगोलिया, आस्ट्रेलिया, चीन,यूक्रेन,रूस ,साइबेरिया समेत विभिन्न देशों से आने वाले ह्वाइट कैप रेडस्टार्ट, यूरेशियन थिकनी, जाडन लीफबर्ड, ब्लैक हेडेड मुनिया,ब्लैक हेडेड गुज, कापन स्टोन चैट, गूसेंडर, सेंड लार्क, पेट्रोनिया, चेस्टनट सोल्डर सहित 230 प्रकार की पक्षियों के कारण पूरे देश में ख्याति प्राप्त किया है।
पक्षी विशेषज्ञों की टीम कर चुकी है दौरा
भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के पक्षी विशेषज्ञ और बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की टीम इस अभयारण्य का दौरा कर चुकी है। जिला वन पदाधिकारी ने बताया कि पक्षी विशेषज्ञों और नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार यहां का वातावरण प्रवासी पक्षियों के लिए बहुत ही अनुकूल है। प्रवासी पक्षियों और मनुष्यों के बीच बहुत ही बेहतर समन्वय है। जिसके कारण पक्षी यहां पर सुरक्षित तरीके से अपना वंशवृद्धि करते हैं। यहां ब्लैक हेडेड गूज अपनी पूरी आबादी का अकेले तीन फीसद पाया जाता है। प्रत्येक वर्ष भारी तादाद में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। इस जगह पर व्याप्त यह सारी खूबियां पूरे देश में स्थित पक्षी अभ्यारण से अलग है, जो अंतरराष्ट्रीय दर्जा के लिए हर तरह से सटीक है।फाइटो प्लानटोन और जुप्लानटोन प्रवासी पक्षियों की विशेष पसंद
इस अभयारण्य में स्थित जलाशय में उगने वाला जलीय वनस्पति फाइटो प्लानटोन और जुप्लानटोन यहां आने वाले विदेशी पक्षियों का पसंदीदा भोज्य पदार्थ है। एशियन वाटरबर्ड सेन्सस और बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार यहां फाइटो कास्मेरियम, डिस्पर्सम, पोरटाइनम, सिमरप्लेक्स, नेविकुला पुपुला समेत फाइटो प्लानटोन की 46 किस्म पाई जाती है। वही साइक्लोरस, वीसीनस, मैगनस, डाइपोमस, लैपटोपस, फोरबेसी, डिफनिया मैग्ना, लिकेन इलाजमा समेत जुप्लानटोन की 13 किस्म पाई जाती है। फाइटो प्लानटोन और जुप्लानटोन धरती पर सबसे पहले पाया जाने वाला जलीय वनस्पति है। यह आमतौर पर प्राकृतिक रूप से विभिन्न प्रकार के खनिज से युक्त अच्छी गुणवत्ता वाले पानी के संग्रहण वाले जलाशय में पनपता है। फाइटो प्लानटोन, जुप्लानटोन और मछली तीनों खाद्य चक्र के तहत एक दूसरे से जुड़ी हुई है।
'नागी अभयारण्य को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिलने की सारी कवायद अंतिम चरण में है। इसके पश्चात अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मार्गदर्शन में यहां कई प्रकार की सुविधाओं का आधुनिक तरीके से विकास किया जाएगा। जो पर्यटन को बढ़ावा देने और देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने की दृष्टि से बेहतर होगा।'-पीयूष कुमार बरनवाल, जिला वन पदाधिकारी, जमुई।
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