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महिलाओं ने गाय की पूजा कर गौ सेवा का लिया संकल्प

जमुई। नगर के पुरानी बाजार स्थित श्री राम कृष्ण गोशाला में रविवार को सुबह से महिलाओं ने गौ वंश की पूजा-अर्चना कर गौ माता को गुड़ हरा चारा खिलाकर गौ सेवा का संकल्प लिया।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 22 Nov 2020 05:57 PM (IST)
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महिलाओं ने गाय की पूजा कर गौ सेवा का लिया संकल्प

जमुई। नगर के पुरानी बाजार स्थित श्री राम कृष्ण गोशाला में रविवार को सुबह से महिलाओं ने गौ वंश की पूजा-अर्चना कर गौ माता को गुड़, हरा चारा खिलाकर गौ सेवा का संकल्प लिया। शहर के श्रीराम कृष्ण गोशाला में राधा कृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना कर सुख शांति की कामना की।

गोशाला के सचिव राजीव रंजन बालोदिया ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार रविवार को गोशाला में भगवान कृष्ण एवं राधा की प्रतिमा की स्थापना कर विधिवत पूजन अर्चना की गई है। साथ ही गोशाला के कुल 68 गोवंश की भी पूजा की गई। इस बार गोशाला में मेले का आयोजन नहीं किया गया है। गोपाष्टमी पूजा समिति के सदस्यों को बताया कि गोपाष्टमी पूजा का आयोजन वर्षों से किया जा रहा है। आयोजन समिति के लोगों ने बताया कि शहर के श्री रामकृष्ण गोशाला का निर्माण वर्षों पूर्व गिद्धौर महाराज द्वारा गोशाला के लिए दान किए हुए जमीन पर किया गया था। तब से यहां गोपाष्टमी के मौके पर गोवंश की पूजा अर्चना कर मेले का आयोजन किया जाता रहा है। पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि हरेक साल की तरह इस साल भी 24 नवंबर मंगलवार को 11 बजे सुबह से कबड्डी प्रतियोगिता एवं दोपहर दो बजे से कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम के आखिरी दिन 25 नवंबर बुधवार को सुबह 11:30 बजे से कुमारी कन्याओं को भोजन कराया जाएगा तथा संध्या तीन बजे प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। साथ ही गोशाला में बच्चों के मनोरंजन के लिए ब्रेक डांस, ड्रैगन, झूला उपलब्ध है। आयोजन को सफल बनाने में समिति के मुकेश साव, गोशाला के अध्यक्ष एसडीओ प्रतिभा रानी, उप सचिव नागेंद्र कुमार शाह, मुकेश साव, नीतीश शाह, दिनेश केशरी, श्रवण पंडित, मुन्ना ठठेरा, सोनी केसरी, गोशाला के प्रबंधक चंदन कुमार सिन्हा सराहनीय भूमिका निभा पूजा का आयोजन किया है।

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कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि में गोशाला में गायों की पूजा के साथ विशेष आयोजन किए जाते हैं। हिदू संस्कृति में, गायों को गो माता कहा जाता है और उनकी देवी की तरह पूजा की जाती है। हिदू धर्म और संस्कृति की गायों को देवी माना जाता है। देवताओं की तरह उनकी पूजा की जाती है। कई देवी देवता गाय के शरीर में निवास करते हैं। इसलिए गाय हिदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। गाय को आध्यात्मिक और दिव्य गुणों की स्वामी माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक इंद्र के प्रकोप से गो, गोप और गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर धारण किए रहे। अष्टमी के दिन इंद्र ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली उनका अहंकार टूट गया और वह श्री कृष्ण की शरण में आ गए। कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन कामधेनु ने भगवान श्री कृष्ण का अभिषेक किया। उस दिन के बाद से गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। गोपाष्टमी के दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने की परंपरा है।

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