Bihar Land News: इस जिले में बंजर पड़ी है 22 हजार हेक्टेयर जमीन, नीतीश सरकार यहां करेगी ये खास काम
खस की खेती खासकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बलुआ जमीन व जलजमाव क्षेत्र की बेकार जमीन पर होगी। इस खस घास की खास खासियत है कि इसका जड़ बाढ़ कटाव को रोकने में काफी मददगार होगा। इसके जड़ का फैलाव व पकड़ काफी अंदर तक होती है। वहीं खस की खेती से 18 माह के बाद इसके जड़ से खस का तेल निकाला जाता है।
क्या कहते आत्मा के उप परियोजना निदेशक?
आत्मा के उप परियोजना निदेशक एसेक झा ने बताना कि खस घास से उत्पादित तेल की कीमत 20 से 25 हजार रुपया प्रति किलो है। इस तेल का 15 से अधिक प्रकार के आयुर्वेदिक, यूनानी आदि दवा बनाने में प्रयोग करने के साथ सुगंधित तेल, इत्र सहित विभिन्न प्रकार के शर्बत के फ्लेवर सहित अन्य सामग्री बनाने में उपयोग होता है। खस की खेती एक बार करने के बाद कई साल तक तेल की पैदावार ली जा सकती है। इसके जड़ को उबाल कर तकनीक माध्यम से तेल निकाला जाता है। इसकी खेती से जिले को एक अलग पहचान होने के साथ किसान भी आत्मनिर्भर बन सकेंगे।ये भी पढ़ें- Gold Silver Price: ग्राहकों को राहत, सस्ता हुआ सोना और चांदी; एक क्लिक में जानिए ताजा रेटये भी पढ़ें- बीड़ी के पत्तों की कालाबाजारी से तबाह हो रहे नवादा के जंगल, केंदुइ के पेड़ों को काटने से भी नहीं हिचक रहे माफियाजिले मे बेकार पड़ी बंजर जमीन पर खस की खेती को लेकर पहल शुरू की गई है। आत्मा द्वारा इस जमीन को उपजाऊ बनाने को लेकर केन्द्रीय औषधि संघन पौधा संस्थान लखनऊ एक टीम को भेजा जाएगा। जिले के किसानों को खस का पौधा उपलब्ध कराया जाएगा। खस से पैदावर होने वाली तेल का प्रयोग मेडिकल सहित सौंदर्य प्रसाधन सामग्री के निर्माण में होता है। इसमें उद्यान विभाग अपना सहयोग देगी। इसकी खेती खासकर बाढ़,बलूआ जमीन व जलजमाव क्षेत्र के बेकार पड़े जमीन पर होगी। इसकी जड़ कटाव रोधी कार्य में भी काम करती है। - ओम प्रकाश मिश्रा, उद्यान उप निदेशक, कटिहार