Bihar Teacher News: शिक्षक की नौकरी ठुकरा शुरू की बागवानी, अब कर रहे 3 लाख रुपये हर महीने की कमाई; जीते पुरस्कार
Bhabhua News भभुआ जिले के रविशंकर सिंह अब किसी पहचान के मोहताज नहीं रहे हैं। उन्होंने लोगों को दिखा दिया कि सरकारी नौकरी छोड़कर भी उससे चार गुनी कमाई की जा सकती है। उन्होंने बागवानी कर सर्वश्रेष्ठ बागवान का पुरस्कार प्राप्त कर अपना ही नहीं बल्कि इस गांव के साथ जिले का भी नाम रोशन कर दिया है। कई किसान उनसे बागवानी के टिप्स लेने आते हैं।
शुभम कुमार, भभुआ। Bhabhua News: जिले के चांद प्रखंड का मोरवां गांव अब किसी पहचान को मोहताज नहीं है। यहां के किसान स्व. रामजी सिंह के पुत्र रविशंकर सिंह ने अपने खेत की मिट्टी में बागवानी कर सर्वश्रेष्ठ बागवान का पुरस्कार प्राप्त कर अपना ही नहीं बल्कि इस गांव के साथ जिले का भी नाम रोशन कर दिया है। मौसम के अनुसार विभिन्न तरह की बागवानी कर स्वयं तो आत्मनिर्भर बन ही गए हैं। हर मौसम में लगभग 10 या इससे अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
वर्ष 2013 में शिक्षक के लिए हुआ था चयन
रविशंकर सिंह की शिक्षा-दीक्षा भी काफी अच्छी है। पीजी, बीएड के बाद बिहार टेट पास करने के बाद उनका शिक्षक में वर्ष 2013 में नियोजन भी हुआ। लेकिन बागवानी के प्रति रुचि से उन्होंने योगदान ही नहीं किया। उन्होंने कई जगहों पर जाकर कृषि संबंधी प्रशिक्षण भी लिया है।
एनडीआरआइ करनाल विश्वविद्यालय पंतनगर विश्वविद्यालय, पूसा कृषि विश्वविद्यालय बिहार, भोपाल कृषि विश्वविद्यालय, इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट, कृषि विकास केंद्र अधौरा, सब्जी अनुसंधान केंद्र वाराणसी के अलावा अन्य संस्थानों में प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र प्राप्त किया।
10 साल से कर रहे बागवानी
रविशंकर सिंह लगभग दस साल से बागवानी कर रहे हैं। अपने पूर्वजों द्वारा दी गई खेती व परंपरा से सीख लेते हुए बागवानी शुरू किए। इसके बाद नई तकनीक का सहारा भी लिया। हर साल बागवानी से लगभग तीन लाख रुपये तक की आमदनी कर रहे हैं। इसके अलावा बिहार राज्य बीज निगम का विभिन्न बीज का उत्पादन भी करते हैं। किसानों को संगठित कर किसान संगठन व देशी नेचुरल कृषक उत्पादक संगठन भी बनाया।
प्रतिवर्ष 80 प्रकार की फसलों का करते हैं उत्पादन
रविशंकर सिंह लगभग 50 एकड़ भूमि में विभिन्न प्रकार की खेती करते हैं। इसमें फल, सब्जी, बीज उत्पादन के अलावा अनाज का उत्पादन भी करते हैं। वे अब लगभग 80 प्रकार की फसलों का उत्पादन करते हैं।
पर्यावरण संरक्षण का भी करते हैं कार्य
फल, सब्जी की खेती के अलावा रविशंकर सिंह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कार्य करते हैं। उनके द्वारा लगभग तीन सौ पौधे लगाए गए हैं। जलसंरक्षण के लिए नई तकनीकी से 40 प्रतिशत जल का बचत करते हैं। देशी खाद व वर्मी कंपोज्ड फसल अवशेष का प्रबंधन भी करते हैं।
नई तकनीक का लेते हैं सहारा
फल सब्जी की खेती के लिए वे नई तकनीकी का सहारा लेते हैं। इसमें मिनी स्प्रींकलर, ड्रिप सिंचाई पद्दति, नेट हाउस, नर्सरी आदि का प्रयोग करते हैं। कृषि विभाग के उद्यान विभाग, आत्मा का उन्हें भरपूर सहयोग मिला। सभी के द्वारा कृषि यंत्र, उर्वरक, प्रोत्साहन राशि एवं प्रशिक्षण में सहयोग किया गया।
पांच वर्षों से प्रतियोगिताओं में रहा बेहतर प्रदर्शन
रविशंकर सिंह विभिन्न प्रतियोगिताओं व प्रदर्शनी में अपने उत्पाद को लेकर भाग लिए हैं। पांच वर्ष के अंदर उनका प्रदर्शन बेहतर रहा है। जिले में सर्वाधिक पुरस्कार पाकर प्रथम रहे। प्रमंडल स्तर में भी प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त किया। कृषि विज्ञान केंद्र अधौरा में प्रथम स्थान के साथ ही इस बार राज्य स्तरीय प्रतियोगिता व प्रदर्शनी में सर्वश्रेष्ठ बागवान 2024 का पुरस्कार जीता।
कैमूर के अलावा अन्य जिले व प्रांतों में जाता है उत्पाद
रविशंकर सिंह ने बताया कि उनके खेत में उत्पादित सब्जी व फल की बिक्री कैमूर सहित अन्य जिले व प्रांतों में जाता है। कई व्यवसायी स्वयं खेत पर आते हैं और फल व सब्जी खरीद कर ले जाते हैं। कुछ व्यवसायी फल व सब्जी की मांग करते हैं। जहां भेज दिया जाता है।
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