KK Pathak: गजब हो गया पाठक सर, बिहार के इस जिले में चोरी हो गया स्कूल, अब क्या कीजिएगा?
जागरण के हाथ लगे दस्तावेज में पीएस गुगुलडीह वाई टोला नाम दर्ज है। इस स्कूल में तीन लाख 23 हजार 450 राशि खर्च हुई है जिसके एवज में टैक्स काटकर दो लाख 78 हजार 166 रुपये का भुगतान मां कात्यायनी इंजीनियरिंग एवं इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी को किया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि पीएस गुगुलडीह वाई टोला नामक स्कूल प्रखंड में ढूंढे नहीं मिला।
आशीष सिंह चिंटू, जमुई। जमुई के बरहट प्रखंड में एक स्कूल की ही चोरी हो गई है। चौकिए मत, आपने एकदम सही पढ़ा है। शिक्षा विभाग में वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन यानि 31 मार्च को राशि की निकासी के खेल में दर्ज स्कूलों के नाम कुछ यही बता रहे हैं।
जागरण के हाथ लगे दस्तावेज में पीएस गुगुलडीह वाई टोला नाम दर्ज है। इस स्कूल में तीन लाख 23 हजार 450 राशि खर्च हुई है जिसके एवज में टैक्स काटकर दो लाख 78 हजार 166 रुपये का भुगतान मां कात्यायनी इंजीनियरिंग एवं इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी को किया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि पीएस गुगुलडीह वाई टोला नामक स्कूल प्रखंड में ढूंढे नहीं मिला।
गुगुलडीह पंचायत के मुखिया बलराम सिंह ने भी कहा कि इस नाम का कोई भी स्कूल गुगुलडीह पंचायत में नहीं है। इस पंचायत में आठ स्कूल हैं जिनमें किसी का नाम पीएस गुगुलडीह वाई टोला नहीं है। अलबत्ता, पीएस गुगुलडीह यादव टोला नाम का स्कूल है। अब सवाल उठ रहा है कि जब स्कूल नहीं है तो फिर विकास कार्य पर खर्च किस विद्यालय में हुआ।
अगर पीएस गुगुलडीह यादव टोला में ही उक्त राशि खर्च हुई है तो फिर सूची में दर्ज नाम में हेर-फेर क्यों की गई। इसके पीछे की मंशा क्या है। इसी दस्तावेज में पीएस गुगुलडीह यादव टोला के नाम पर भी 51680 रुपये का भुगतान कात्यायनी एजेंसी को करने की विवरणी दर्ज है। लिहाजा, अगर एक ही स्कूल है तब भी दो अलग-अलग नाम से राशि निकालना गहन जांच पर बल दे रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि आलाधिकारी ऐसे कृत्य को लेकर कितनी संजीदगी दिखाते हैं।
कनीय अभियंता संदेह के घेरे में
वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन राशि निकासी प्रकरण में संबंधित कनीय अभियंता की भूमिका संदेह के घेरे में है। जानकार बताते हैं कि किसी भी कार्य की मापी और बिल समेत अन्य कागजात पूर्ण होने के बाद ही भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। कार्य में गुणवत्ता और मापी (एमबी) की जिम्मेदारी कनीय अभियंता की होती है।इसके आधार पर ही भुगतान किया जाता है। बिना कार्य पूर्ण हुए 58 स्कूलों में वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन कुल 94 लाख 60 हजार 798 रुपये का विभिन्न एजेंसी को भुगतान शिक्षा विभाग की कार्य प्रणाली, इंजीनियरिंग विभाग व कनीय अभियंता की कार्यशैली को कठघरे में खड़ी कर रही है।
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नाम नहीं छापने की शर्त पर कई स्कूल प्रभारियों ने बताया है कि हर दिन विभिन्न लोग स्कूल पहुंच रहे हैं। वे कहते हैं कि आप बस काम करने की इजाजत दीजिए, भुगतान का टेंशन मत लीजिए। जब उनसे पूछा जाता है कि किसने भेजा है तो चुप्पी साध लेते हैं। कई प्रभारियों ने बताया कि उन्हें यह भी जानकारी नहीं है कि उनके स्कूल में कौन-सा काम होना है। इसके पीछे का कारण यह है कि काम से संबंधित अधियाचना उनसे नहीं ली गई है।पीएस गुगुलडीह वाई टोला नामक स्कूल की जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। पता करते हैं। - तारकेश्वर प्रसाद मिश्र, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, बरहट।
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