Rohini Nakshatra: इस दिन होगा रोहिणी नक्षत्र का आगमन, धान की खेती की तैयारी में जुटे बिहार के किसान
Rohini Nakshatra खरीफ फसल की खेती को लेकर किसान तैयारी में जुट गए हैं। बता दें कि रोहिणी नक्षत्र का आगमन 25 मई को होगा। उसके चढ़ने से पहले किसान अपने खेत में पानी लगा रहे हैं। वहीं धान का बिचड़ा डालने के लिए जोताई पहले ही कर चुके हैं। अच्छी खेती के लिए रोहिणी नक्षत्र को वरदान मानी जाती है।
संवाद सूत्र, रामगढ़। Rohini Nakshatra खरीफ फसल की खेती के लिए किसान धीरे धीरे तैयारी में लग गए हैं। 25 मई को रोहिणी नक्षत्र चढ़ने से पहले बिचड़ा डालने के लिए किसान खेत में पानी लगा रहे हैं। इस नक्षत्र में धान का बिचड़ा डालने के लिए खेेत की जोताई पहले ही किसान कर चुके हैं।
अच्छी खेती के लिए यह नक्षत्र किसानों के लिए वरदान मानी जाती है। इस नक्षत्र के डाले गए बीज से सुपंख खेती के आसार बने रहते हैं। इस लिहाज से किसान खेतीबाड़ी के लिए खेत की जोताई के बाद बिचड़ा डालने के लिए जुट गए हैं।
किसानों ने क्या कुछ कहा
इसरी के किसान झुन्ना कुशवाहा, भरिगांवा के बबलू तिवारी आदि ने बताया कि इस नक्षत्र में नाटी धान व स्वर्णा सुगंधा के बीज अधिकतर डाले जाते हैं। इस नक्षत्र में डाले जाने वाले बीज से इन प्रजातियों के धान के पौधे का विकास अधिक होता है, जो पैदावार के लिए उपयोगी माना जाता है।
किसानों ने बताया कि साधन संपन्न अधिकतर किसान इस नक्षत्र में बीज डालते हैं। इससे पहले बह रही पछुआ हवा से कीड़े मकोड़े खेत के नष्ट हो गए हैं। बीज डालने के बाद खेतों में धान के पौधों को लगाने के लिए प्रकृति पर निर्भर नहीं रहना होता है। बोरिंग मशीन के जरिए रोपनी का कार्य शुरू हो जाता है।
मौसम को लेकर क्या है अपडेट
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस वर्ष मानसून मेहरबान रहने वाला है। इस लिहाज से इस नक्षत्र में हर कोई बिचड़ा डालने की तैयारी में हो गया। इस नक्षत्र के प्रवेश करने में मात्र पांच दिन शेष रह गया है। ऐसे में किसान खेतों में पानी लगाकर खेत की जोताई करने का कार्य करेंगे, जो किसानों के लिए उपयोगी साबित होगा।
इससे पहले खेत की जोताई होने से खरपतवार भी नष्ट हो गए हैं। इन खेतों में रासायनिक खाद की बजाए देशी खाद गोबर आदि जैविक खाद का इस्तेमाल किसान कर रहे है।
बता दें कि 20 डिग्री तापमान पर खेतों में नाटी धान के बीजों को डाला जाएगा और 24 घंटे बाद खेत से पानी निकाल दिया जाता है। अधिक तापमान होने पर शाम को सिंचाई व सुबह में पानी की कटाई होती है। यह सिलसिला केवल एक सप्ताह मौसम अनुकूल नहीं होने के कारण होता है। इसके बाद तो इन खेतों में डाले गए बिचड़ों का निरंतर विकास होने लगता हैं।
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