कैमूर में पुल तो बना, एप्रोच पथ बिना बेकार
लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करना सरकार का पहला लक्ष्य होता है।
कैमूर। लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करना सरकार का पहला लक्ष्य होता है। इसकी महत्ता तब और बढ़ जाती है जब वह क्षेत्र सीमावर्ती हो। बिहार का कैमूर जिला ऐसा ही एक सीमावर्ती जिला है। जिसकी सीमाएं यूपी झारखंड से मिलती है। नुआंव प्रखंड की सीमा राज्य के रोहतास, बक्सर जिला के साथ ही साथ यूपी के गाजीपुर जिले को भी छूती है। यूपी और बिहार की सीमा निर्धारित करने वाली एक महत्वपूर्ण नदी कर्मनाशा पर यूपी और बिहार को जोड़ने के लिए कई जगह पुलों का निर्माण कराया गया है। ऐसा ही एक पुल का निर्माण 2015-16 में प्रखंड के कारीराम गांव के पास कर्मनाशा नदी पर कराना प्रारंभ किया गया। जो 2016-17 में पूर्ण हो गया। लेकिन पुल के बन जाने के बाद आज तक यह एप्रोच रोड से नहीं जुड़ पाया है। पुल के पास एप्रोच रोड के लिए 20 फीट चौड़ी सरकारी जमीन है, लेकिन किसी न किसी बहाने यह कार्य आज तक लटका है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस मुद्दे को हमलोगों ने कई बार पदाधिकारियों के समक्ष उठाया। लेकिन आज तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई। गांव में जाकर स्थिति जानने का प्रयास किया गया तो पता चला कि विभाग द्वारा एप्रोच सड़क बनाने के लिए 60 फीट चौड़ी जमीन की मांग की जा रही है और पुल के मुहाने पर 100 फीट चौड़ी जमीन की जरूरत है। जबकि वहां केवल 20 फीट चौड़ी जमीन ही उपलब्ध है। पुल के पास जुगुल चौधरी, सूबेदार चौधरी, श्रीपत चौधरी आदि की जमीन है। इनसे बात करने पर इनलोगों ने कहा कि हम एप्रोच सड़क के लिए जमीन देने को तैयार हैं। लेकिन हमारे पास जमीन चुकी कम है इसलिए यदि हमें मुआवजा दें तो हम जमीन दे सकते हैं। अब यदि सबकुछ सही है तो पता नहीं कहां बात अटकी हैं जो आज तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पाई।
बताते चलें कि नुआंव बड्ढ़ा होते हुए यह सड़क यूपी के दिलदारनगर को जोड़ती है। जिससे प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का आना जाना रहता है। एप्रोच रोड न बनने की वजह से लोग जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करते हैं। नाव पर सिर्फ लोग ही नहीं बल्कि बाइक, साइकिल सहित अन्य सामान लेकर कर्मनाशा नदी पार करते हैं। जो खतरे से खाली नहीं।