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कटिहार में किसानी का नया ट्रेंड: स्ट्रॉबेरी के साथ सब्जी की खेती की ओर बढ़ रहा किसानों का रुझान, कमा रहे मुनाफा

परंपरागत खेती से हटकर किसानी का नया ट्रेंड अपना रहे हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर भी किसानों का रुझान हुआ है। हलांकि अभी जिले में दो दर्जन किसान इसकी खेती कर रहे हैं। करीब 22 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। बाजार व उत्पादित स्ट्रॉबेरी की पैकिंग की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है।

By Pradeep Gupta Edited By: Prateek Jain Updated: Sun, 24 Dec 2023 12:44 AM (IST)
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कटिहार में किसानी का नया ट्रेंड: स्ट्रॉबेरी के साथ सब्जी की खेती की ओर बढ़ रहा किसानों का रुझान
तौफीक आलम, कटिहार। परंपरागत खेती से हटकर किसानी का नया ट्रेंड अपना रहे हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर भी किसानों का रुझान हुआ है। हलांकि, अभी जिले में दो दर्जन किसान इसकी खेती कर रहे हैं। करीब 22 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है।

बाजार व उत्पादित स्ट्रॉबेरी की पैकिंग की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि मार्केट व पैकिंग की सुविध उपलब्ध हो तो बड़ी संख्या में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ेंगे।

फलका प्रखंड के हथवाड़ा पंचायत के अमोल गांव निवासी युवा किसान प्रकाश कुमार महतो ने परंपरागत खेती से हट कर एक एकड़ से अधिक जमीन पर उपर पेठा और नीचे स्ट्रॉबेरी तथा सब्जी की खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।

गांव के अन्‍य किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेर‍ित

गांव में नया फल स्ट्रॉबेरी की खेती को देख अन्य किसान भी इसकी खेती करने को प्रेरित हुए हैं। फलका,कोढ़ा ,समेली, कुर्सेला, बरारी सहित अन्य प्रखंडों के करीब दो दर्जन से अधिक किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। कृषि विभाग भी इन खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

किसान प्रकाश महतो ने बताया कि वे 2022 में स्ट्रॉबेरी का पौधा महाराष्ट्र से लेकर आए थे। 10 कट्टा जमीन पर इसकी खेती की थी। 10 कट्ठा स्ट्रॉबेरी की खेती से 15 हजार का मुनाफा पहली बार हुआ था। उस समय ग्रामीणों को भी पता चला कि स्ट्रॉबेरी भी कोई फल है। उन्होंने लाल-लाल स्ट्रॉबेरी खूब खाये। वर्ष 2023 में भी प्रकाश महतो स्ट्रॉबेरी के साथ पेठा की खेती की।

किसान बताते हैं कि खेतों से प्रति दिन स्ट्रॉबेरी तोड़कर मंडी में बेचने जाना पड़ता है। अन्य किसानों को भी जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती करने को लेकर प्रेरित कर रहे हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती में प्रति बीघा 80 से 90 हजार की लागत आती है। वर्तमान में स्ट्रॉबेरी की पौधा बाहर से मंगाना पड़ रहा है।

मौसम अनुकूल होने से मुनाफा भी अच्छा होता है। स्ट्रॉबेरी और सब्जी की खेती से 10 लाख तक की आमदनी हर वर्ष हो जाती है।

क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी

प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण मोहन चौधरी ने कहा कि अमोल गांव के किसान प्रकाश महतो सब्जी व स्ट्रॉबेरी की खेती जैविक विधि से कर रहे हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती में मुनाफा अधिक है। अन्य किसानों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

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