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जमुई विधानसभा से हीरा जी ने आजमाया था भाग्य

जमुई। कुमार कालिका प्रसाद सिंह उर्फ हीरा जी की 125वीं जयंती की पूर्व संध्या पर गुरुवार को केकेएम कॉलेज परिसर में बिहार के गौरवशाली इतिहास के आईने में हीरा जी तथा उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर वर्चुअल परिचर्चा का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 03 Sep 2020 06:30 PM (IST)
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जमुई विधानसभा से हीरा जी ने आजमाया था भाग्य

जमुई। कुमार कालिका प्रसाद सिंह उर्फ हीरा जी की 125वीं जयंती की पूर्व संध्या पर गुरुवार को केकेएम कॉलेज परिसर में बिहार के गौरवशाली इतिहास के आईने में हीरा जी तथा उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर वर्चुअल परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक सह प्राचार्य डॉ. देवेंद्र कुमार गोयल ने किया।

केकेएम कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. गौरी शंकर पासवान ने कहा कि केकेएम कॉलेज कालिका प्रसाद उर्फ हीरा जी की अमर निशानी है। चार सितंबर 1895 को गिद्धौर के महाराजा राव महेश्वरी प्रसाद सिंह के आंगन में हीरा जी का जन्म हुआ था। वे महात्मा गांधी के महत्वपूर्ण आंदोलनों यथा असहयोग आंदोलन (1921 )नमक सत्याग्रह आंदोलन (1930) एवं भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। प्रो. रणविजय कुमार सिंह, प्रो. अनिदो सुंदर पोले, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र कुमार गोयल, सहायक सुशील कुमार, कार्यालय सहायक रवीश कुमार सिंह ने उन्हें याद करते हुए कहा कि कालिका प्रसाद गांधीवादी विचारधारा, समाजवादी अवधारणा, त्याग और राष्ट्र सेवा के प्रतिमूर्ति थे। 1933-34 के मुंगेर के विनाशकारी भूकंप के सहायतार्थ बनी समिति के सक्रिय सदस्य के रूप में सराहनीय सेवा की थी। 1927 में बिहार विधान परिषद सदस्य 1937 तथा 1946 में बिहार विधानसभा सदस्य के रूप में उनकी बिहार प्रदेश की निश्स्वार्थ सेवा अविस्मरणीय है। विडंबना है कि राज सुख त्याग कर वनझूलिया आश्रम से आजादी की लड़ाई लड़ने वाले कालिका प्रसाद उर्फ हीरा जी का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हो सका। हीरा जी स्वतंत्रता आंदोलन में वर्षों तक जेल यात्रा भी की है। 1952 में जमुई विधानसभा से हीरा जी ने अपना भाग्य आजमाया था। अंत में 10 सितंबर 1953 को उनका देहांत हो गया।

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