Bihar News: कभी गोली-बम की आवाज से थर्राता था बिहार का यह नक्सल प्रभावित इलाका, इस बार धूमधाम से मनेगा लोकतंत्र का पर्व
कभी नक्सलियों के गढ़ रहे जमुई के चरकापत्थर थाना क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांव में अब लोकतंत्र की बहार नजर आ रही है। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले तक यहां की हालत बेहद खराब थी। इन गांवों में लाल आतंक की धमक दिखाई देती थी। इस इलाके में बम और गोलियों की आवाज सुनाई देना आम बात थी लेकिन अब समय बदल चुका है।
संवाद सूत्र, सोनो(जमुई)। कभी नक्सलियों के गढ़ रहे जमुई के चरकापत्थर थाना क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांव धमनी, बंदरमारा, रजौन, बिशनपुर, दुधनिया, भलसुमिया, चरैया, छाताकरम, सरकंडा, भगवाना, लालीलेवार आदि में अब लोकतंत्र की बहार नजर आ रही है।
2015 के विधानसभा चुनाव के पहले तक यहां की स्थिति बेहद खराब थी। इन गांवों में लाल आतंक की धमक दिखाई देती थी। ग्रामीणों में भय ऐसा कि घरों में ही दुबके रहते थे।
मतदान केंद्र तक जाना और मताधिकार का प्रयोग करना सपने जैसा था, लेकिन अब परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी है। यहां के मतदाताओं में मतदान को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। नक्सलियों को लेकर उनके मन में बिठा डर धीरे-धीरे सिमट रहा है।
हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों के प्रभावी अभियानों के बाद यह इलाका नक्सलियों से मुक्त हो चुका है। कई बड़े नक्सली मार गिराए गए और बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है तो कईयों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
दिन में भी जाने में डरते थे प्रत्याशी
इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करना किसी चुनौती से कम नहीं था। रात की बात कौन करे, दिन में भी इन इलाके में डरे-सहमे लोगों की आवाजाही होती थी। पहाड़ी और नक्सली क्षेत्र में प्रत्याशी डर के मारे चुनाव प्रचार को नहीं पहुंचते थे। नक्सली चुनाव बहिष्कार का नारा देते थे।इतना ही नहीं, चुनाव के लिए इन इलाकों में जिन मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगती थी, उनकी सांसें अटक जाती थी। चुनाव कराकर सकुशल वापसी तक उनके साथ ही उनका परिवार सहमा रहता था।
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