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Bihar Politics: तेजस्वी यादव ने प्रशांत किशोर को दिया झटका, जनसुराज के कई बड़े नेताओं को RJD में कराया शामिल

Prashant Kishor vs Tejashwi Yadav कटिहार के बरारी प्रखंड से कई जनसुराज और जदयू नेताओं ने राजद में शामिल होने का फैसला किया है। डॉ. ऐनुल हक के नेतृत्व में दो दर्जन से अधिक लोगों ने राजद की सदस्यता ली जिसमें बरारी प्रमुख प्रतिनिधि और मुखिया/मुखिया प्रतिनिधि शामिल हैं। डॉ. हक ने कहा कि राजद में मुसलमानों को सम्मान और अधिकार मिलता है।

By Amar Pratap Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Tue, 29 Oct 2024 03:58 PM (IST)
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प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव (जागरण फोटो)
संवाद सूत्र, सेमापुर( कटिहार)। Bihar Political News Today: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी ने खेला करना शुरू कर दिया है। तेजस्वी यादव ने प्रशांत किशोर के साथ-साथ नीतीश कुमार को भी झटका दिया है। जिसके बाद बिहार की सियासत तेज हो गई है।

तेजस्वी ने जनसुराज और जेडीयू के कई नेताओं को आरजेडी में कराया शामिल

कटिहार के बरारी प्रखंड के जनसुराज व जदयू पार्टी से जुड़े कई कद्दावर नेता ने पटना में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिलकर राजद का दामन थाम लिया है। जनसुराज के संविधान सभा के सदस्य जाने पहचाने सामाजिक क्षेत्र से जुड़े चर्म व यौन रोग विशेषज्ञ डा ऐनुल हक के नेतृत्व में बरारी प्रखंड के दो दर्जन लोगों ने राजद की सदस्यता ली। इसमें बरारी प्रमुख प्रतिनिधि सहित मुखिया व मुखिया प्रतिनिधि शामिल हैं।

इन नेताओं ने ली आरजेडी की सदस्यता

जनसुराज से जुड़े प्रखंड कोर कमेटी सदस्य सुखासन के पूर्व मुखिया इल्यास, जदयू के वैशागोविन्दपुर मुखिया मतीन प्रमुख प्रतिनिधि इल्यास मुखिया इब्राहिम, मुखिया प्रतिनिधि मशकूर आलम, रफीक, जमील अख्तर, रिजवान करीम, फतेगीर आलम, मजहर, इल्यास रौनियां के पूर्व मुखिया शालीग्राम यादव ने एक हजार रुपया के राजद की सदस्यता रसीद कटवा कर राजद की सदस्यता ग्रहण की।

डा ऐनुल हक ने कहा कि जनसुराज मुस्लमान को ठगने का काम कर रही है। राजद में मुस्लमान को सम्मान के साथ उसे अधिकार भी मिलता है। इस दौरान राजद कार्यकारणी प्रखंड अध्यक्ष तनवरी आलम, मुखिया मेकाइल आदि मौजूद थे।

प्रशांत किशोर ने बनाई पार्टी, उपचुनाव में उतारे उम्मीदवार

बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने दो साल पहले जब बिहार के गांवों की पदयात्रा शुरू की थी। राजनीतिक दलों की बात छोड़िए, आम लोगों ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन दो साल बाद अब नजारा पूरी तरह से बदल चुका है। उन्होंने अपनी पार्टी की घोषणा कर दी है। उन्होंने विधानसभा उपचुनाव में अपने उम्मीदवार भी उतार दिए।

सभी प्रमुख दलों में कुछ विशेषज्ञ चुनाव पर पड़ने वाले प्रशांत किशोर के प्रभाव का आकलन करने के लिए तैनात किए गए हैं। वे उनकी प्रतिदिन की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट करते हैं।

राजनीतिक दलों के बीच यह विमर्श शुरू हो गया है कि अगर पीके विधानसभा की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतार देते हैं तो उनके दल पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

अभी कहना मुश्किल है और स्वयं पीके भी चुनाव परिणाम को लेकर आश्वस्त नहीं हैं, लेकिन, आम लोगों के बीच जिस गंभीरता से उनकी चर्चा हो रही है, अगले विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।

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