Bihar News: बिहार का मखाना दुनिया में हो रहा मशहूर, किसान भी हो रहे हैं मालामाल; खेती में इतने का आ रहा खर्च
मखाना उत्पादन में बिहार का कटिहार जिला अव्वल है। यहां के मखाने की मांग सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि बाहर भी है। यहां से मखाने बांग्लादेश भी भेजा जा रहा है। मखाना की खेती करने में 32 हजार प्रति हेक्टेयर तक का खर्च आता है। किसान 25 से लेकर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मखाना के गुड़िया का उत्पादन कर लेते हैं। इससे इन्हें मुनाफा भी अच्छा हो रहा है।
संवाद सूत्र,रोशना (कटिहार)। मखाना उत्पादन में राज्य में जिले का स्थान बेहतर होने के साथ-साथ यहां के मखाना की मांग बांग्लादेश में भी है। प्राणपुर में मखाना की खेती बड़े पैमाने पर होती है। जिले में कोढा, बरारी, मनिहारी, डंडखोरा एवं प्राणपुर को मखाना उत्पादन में अव्वल माना जाता है।
मखाने की खेती में किसानों को अच्छा मुनाफा
मखाना की खेती करने में 32 हजार प्रति हेक्टेयर तक का खर्च आता है। किसान 25 से लेकर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मखाना के गुड़िया का उत्पादन कर लेते हैं। यहां के अधिकांश किसान मखाना गुड़िया को व्यापारियों के हाथों बेच देते हैं।
किसानों की मानें तो की माने तो 1500 से 2000 प्रति क्विंटल की दर से मखाना के गुड़िया की बिक्री होती है। जबकि मखाना का लावा 400 से 450 रूपये प्रति किलो की दर से बिकता है। मखाना की खेती में मौसम व बाजार भाव अनुकूल रहने पर अच्छा मुनाफा होता है।
बिहार से बांग्लादेश भेजा रहा मखाना
तालाब व जलाशय के अतिरिक्त खेतों के चारों तरफ मेढ़ बनाकर पंपिंग सेट से पानी का जमाव कर किसान मखाना की खेती करते हैं। यहां उत्पादित मखाना व्यापारियों के माध्यम से बांग्लादेश तक भेजा जाता है।
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