Move to Jagran APP

Bihar Jamin Jamabandi: सरकारी जमीन पर 'फुटबॉल' खेलती रही इस जिले की पुलिस, जमाबंदी से जुड़ा है पूरा मामला

खगड़िया- बखरी पथ में बेला सिमरी ओलापुर गंगौर समेत अन्य जगहों पर जमीन का अधिग्रहण किया गया। जिस विभाग के लिए अधिग्रहण किया गया उसे जितनी जमीन पर कार्य करने की तत्काल जरूरत थी कार्य किया। शेष अधिग्रहित जमीन पर बाद के दिनों में संज्ञान नहीं लिया गया। जानकार का है कि पूर्व के रैयत के जमाबंदी से अधिग्रहित जमीन को नहीं घटाया गया। जिससे भू-माफियाओं का खेल चलते रहा।

By Nirbhay Kumar Jha Edited By: Rajat Mourya Updated: Sat, 16 Mar 2024 06:00 PM (IST)
Hero Image
सरकारी जमीन पर 'फुटबॉल' खेलती रही इस जिले की पुलिस, जमाबंदी से जुड़ा है पूरा मामला
जागरण संवाददाता, खगड़िया। सरकारी जमीन को सुरक्षित करने के बजाय भू-माफिया से मिलकर पुलिस सरकारी जमीन पर कागजी फुटबॉल खेलती रही। भू-माफिया के इशारे पर पुलिस धारा 144 का प्रतिवेदन भेजती रही। एसडीएम कोर्ट पुलिस के प्रतिवेदन पर अंचलाधिकारी से प्रतिवेदन सरकारी जमीन होने का प्राप्त कर केस को खारिज करती रही।

खगड़िया- बखरी पथ में बेला सिमरी, ओलापुर गंगौर समेत अन्य जगहों पर जमीन का अधिग्रहण किया गया। जिस विभाग के लिए अधिग्रहण किया गया, उसे जितनी जमीन पर कार्य करने की तत्काल जरूरत थी कार्य किया। शेष अधिग्रहित जमीन पर बाद के दिनों में संज्ञान नहीं लिया गया।

जानकार का है कि पूर्व के रैयत के जमाबंदी से अधिग्रहित जमीन को नहीं घटाया गया। जिससे भू-माफियाओं का खेल चलते रहा। जिला में कई भू-माफियाओं को इस कार्य में उस समय के अंचलाधिकारी और कर्मी सहयोग करते रहे। हालत यह है कि उसी अधिग्रहण वाली जमीन पर कई मामले कोर्ट में लंबित है, तो कई पर गंभीर विवाद उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है।

शत्रु संपदा और एनएच के सुरक्षा बांध के लिए अधिग्रहित मौजा हाजीपुर खाता 144 खेसरा 232 जो एक अरब से अधिक की जमीन है, पर एसडीएम कोर्ट खगड़िया में वाद संख्या 01 एम 2022 लाया गया। पुलिस के द्वारा 6-1-22 को 144 का प्रतिवेदन दिया गया। सीओ से प्रतिवेदन की मांग की गई। सीओ के प्रतिवेदन पर आरंभिक तौर पर ही कोर्ट के द्वारा केस को खारिज कर दिया गया। फिर कोर्ट में 592 एम-22 दायर किया गया। इसे भी सीओ के प्रतिवेदन पर यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि पक्षकार को सलाह दी जाती है कि वे सक्षम प्राधिकार में वाद दायर हेतु स्वतंत्र हैं।

पता चला कि भू-माफियाओं ने एक हजार के स्टांप पर खरीद बिक्री को लेकर उक्त सरकारी जमीन का एग्रीमेंट भी बनवा लिया था। मालूम हो कि जब डीएम के द्वारा संपूर्ण रकबा को एनएच में समाहित होने और शत्रु संपदा की जमीन बताते हुए आयुक्त और सरकार को रिपोर्ट प्रेषित कर दिया गया था तो सरकारी जमीन पर कब्जा को लेकर किसी तरह की अर्जी को स्वीकार नहीं करके सरकारी जमीन को सुरक्षा करने की जरूरत थी।

इधर, एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि विवाद उत्पन्न नहीं हो इसको लेकर पुलिस 144 का प्रतिवेदन भेज देती है। बहरहाल, अधिग्रहित जमीन की पूर्व रैयत के जमाबंदी से घटाने की जरूरत है। अन्यथा आगे विवाद का बड़ा कारण यह बनते जा रहा है।

सीओ के प्रतिवेदन के आलोक में ऐसे मामलों को आरंभिक तौर पर ही खारिज कर दिया जाता है। - अमित अनुराग, एसडीएम खगड़िया

सीओ ने डीएम के आदेश को भी नहीं माना था: वरीय अधिवक्ता

सिविल कोर्ट खगड़िया के वरीय अधिवक्ता राजीव प्रसाद उर्फ पिंकू जी का कहना है कि अधिग्रहित जमीन को पूर्व के रैयत के जमाबंदी से नहीं घटाने से सरकारी कर्मी और भू-माफिया की मिलीभगत से करोड़ों की खरीद बिक्री होती रही। 2009 में तत्कालीन डीएम को जानकारी दी गई। डीएम द्वारा सीओ को सख्त निर्देश दिए गए।

बावजूद अधिग्रहित जमीन की जमाबंदी से भू-माफियाओं ने सीओ व कर्मी से मिलकर कई जमाबंदी कायम करवा लिया। वरीय अधिवक्ता ने बताया कि कि उनके पिता कृष्णानंद प्रसाद के नाम जमाबंदी 350 में कई एकड़ जमीन अधिग्रहण हो गया। मगर जमाबंदी से नहीं घटाया गया। भू-माफियाओं ने दूसरे हिस्सेदार की जमीन लिखवा ली और उनके पिता के नाम जमाबंदी जो अधिग्रहित जमीन थी घटाकर कायम कर लिया गया। उनके पिता के द्वारा तत्कालीन डीएम को जानकारी दी गई। मगर उस समय के सीओ व कर्मी के द्वारा डीएम के आदेश को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया। जिस हिस्सेदार की जमीन खरीद कर मेरे पिता के जमाबंदी से घटा दिया गया, उस हिस्सेदार ने टाइटिल केस भी किया।

इधर कई मामले ऐसे हैं जो रैयतों से जमीन अधिग्रहण की गई, जमीन के एवज में राशि भी प्राप्त की। उसमें कई स्वर्ग सिधार गए। जमाबंदी से अधिग्रहित जमीन को नहीं घटाया गया। उनके वंशज जमीन को अपना बताकर बड़ा खेल कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें- Bihar Land Registry Revenue: जमाबंदी की शर्त के बाद रजिस्ट्री में भारी कमी, नीतीश सरकार को 1000 करोड़ का नुकसान

ये भी पढ़ें- Bihar Land Record Online: अब जमीन से जुड़ा सारा काम होगा ऑनलाइन, सरकारी दफ्तरों के नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।