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पूर्णिया में ‘पीला सोना’ के भाव में है उछाल तो खगड़िया में नहीं मिल रहे खरीदार; कम दाम पर बेचने को मजबूर किसान

मक्के की फसल की कटनी के साथ-साथ बेचने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। खगड़िया में कई किसान तैयार फसल को बेचने के लिए व्यवसायी और महाजन को ढूंढ रहे हैं लेकिन खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं।

By Amit JhaEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 10 May 2023 09:52 PM (IST)
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खगड़िया के किसान 15 से 16 सौ रुपये क्विंटल मक्का बेचने को विवश।
जागरण संवाददाता, खगड़िया: मक्के की फसल की कटनी के साथ-साथ बेचने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। कई किसान तैयार फसल को बेचने के लिए व्यवसायी और महाजन को ढूंढ रहे हैं लेकिन खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं। अगर कुछ महाजन-व्यवसायी तैयार भी हो रहे हैं तो 15 से 16 सौ रुपये प्रति क्विंटल एक दो माह के उधार पर खरीदने को तैयार हो रहे हैं।

यहां से सौ किलोमीटर दूर पूर्णिया में मक्का का रेट 17 सौ रुपये क्विंटल है। वहां बड़ी कंपिनयां भी मक्के की खरीद कर रही हैं। वहां के किसानों की बल्ले-बल्ले हैं, जबकि खगड़िया के बेलदौर के किसान परेशान हैं। उन्हें उनके अनाज का सही रेट नहीं मिल रहा है। यहां के किसानों का कहना है कि 2022 में दो हजार से 24 सौ रुपये प्रति क्विंटल तक मक्का बिका था लेकिन इस 15 से 16 सौ रुपये का रेट मिल रहा है। वह भी तुरंत भुगतान नहीं हो रहा है।

रैक प्वाइंट किसानों की पहुंच से है दूर

बेलदौर से नजदीकी रैक प्वाइंट मानसी है, इसकी दूरी 50 किलोमीटर के आसपास है। यहां साधारण किसानों की पहुंच नहीं हैं। रैक पाइंट पर एक क्विंटल में एक किलो ढलता लिया जाता है। इसके साथ ही जीर्ण-शीर्ण बोरा के नाम पर प्रत्येक ट्रेलर 10 खाली बोरे का दाम काटा जाता है।

ट्रैक्टर मालिक 40 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मक्का ढुलाई करते हैं। औसतन एक ट्रेलर पर 70 क्विंटल मक्का लोड होता है, जिसका भारा 28 सौ रुपये पर जाता है। रैक प्वाइंट पर उन्हें लंबा इंतजार भी करना पड़ता है। इस कारण किसान रैक प्वाइंट पर भी मक्का नहीं बेच पा रहे। बेलदौर के किसानाें के लिए जब मानसी रैक प्वाइंट आसान नहीं है तो पूर्णिया का बाजार बहुत दूर की बात है।

व्यथा में डूबे हैं किसान

मक्का की जिले में सबसे अधिक खेती बेलदौर में होती है। यहां 12 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है, जबकि जिले में 50 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। उपज की बात करें तो जिले में लगभग तीन लाख 50 हजार मीट्रिक टन पैदावार होती है।

इतमादी के किसान मंटूलाल मंडल ने बताया कि एक हेक्टेयर मक्का की खेती में 25 से 30 हजार रुपये खर्च आते हैं। एक हेक्टेयर में 65 क्विंटल मक्का होती है। डिमांड कम होने से व्यवसायी भी मक्का खरीदने में हिचक रहे हैं, जबकि बीते 2022 में 2030 से 24 सौ रुपये प्रति क्विंटल मक्का का रेट किसानों को मिला। वहीं पचौत के किसान सुमन कुमार ने कहा कि अब मक्का तैयार है तो खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मिल रहे हैं तो रेट सही नहीं दे रहे हैं।

क्या बोले अधिकारी

जिला सहकारिता पदाधिकारी, खगड़िया दीपक कुमार ने कहा कि सहकारिता विभाग धान और गेहूं की खरीद करती है। मक्के की खरीद को लेकर सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं मिली है।

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