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Bihar Politics: ...अब यहां RJD का सिर्फ एक MLA, दो ने कर दिया बड़ा 'खेल'; ताकते रह गए लालू-तेजस्वी

Bihar Politics कैमूर जिले में अब राजद का सिर्फ एक विधायक रह गया है। लालू और तेजस्वी यादव के साथ दो विधायकों ने खेला कर दिया है। बता दें कि कैमूर जिले की भभुआ विधानसभा सीट के विधायक भरत बिंद राजद से पहली बार चुनाव जीते थे। उनका राजनीतिक सफर पुराना है। उन्होंने अब एनडीए का दामन थाम लिया है।

By Prince Shubham Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 01 Mar 2024 04:44 PM (IST)
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...अब यहां RJD का सिर्फ एक MLA, दो ने कर दिया बड़ा 'खेल'; ताकते रह गए लालू-तेजस्वी
जागरण संवाददाता, भभुआ। कैमूर जिले में चार विधानसभा सीट पर कुछ दिन पहले तक तीन पर राजद के विधायक थे। जबकि एक चैनपुर सीट पर बसपा से जीते मो. जमां खान जदयू की तरफ थे। वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भी रहे। जबकि वर्तमान में एक मात्र रामगढ़ की सीट पर राजद के विधायक सुधाकर सिंह बच गए हैं।

वे पूर्व कृषि मंत्री भी हैं, लेकिन कुछ ही माह के कार्यकाल के बाद उन्होंने कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। बता दें कि कैमूर जिले की भभुआ विधानसभा सीट के विधायक भरत बिंद राजद से पहली बार चुनाव जीते थे। उनका राजनीतिक सफर पुराना है। वे राजद से पहले बसपा में थे और प्रदेश अध्यक्ष तक की जिम्मेदारी संभाल चुके थे।

भरत बिंद ने 10 हजार वोटों से रिंकी रानी को हराया

वर्ष 2020 में उनके नाम की चर्चा शुरुआत में नहीं थी, लेकिन अंतिम दौर में उनके नाम की अचानक चर्चा हुई और भभुआ से राजद ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। चुनाव में उन्होंने भाजपा की रिंकी रानी पांडेय को लगभग दस हजार मतों से हराया। हालांकि, मोहनिया की राजद से विधायक बनी संगीता कुमारी का राजनीतिक सफर पुराना नहीं है।

वे पहली बार ही राजद से मोहनिया की सीट पर चुनाव लड़ीं और भाजपा के निरंजन राम को लगभग दस हजार मतों से चुनाव हराया। इसके अलावा भी रामगढ़ व चैनपुर की सीट पर राजद व बसपा के उम्मीदवारों ने भाजपा के ही उम्मीदवार को हराया।

चैनपुर में बसपा की सीट से चुनाव लड़े मो. जमां खान चुनाव जीतने के बाद जदयू में शामिल हो गए। इसके बाद मो. जमां खां अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाए गए।

राजद विधायकों के पाला बदलने पर क्या बोले जिला अध्यक्ष

दोनों ही राजद के विधायकों के पाला बदलने पर राजद के जिलाध्यक्ष अकलू राम ने कहा कि दूसरे पार्टी से आकर और टिकट मिलने के बाद चुनाव जीत तो गए, लेकिन पार्टी से कार्यकर्ताओं का क्या लगाव व संबंध होता है इससे वे अनभिज्ञ है। कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत कर दोनों को जिताया। उनके पाला बदलने से पार्टी का जनाधार कम नहीं होगा बल्कि बढ़ेगा।

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