जागरण संवाददाता, खगड़िया। जमीन सर्वे शुरू होने के बाद से उथल-पुथल मची हुई है। ऊहापोह की हालत उत्पन्न हो गई है। एक तरफ कई रैयत जरूरी कागजात उपलब्ध नहीं होने से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर भू-माफिया सर्वे कार्य की सूरत को बिगाड़ सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो, कई भू-माफिया जिला बंदाेबस्त पदाधिकारी, सर्वेयर आदि की गणेश परिक्रमा में लगे हुए हैं।
सरकारी परियोजनाओं में अधिग्रहित जमीन बना जी का जंजाल
बड़ा सवाल यह है कि बड़ी-बड़ी सरकारी परियोजनाओं में जमीन अधिग्रहित की गई। मगर जब फाइल की बात हुई, तो वह गायब है।
अब संबंधित अधिकारी एक-दूसरे के यहां फाइल होने की बात कहकर मामले को और उलझा रहे हैं।
जानकार सूत्रों का कहना हुआ कि खगड़िया जेल, खगड़िया-बखरी पथ, 72 एकड़ जमीन, एनएच 31 जैसी परियोजना की जमीन अधिग्रहण के कई फाइल नहीं मिल रहे हैं।
बात यहीं तक नहीं है, पूर्व में अधिग्रहित ऐसी जमीन की जमाबंदी पूर्व रैयत की जमीन से नहीं घटाया गया है। अब भी ऐसी कई जमीन की पूर्व रैयत के नाम से ही जमाबंदी चल रही है और उनके पूर्वजों द्वारा भू-माफिया से मिलकर अधिग्रहित जमीन की खरीद- बिक्री की जाती रही और जमाबंदी भी कायम होते गया।
खगड़िया- बखरी पथ के अधिग्रहण को लेकर जब पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता से जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने हाथ खड़े करते हुए कहा कि पूर्व में मुंगेर और बेगूसराय से जमीन का अधिग्रहण हुआ था। इसलिए ना तो पूरी जानकारी है और ना ही अधिग्रहण के समुचित कागजात ही हैं।
रजिस्ट्रार के पत्र पर आठ महीने के बाद भी नहीं लिया गया संज्ञान
जिला अवर निबंधक नवनीत कुमार द्वारा जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को 16 मार्च को ही पत्र लिखकर कहा गया था कि खगड़िया- बखरी पथ में ओलापुर- गंगौर सहित अन्य मौजा में भू-अर्जित खेसरा से संबंधित सूची को उपलब्ध कराई जाए, ताकि ऐसी जमीन की खरीद- बिक्री पर रोक लगाई जा सके। आज तक उक्त पत्र का जवाब भू- अर्जन कार्यालय द्वारा नहीं दिया गया।
मामला जब जिला लोक शिकायत में लाया गया, तब बताया गया कि खगड़िया-बखरी पथ के अधिग्रहण से संबंधित फाइल को खोजा गया, मगर अब तक नहीं मिला है।
कार्यालय के कुछेक बाबुओं का कहना हुआ कि मुंगेर और बेगूसराय से उस समय अधिग्रहण की कार्रवाई हुई थी, मगर अधिग्रहण से संबंधित फाइल कहां है, इसकी आगे खोज- खबर नहीं ली गई।
ऐसे में पूर्व रैयत के नाम से चल रहे जमाबंदी और लगान रसीद के आधार पर सर्वेयर प्रभारी की विवशता होगी कि सरकारी अधिग्रहित जमीन को भी रैयत के कालम में शामिल कर दिया जाएगा।
नहीं मिल रहे जेल के कागजात
बड़ा सवाल है कि खगड़िया जेल के कोई कागजात नहीं मिल रहे हैं।
पटना मुख्यालय से लेकर खगड़िया के जेल अधिकारियों तक अंचल कार्यालय को पत्र लिखकर दाखिल खारिज को लेकर प्रयास कर चूके हैं। मगर अंचल प्रशासन का कहना हुआ कि बिना कागजात के दाखिल खारिज कैसे होगा?
सूत्रों का कहना हुआ कि जब तक जमाबंदी नहीं हो जाती, सरकार द्वारा मिलने वाले समुचित लाभ जेल को नहीं मिल सकेगा। सवाल उठ रहा है कि क्या जेल की जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ था? क्या पूर्व में प्रशासन द्वारा जबरदस्ती किसी की जमीन पर जेल निर्माण करा दिया गया था?
ऐसे कई सवाल हैं, जो सर्वे को लेकर बाधा उत्पन्न कर सकता है।
लगातार पटना मुख्यालय से जेल की जमीन की जमाबंदी कराने को लेकर दबाव दिया जा रहा है। अंचल कार्यालय कागजात की मांग कर रहे हैं। मगर कोई कागजात नहीं रहने से अबतक जमाबंदी कायम नहीं हो पाई है।
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धर्मेंद्र कुमार, मंडल काराधीक्षक खगड़िया
अधिग्रहण जिला भू-अर्जन कार्यालय से होता है। जिस जमीन की सूची उक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी, उसे अधिग्रहित मानकर आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
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सुशील कुमार भारती, सर्वे कैंप प्रभारी, कासिमपुर कैंप, खगड़िया।
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