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Jamui: इस गांव में मानसून आने से पहले बेटियां हो जाती हैं विदा, बहुएं पहुंच जाती हैं ससुराल; जानिए क्या है वजह

Bihar News चकाई के गांवों के लोग आज भी यातायात के मामले में दोयम दर्जे की जिंदगी जी रहे हैं। वर्षा में ग्रामीण पुल के अभाव में अपने गांवों में कैद हो जाते हैं। तेज धार और उफान के कारण अजय नदी पार करना असंभव हो जाता है। लिहाजा गांव की बेटियां वर्षा के पहले ही अपने ससुराल विदा हो जाती हैं जबकि बहू मायके से ससुराल आ जाती हैं।

By Arvind KumarEdited By: Aysha SheikhUpdated: Tue, 01 Aug 2023 09:05 PM (IST)
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Jamui: इस गांव में मानसून आने से पहले बेटियां हो जाती हैं विदा, बहू पहुंच जाती हैं ससुराल
अमित कुमार राय, चंद्रमंडी (जमुई) : सड़क, पुल-पुलिया के इस दौर में जब हर बसावट तक यातायात सुविधा पहुंचने की बात कही जाती है। चकाई के दस गांवों के लोग आज भी यातायात के मामले में दोयम दर्जे की जिंदगी जी रहे हैं। इन गांवों की किस्मत नहीं बदली है।

हर वर्षा में ग्रामीण अपने गांवों में कैद

चकाई प्रखंड के पेटरपहाड़ी पंचायत के 10 गांवों की जिंदगी महज एक पुल के अभाव में ठहर जाती है। हर वर्षा में ग्रामीण अपने गांवों में कैद हो जाते हैं। तेज धार और उफान के कारण अजय नदी पार करना असंभव हो जाता है। इन गांवों में चकाई के महारायडीह, जमुनी, जलखारिया, महेश्वरी, छोटकीटाड, मोहनीडी, हिरना, औरैया, बिंजा नोवाडीह शामिल हैं।

वर्षा नहीं होने के कारण इस साल ऐसी स्थिति नहीं

वर्षा आने के साथ ही इन गांवों में आवागमन पर विराम लग जाता है। लिहाजा, गांव की बेटियां वर्षा के पहले ही अपने ससुराल विदा हो जाती हैं, जबकि बहुएं मायके से ससुराल आ जाती हैं। हालांकि, वर्षा नहीं होने के कारण इस साल ऐसी स्थिति नहीं आई है। अजय नदी में हल्का पानी बह रहा है, लेकिन इस बात से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि चकाचौंध के बीच व्यवस्था के अंधेरेपन में 20 हजार की आबादी लंबे समय से यह परेशानी झेल रही है।

किसको दोष दें? कहां-कहां ठोकर खाएं?

इलाके के नेताओं का आश्वासन आज भी पूरा नहीं हो पाया है। महारायडीह के ग्रामीण शालिग्राम राय, सुधीर चौधरी, सुनील चौधरी, सत्यनारायण राय, जमुनी के ग्रामीण उपेंद्र शर्मा बताते हैं कि वर्षा में यह हालात हो जाता है कि मरीज भगवान-भगवान रटते हुए दिन काटते हैं। आवागमन पर पूरी तरह विराम लग जाता है।

यहां के ग्रामीण आक्रोशित नहीं हैं, बल्कि व्यवस्था की मार से पीड़ित होकर बेबसी में जी रहे हैं। बस इनकी जबान से यही बात निकलती है कि किसको दोष दें? कहां-कहां ठोकर खाएं? यही व्यवस्था हमारी तकदीर में लिखी है। किसे सुनाएं अपना दुखड़ा?

स्थानीय विधायक सह मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि मेरे तीन साल के कार्यकाल में अब तक चकाई विधानसभा क्षेत्र में 40 से अधिक पुलों का निर्माण हो चुका है। महारायडीह घाट पर भी पुल निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए कागजी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कागजी प्रक्रिया पूर्ण होते ही पुल की आधारशिला रखी जाएगी।

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