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Katihar Firing: 27 साल पहले भी कटिहार में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने की थी फायरिंग, एक युवक की हुई थी मौत

बिहार में शराब तस्करों व अपराधियों के मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाएं आती रहती हैं लेकिन प्रदर्शन कर रही भीड़ पर पुलिस फायरिंग में मौत की घटना कटिहार जिले में 27 वर्षों के बाद हुई है। 1996 में औद्योगिक क्षेत्र स्थित व्यवसायी सांवरमल के आवास पर डाकेजनी की घटना के क्रम में हत्या कर दी गई थी। उसके विरोध में शहर बंद कराया गया था।

By Neeraj KumarEdited By: Prateek JainUpdated: Fri, 28 Jul 2023 12:07 AM (IST)
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कटिहार में बुधवार को बिजली आपूर्ति को लेकर प्रदर्शन के दौरान उग्र भीड़।

नीरज कुमार/जागरण संवाददाता, कटिहार। शराब तस्करों व अपराधियों के मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाएं तो होती रहती हैं, लेकिन प्रदर्शन कर रही भीड़ पर पुलिस फायरिंग में मौत की घटना जिले में 27 वर्षों के बाद हुई है।

1996 में औद्योगिक क्षेत्र स्थित व्यवसायी सांवरमल के आवास पर डाकेजनी की घटना के क्रम में हत्या कर दी गई थी। उसके विरोध में शहर बंद कराया गया था। पुलिस पर शिथिलता बरतने का आरोप लगाकर लोग उग्र हो गए थे। सर्वदलीय बंद व प्रदर्शन किया गया।

शहीद चौक पर भीड़ बेकाबू हो गई। पुलिस-प्रशासन के विरोध में भीड़ ने सुबह से ही प्रदर्शन जारी रखा। नगर थाने पर पथराव भी किया गया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने गोली चलाई। भीड़ को खदेड़ने के क्रम में ओवरब्रिज के नीचे पुलिस की गोली से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था मामला

उस घटना में भी पुलिस फायरिंग के तरीके पर सवाल उठा था। हवा में चलाई गई गोली शरीर पर कैसे लग गई, इसकी जांच की मांग उठी थी। बाद में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बारसोई में उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा की गई फायरिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं।

लोगों का कहना है कि पुलिस ने जब हवा में गोली चलाई तो शरीर पर गोली कैसे लगी। घटना में सोनू को सिर में गोली लगी थी, जिसकी मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम में गोली बाहर निकाली गई थी। पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों की टीम में डॉ. सोमने झा, डॉ. आर सुमन व डॉ. एसएम ठाकुर शामिल थे।

पोस्टमार्टम के दौरान डीएम, एसपी व सिविल सर्जन मौजूद थे। एक और मृतक खुर्शीद को पेट व छाती के बीच गोली लगी थी। गोली आर-पार हो गई। सवाल यह भी उठता है कि हवाई फायरिंग के बाद भी भीड़ नियंत्रित नहीं होने पर पुलिस ने प्रदर्शनकारी के पैर को पहले निशाना क्यों नहीं बनाया।

पुलिस बल प्रयोग नहीं करती तो हो सकती थी बड़ी घटना

बिजली को लेकर प्रदर्शन कर रही उग्र भीड़ के निशाने पर विद्युत विभाग के कर्मी के अलावा पुलिस-प्रशासन के लोग थे। भीड़ ने हमला करने की कोशिश की थी। कुछ विद्युतकर्मियों को बुरी तरह मारा-पीटा। कहा जा रहा है कि आत्मरक्षा में पुलिस को गोली चलानी पड़ी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बल प्रयोग नहीं किया गया होता तो बारसोई मे बड़ी घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता था।

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