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Jhajha : बिना 'दक्षिणा' नहीं होता नवजात के मुंह का दीदार, यह है रेफरल झाझा, परिजनों ने काटा बवाल

रेफरल अस्पताल झाझा में प्रसव होने के बाद पैसे नहीं मिलने पर नवजात को मां या परिजनों के सुपुर्द नहीं करने का मामला सामने आया है। आरोप है रातभर मां और नवजात को दूर रखा गया। नर्स को पैसा देने के बाद मां अपनी बच्ची का चेहरा देख पाई।

By Ashish Kumar SinghEdited By: Yogesh SahuUpdated: Thu, 22 Dec 2022 07:29 PM (IST)
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बिना नेग नहीं होता नवजात के मुंह का दीदार, यह है रेफरल झाझा
झाझा (जमुई), संवाद सूत्र। पहले के जमाने में नवजात के मुंह देखने पर लोग खुशी से दक्षिणा देते थे, लेकिन रेफरल अस्पताल झाझा में कहानी उलटी है। यहां बिना दक्षिणा लिए स्वास्थ्य कर्मी नवजात का मुंह स्वजनों को नहीं दिखाते हैं। इतना ही नहीं पैसा नहीं मिलने पर स्वजन को नवजात सुपुर्द भी नहीं करते हैं।

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब पैसे के अभाव के कारण गुरुवार को स्वजन दक्षिणा नहीं दे पाए। लिहाजा उन्हें नवजात का चेहरा नहीं देखने दिया गया। इससे आहत स्वजन ने अस्पताल में जमकर बबाल काटा और रेफरल अस्पताल प्रभारी को शिकायती आवेदन दिया है।

हालांकि, नवजात के परिजनों का आरोप है कि आवेदन देने के बाद भी अस्पताल प्रबंधक व प्रभारी ने कोई कदम नहीं उठाया। मामूली लगने वाले इस प्रकरण ने अस्पताल की व्यवस्था की पोल खोल दी है। जानकारी के अनुसार, गिद्धको गांव के पिंटू कुमार की पत्नी काजल कुमारी को उनके पिता बैजला गांव के भरत यादव ने 21 दिसंबर को प्रसव के लिए रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया था।

देर रात गर्भवती ने यहां एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची का जन्म होते ही ए-ग्रेड नर्स एवं ममता व चतुर्थ कर्मचारी स्वजन से पैसे की मांग करने लगे। नवजात की मां को वार्ड में लाया गया, जबकि नवजात को पैसे नहीं देने के कारण प्रसव कक्ष से बाहर नहीं किया गया।

नवजात के नाना भरत यादव ने बताया कि जब हम लोगों ने बच्ची को बाहर लाने की बात कही तब स्वास्थ्यकर्मी एवं अन्य चार कर्मियों ने पांच-पांच सौ रुपये देने की मांग की। जब उनसे फिलहाल पर्याप्त पैसा नहीं होने की बात कही तो वह लोग अनसुना कर गए। नवजात को सुबह तक अपने कब्जे में रखा।

यादव ने आरोप लगाया कि इसके बाद जब ए-ग्रेड नर्स को रुपये दिए गए तब उन्होंने बच्ची को बाहर निकाला। इसके बाद चतुर्थ कर्मचारी बच्ची को लेकर पैसे की मांग करने लगे। जब बच्ची को लेने का प्रयास किया तो वह बच्ची को लेकर चला गया। स्वजनों ने जब बवाल किया, तब बच्ची को मां के पास पहुंचाया गया।

भरत यादव ने कहा कि हम लोग गरीब हैं। पैसे के अभाव में रेफरल अस्पताल प्रसव कराने आते हैं, लेकिन यहां पर बच्चे के जन्म के साथ ही उसकी बोली लगनी शुरू हो जाती है। स्वास्थ्यकर्मी इसके एवज में हजारों रुपये वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि रात्रि टेलवा, रजला, शक्तिघाट आदि गांव की आधा दर्जन महिलाओं का यहां प्रसव हुआ। सभी लोगों से तीन से चार हजार रुपये की वसूली की गई।

हर रात हजारों का होता है खेल

पीड़ित ने बताया कि यहां हर रात बीस से तीस हजार रुपये का खेल होता है। स्वास्थ्यकर्मी प्रसव कराने आए स्वजन को पैसे के लिए कई प्रकार का भय दिखाते हैं। साथ ही अभद्र भाषा का प्रयोग कर फटकार भी लगाते हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार खामोश हैं। ऐसे में सुरक्षित मातृत्व योजना और जननी बाल सुरक्षा योजना के उद्देश्य की पूर्ति कैसे होगी, यह बड़ा सवाल है।

मुझे इस संबंध में कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। - डाॅ. शंकर कुमार, अस्पताल प्रभारी, झाझा

इस मामले में आवेदन प्राप्त हुआ है। मामले की जांच की जाएगी। - राजेश कुमार, अस्पताल प्रबंधक, झाझा

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