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दुर्घटना को दावत दे रहे नदी के पुल में बने गड्ढे

जहां राष्ट्रीय राजमार्गों की बदहाली से लोग परेशान हो वहां अन्य सड़कों बारे में सोचना बेमानी होगी। वाहन चालकों के लिए एनएच 30 का सफर काफी दुखदाई है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 09 May 2018 06:25 PM (IST)
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दुर्घटना को दावत दे रहे नदी के पुल में बने गड्ढे

कैमूर। जहां राष्ट्रीय राजमार्गों की बदहाली से लोग परेशान हो वहां अन्य सड़कों बारे में सोचना बेमानी होगी। वाहन चालकों के लिए एनएच 30 का सफर काफी दुखदाई है। सरकार द्वारा हर वर्ष सड़क निर्माण से संबंधी घोषणाएं की जाती हैं। अब न्यूनतम ढ़ाई सौ की आबादी वाले गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ने की बात हो रही है। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। जीटी रोड से उक्त राजमार्ग पर जैसे ही वाहन आगे बढ़ते हैं गड्ढों का सफर शुरू हो जाता है। मोहनियां के रेल उपरी पुल को पार करने के बाद एनएच 30 में बने गहरे गड्ढों में वाहन हिचकोले खाने लगते हैं। कहीं-कहीं तो सड़क का नामोनिशान ही मिट गया है। सड़क पर बने गड्ढों से पता ही नहीं चलता कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग है। यात्रियों को समझ में नहीं आता कि सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क है। कैमूर जिला कि जहां सीमा समाप्त होती है वहां तक सड़क का बुरा हाल है। मोहनियां थाना क्षेत्र के लहुरबारी गांव के पास कुदरा नदी पर पुल बना है। इस पर इतने बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं कि वाहनों को पार करने में चालकों की रूह कांप जाती है। सुरक्षा के लिए पुल पर दोनों तरफ बनी रे¨लग भी टूट चुकी है। जिससे जरा सी चूक होने पर वाहन करीब 30 फीट नीचे गिर सकते है। ऐसी स्थिति में जान को खतरा बना रहता है। यहां कभी भी वाहन नदी में गिर सकते हैं। इससे बड़ा हादसा हो सकता है। वैसे तो दो पहिया वाहन यहां रोज ही पलटते हैं। समय के साथ-साथ गड्ढों की गहराई बढ़ती जा रही है। जो यात्रियों के खतरनाक है। दिन में वाहनों का पुल पार करना मुश्किल होता है। रात में दुर्घटना की आशंका प्रबल रहती है। इस सड़क से गुजरने वाले दोबारा आने का नाम नहीं लेते।

मोहनियां से पटना जाने के लिए सुगम था एनएच 30 का सफर- एक समय था जब मोहनियां से राजधानी पटना जाने के लिए यह सड़क काफी उपयोगी थी। तीन घंटे में लोग पटना पहुंच जाते थे। पांच वर्ष पूर्व उक्त सड़क को फोरलेन बनाने का काम शुरू हुआ था। सड़क के बगल में लगे बड़े बड़े सैकड़ों पेड़ों को धराशाई कर दिया गया। सड़क निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा था। तभी अचानक कंपनी ने कार्य बंद कर दिया। इसके बाद अभी तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ। जो इस बात का प्रमाण है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 30 की सुध लेने वाला कोई नहीं है। पहले एनएच 30 का रख रखाव केंद्र सरकार के जिम्मे था। इसके बाद बिहार सरकार ने यह जिम्मेदारी ले ली।

काफी दिनों तक सड़क हस्तांतरण को ले केंद्र व राज्य सरकार के बीच हुआ विवाद- सड़क की बदहाली को लेकर भाजपा नेता राजेंद्र ¨सह के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन भी हुआ। तब सूबे में यूपीए की सरकार थी। केंद्र सरकार के भूतल परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय ने कई बार बिहार सरकार को पत्र लिखकर एनएच 30 को हस्तांतरित करने का आग्रह किया। लेकिन मामला ठंढ़े बस्ते में रहा। एनडीए की सरकार बनने के बाद उक्त सड़क का अनापत्ति प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। कैमूर दौरे पर आने वाले केंद्र व बिहार सरकार के मंत्रियों के समक्ष एनएच 30 की बदहाली का मामला उठता रहा है। सबका यही आश्वासन होता है, शीघ्र ही सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा। सूबे में भाजपा के ही पथ निर्माण मंत्री हैं।

पुल में बने गड्ढों के कारण होती है दुर्घटना- पुल में बने गड्ढों से ग्रामीण भी परेशान है। दुर्घटना होने पर ग्रामीण दौड़ते हैं। लहुरबारी के ग्रामीणों ने बताया कि पुल पर आए दिन वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। एक साल पूर्व बाइक सवार दंपती पुल के नीचे गिर गए थे। जिसमें पत्नी की मौत हो गई थी। पुल पर बने गड्ढे जान लेवा साबित हो रहे हैं। दुर्घटना होने पर ग्रामीण घायलों को उठाकर अस्पताल पहुंचाते हैं।

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