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कैमूर के लाल बिभोर कुमार को राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से किया सम्‍मानि‍त, नक्‍सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में गंवा दिए थे दोनों पैर

Bihar News नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में उच्च कोटि की कर्तव्यपरायणता और अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए अपने दोनों पैर गंवाने वाले कैमूर के लाल बिभोर कुमार सिंह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया। वे 25 फरवरी 2022 को औरंगाबाद के नक्सलवाद ग्रस्त इलाके में एक सर्च एंड डिस्ट्रॉय ऑपरेशन टीम का नेतृत्व कर रहे थे।

By Ravindra Nath Bajpai Edited By: Prateek Jain Updated: Sat, 06 Jul 2024 11:09 AM (IST)
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बिभोर कुमार सिंह को शौर्य चक्र से सम्मानि‍त करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु।

संवाद सूत्र, कुदरा (कैमूर)। बिहार के औरंगाबाद के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में उच्च कोटि की कर्तव्यपरायणता और अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए अपने दोनों पैर गंवाने वाले कैमूर के लाल बिभोर कुमार सिंह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह 2024 में इस मौके पर प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, उपराष्ट्रपति समेत विशिष्ट गणमान्य लोग मौजूद रहे।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 205 कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन के असिस्टेंट कमांडेंट बिभोर कुमार सिंह कैमूर जिला के कुदरा प्रखंड के देवराढ़ कला गांव के दिलेश्वर सिंह के पुत्र हैं।

वे 25 फरवरी 2022 को औरंगाबाद के नक्सलवाद ग्रस्त इलाके में एक सर्च एंड डिस्ट्रॉय ऑपरेशन टीम का नेतृत्व कर रहे थे। घने जंगल में पेड़ों और चट्टानों की सुरक्षित आड़ में छुपे नक्सलवादियों ने सर्च टीम पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी।

आईईडी विस्‍फोट में गंवाया पैर

इस दौरान सहायक कमांडेंट बिभोर कुमार सिंह का बायां पैर एक आईईडी विस्फोट से क्षतिग्रस्त होकर कट गया। असीम पीड़ा को अपनी सहनशीलता संकल्प और इच्छा शक्ति से पराजित करते हुए बिभोर ने कवरिंग फायर के साथ मोर्चा संभाला।

गंभीर रूप से जख्मी हालत में कटे हुए पैर के साथ भी वे अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना अदम्य वीरता के साथ अपने सैनिकों का नेतृत्व और निर्देशन करते रहे थे। वे अपने दल का नेतृत्व करते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे और कवरिंग फायर देकर ऑपरेशन को सफल बनाया।

उन्होंने इस दौरान अनुकरणीय साहस, सैन्य नेतृत्व एवं युद्ध कौशल का परिचय दिया। उनकी साहसिक कार्रवाई के चलते नक्सलियों को पीछे हटना पड़ा था। आईईडी ब्लास्ट में गंभीर रूप से जख्मी बिभोर को इलाज के लिए पहले गया जिला मुख्यालय और उसके बाद दिल्ली के एम्स में ले जाया गया, जहां ऑपरेशन में उनके दोनों पैर काटने पड़े।

नक्सलियों के विरुद्ध अभियान की तरह अपने ऑपरेशन के दौरान भी बिभोर ने अत्यधिक दृढ़ता और दिलेरी का प्रदर्शन किया। नक्सल विरोधी अभियान में दोनों पैर गंवाने के बाद भी कैमूर का यह लाल सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन में अपनी सेवाएं जारी रखे हुए है।

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