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Bihar: पश्चिमी चंपारण के इन अस्पतालों में निकाल लिए जाते हैं मरीजों के अंग, विभाग चला रहा छापेमारी अभियान

पश्चिमी चंपारण में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल है। जिले में सड़कछाप फर्जी अस्पतालों की भरमार है। इन अस्पतालों को लेकर स्वास्थ्य विभाग अब सख्त हो गया है। जिले में बीते एक माह में अभियान चलाकर छापेमारी की जा रही है। रामनगर में नौ बगहा में चार और बेतिया में दो नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

By Edited By: Mohit TripathiUpdated: Sun, 08 Oct 2023 07:14 PM (IST)
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स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों के खिलाफ चला रहा छापेमारी अभियान। (सांकेतिक फोटो)
सुनील आनंद, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। पश्चिमी चंपारण की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल है। जिले में सड़कछाप फर्जी अस्पतालों की भरमार है। इन अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों के ऑपरेशन में कौन-सा अंग काटकर हटा दिया जाए, कोई भरोसा नहीं है। इन अस्पतालों को लेकर स्वास्थ्य विभाग अब सख्त हो गया है।

एक माह में 15 फर्जी नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई

पश्चिमी चंपारण में बीते एक महीने में अभियान चलाकर छापेमारी की जा रही है। जिले के रामनगर प्रखंड में नौ, बगहा में चार और बेतिया में दो नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

करीब सभी जगह फर्जी तरीके से मरीजों का उपचार किया जा रहा था। अस्पताल के डिस्प्ले बोर्ड पर नाम बड़े-बड़े चिकित्सकों के अंकित थे, जबकि इलाज फर्जी लोग कर रहे थे। इन अस्पतालों में मेजर ऑपरेशन भी किए जा रहे थे।

जिले में अधिकतर नर्सिंग होम एवं ट्रामा सेंटर गैर निबंधित हैं। जो हैं, वहां सूची में शामिल चिकित्सक कार्य दिवस पर विजिट ही नहीं करते हैं। अस्पताल प्रबंधन भी अपने बचाव में कह देता है, चिकित्सक ऑन कॉल रहते हैं। जरूरत पड़ने पर बुलाया जाता है।

बोर्ड पर विशेषज्ञ डॉक्टर का नाम पढ़ झांसे में आ जाते हैं लोग

नर्सिंग होम के जाल में फंस चुके बेतिया के रामेश्वर प्रसाद का कहना है कि बोर्ड पर विशेषज्ञ डॉक्टर का नाम देखकर झांसे में आ गए थे। जरा सी बीमारी को फर्जी अस्पताल ने गंभीर बना दिया था।

उनका कहना है कि अस्पताल के सामने बोर्ड पर नाम विशेषज्ञ डॉक्टरों का होता है। भारी-भरकम डिग्री और अनुभव लिख दी जाती है, लेकिन वहां काम फर्जी चिकित्सक ही कर रहे हैं।

जिले में 48 नर्सिंग होम एवं अस्पताल ही निबंधित

विभागीय रिकार्ड के अनुसार, जिले में 48 नर्सिंग होम एवं अस्पताल ही निबंधित हैं। यहां चिकित्सक, उनकी डिग्री, उपस्थिति, साफ-सफाई, पारा मेडिकल स्टाफ, पर्यावरण संरक्षण और व्यवस्था दुरुस्त है।

इनके अलावा, गली-मोहल्लों में फर्जी तरीके से सैकड़ों अस्पताल चलाए जा रहे हैं। कंपाउंडर के रूप में काम कर चुके भी अपने को चिकित्सक लिखकर स्वतंत्र अस्पताल चलाते हैं।

11 महिलाओं के निकाल लिए थे गर्भाशय

बगहा के रामनगर स्थित दुर्गानगर में बीते साल सात नवंबर को ओम साईं क्लीनिक में 11 महिलाओं के गर्भाशय निकालने का मामला आया था। क्लीनिक को सील कर दिया गया था।

ऑपरेशन कर जान ले ली थी अधेड़ की जान

गौनाहा रेफरल अस्पताल के सामने करीब 20 मीटर की दूरी पर मिश्रा ड्रग एजेंसी के संचालक ने दो सितंबर को मंगुराहां निवासी बाबूलाल महतो (57) की आंत की ऑपरेशन कर जान ले ली थी।

23 अगस्त को पेट में दर्द की शिकायत होने पर फर्जी चिकित्सक ने सर्जरी कर दी थी। एक सप्ताह अस्पताल में रखा। हालत बिगड़ने लगी तो भगा दिया। स्वजन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया ले गए, वहां बाबूलाल की मौत हो गई थी।

सिविल सर्जन के आदेश पर छापेमारी की गई तो चिकित्सक और कर्मी फरार हो गए थे। मृतक के पुत्र भोला महतो ने गौनाहा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। फिलहाल अस्पताल सील है।

लापरवाही किस कदर हावी है, इस बात से पता चलता है कि दवा एजेंसी में भी अस्पताल संचालित कर मरीजों का गंभीर ऑपरेशन किया जा रहा था। विभाग को इसकी जानकारी तब हुई, जब वहां मरीज की मौत हो गई।

क्या बोले सिविल सर्जन

विभाग के निर्देश पर लगातार अभियान चल रहा है। छापेमारी की जा रही है। मानक की अनदेखी करनेवाले नर्सिंग होम एवं अस्पताल के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।

डॉ. श्रीकांत दुबे, सिविल सर्जन, पश्चिम चंपारण

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