Bihar Jamin Jamabandi: सरकारी जमीन पर 'फुटबॉल' खेलती रही इस जिले की पुलिस, जमाबंदी से जुड़ा है पूरा मामला
खगड़िया- बखरी पथ में बेला सिमरी ओलापुर गंगौर समेत अन्य जगहों पर जमीन का अधिग्रहण किया गया। जिस विभाग के लिए अधिग्रहण किया गया उसे जितनी जमीन पर कार्य करने की तत्काल जरूरत थी कार्य किया। शेष अधिग्रहित जमीन पर बाद के दिनों में संज्ञान नहीं लिया गया। जानकार का है कि पूर्व के रैयत के जमाबंदी से अधिग्रहित जमीन को नहीं घटाया गया। जिससे भू-माफियाओं का खेल चलते रहा।
जागरण संवाददाता, खगड़िया। सरकारी जमीन को सुरक्षित करने के बजाय भू-माफिया से मिलकर पुलिस सरकारी जमीन पर कागजी फुटबॉल खेलती रही। भू-माफिया के इशारे पर पुलिस धारा 144 का प्रतिवेदन भेजती रही। एसडीएम कोर्ट पुलिस के प्रतिवेदन पर अंचलाधिकारी से प्रतिवेदन सरकारी जमीन होने का प्राप्त कर केस को खारिज करती रही।
खगड़िया- बखरी पथ में बेला सिमरी, ओलापुर गंगौर समेत अन्य जगहों पर जमीन का अधिग्रहण किया गया। जिस विभाग के लिए अधिग्रहण किया गया, उसे जितनी जमीन पर कार्य करने की तत्काल जरूरत थी कार्य किया। शेष अधिग्रहित जमीन पर बाद के दिनों में संज्ञान नहीं लिया गया।
जानकार का है कि पूर्व के रैयत के जमाबंदी से अधिग्रहित जमीन को नहीं घटाया गया। जिससे भू-माफियाओं का खेल चलते रहा। जिला में कई भू-माफियाओं को इस कार्य में उस समय के अंचलाधिकारी और कर्मी सहयोग करते रहे। हालत यह है कि उसी अधिग्रहण वाली जमीन पर कई मामले कोर्ट में लंबित है, तो कई पर गंभीर विवाद उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है।
शत्रु संपदा और एनएच के सुरक्षा बांध के लिए अधिग्रहित मौजा हाजीपुर खाता 144 खेसरा 232 जो एक अरब से अधिक की जमीन है, पर एसडीएम कोर्ट खगड़िया में वाद संख्या 01 एम 2022 लाया गया। पुलिस के द्वारा 6-1-22 को 144 का प्रतिवेदन दिया गया। सीओ से प्रतिवेदन की मांग की गई। सीओ के प्रतिवेदन पर आरंभिक तौर पर ही कोर्ट के द्वारा केस को खारिज कर दिया गया। फिर कोर्ट में 592 एम-22 दायर किया गया। इसे भी सीओ के प्रतिवेदन पर यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि पक्षकार को सलाह दी जाती है कि वे सक्षम प्राधिकार में वाद दायर हेतु स्वतंत्र हैं।
पता चला कि भू-माफियाओं ने एक हजार के स्टांप पर खरीद बिक्री को लेकर उक्त सरकारी जमीन का एग्रीमेंट भी बनवा लिया था। मालूम हो कि जब डीएम के द्वारा संपूर्ण रकबा को एनएच में समाहित होने और शत्रु संपदा की जमीन बताते हुए आयुक्त और सरकार को रिपोर्ट प्रेषित कर दिया गया था तो सरकारी जमीन पर कब्जा को लेकर किसी तरह की अर्जी को स्वीकार नहीं करके सरकारी जमीन को सुरक्षा करने की जरूरत थी।
इधर, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि विवाद उत्पन्न नहीं हो इसको लेकर पुलिस 144 का प्रतिवेदन भेज देती है। बहरहाल, अधिग्रहित जमीन की पूर्व रैयत के जमाबंदी से घटाने की जरूरत है। अन्यथा आगे विवाद का बड़ा कारण यह बनते जा रहा है।
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