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42 साल पहले का वो खौफनाक मंजर, जब बागमती नदी में समाई थी ट्रेन; गई थी सैकड़ों लोगों की जान

Train Accident 6 जून की तारीख आज भी उन परिवारों को पीड़ा दे जाती है जिन्होंने हादसे में अपनों को खोया। बताया जाता है कि जानवरों को बचाने के लिए ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया जिससे ट्रेन नदी में गिर गई।

By Amit JhaEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 06 Jun 2023 05:00 PM (IST)
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आज ही मानसी-सहरसा रेल खंड पर बागमती में समाई थी ट्रेन।
चितरंजन सिंह, संवाद सूत्र, चौथम (खगड़िया): 6 जून, 1981 के ‘स्याह दिन’ को खगड़िया समेत कोसी इलाके के लोग कभी भी भूल नहीं सकते हैं। तब मानसी-सहरसा रेलखंड (छोटी लाइन) पर बदला घाट व धमारा घाट के बीच पुल संख्या 51(वर्तमान में यह परित्यक्त पुल घोषित है) पर हुए रेल हादसे में बड़ी संख्या में लोग काल के गाल में समा गए थे। मरने वालों का सरकारी आंकड़ा तीन सौ का था।

सात डिब्बे बागमती नदीं में गिरे थे

416 डाउन पैसेंजर ट्रेन के सात डिब्बे बागमती नदी में गिर गए थे। इनमें एक हजार से ज्यादा लोग सवार थे। हैरानी की बात ये है कि इस हादसे के सही कारण का आज तक पता नहीं चल सका है। छह जून की शाम को मानसी से पैसेंजर ट्रेन सहरसा की तरफ जा रही थी। कहा जाता है कि जिस समय घटना घटी, उस समय आंधी चल रही थी और वर्षा हो रही थी।

आंधी और वर्षा से बचने के लिए यात्रियों ने खिड़कियों को बंद कर लिया था। ट्रैक पर एकाएक मवेशी आ गए और उन्हें बचाने के लिए ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया और ट्रेन लहराकर नदी में गिर गई।

कई दिनों तक निकाले जा रहे थे शव

कई दिनों तक बागमती नदी से शव बरामद किए जाते रहे। बागमती के किनारे कोहराम मचा रहा। छह जून की तारीख आज भी उन परिवारों को पीड़ा दे जाती है जिन्होंने अपने को खोया। किसी के पति, तो किसी के पुत्र, किसी के पिता, किसी के भाई बागमती में समा गए। मरने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल थे।

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