प्रथम पेज: बाल-बाल बची जनहित एक्सप्रेस
खगड़िया। मानसी-सहरसा रेलखंड पर धमारा घाट स्टेशन के आउटर सिग्नल के समीप गुरुवार को पटना से सहरसा की ओर जा रही जनहित एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 13206) दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बल बच गई। जानकारी अनुसार आउटर सिग्नल के पास पटरी धंसी होने के कारण इंजन झुकने लगा।
खगड़िया। मानसी-सहरसा रेलखंड पर धमारा घाट स्टेशन के आउटर सिग्नल के समीप गुरुवार को पटना से सहरसा की ओर जा रही जनहित एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 13206) दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बल बच गई। जानकारी अनुसार आउटर सिग्नल के पास पटरी धंसी होने के कारण इंजन झुकने लगा। ड्राइवर की सूझ-बुझ से ट्रेन रोकी गई। गनीमत थी कि ट्रेन स्टेशन से खुली ही थी। अगर रफ्तार पकड़ी होती, तो हादसा से इंकार नहीं किया जा सकता।
सूत्रों की माने तो स्टेशन अधीक्षक की गलती की वजह से ऐसा हुआ। सूत्रों के अनुसार ट्रेन को लाइन संख्या एक पर लाना था। लेकिन स्टेशन अधीक्षक द्वारा ट्रेन को लाइन संख्या तीन पर सिग्नल दे दिया गयाजबकि उक्त ट्रैक पर आउटर सिग्नल के समीप मरम्मत कार्य भी चल रहा था। जैसे ही ट्रेन सहरसा की ओर रवाना हुई आउटर सिग्नल के समीप इंजन के आगे का भाग झुकने लगा। इंजन के आगे का हिस्सा पटरी में सट गया। ड्राइवर ने अपनी सूझ-बुझ से ट्रेन रोकी। इससे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई।वरीय पदाधिकारियों की घंटी स्टेशन पर बजने लगी। स्टेशन अधीक्षक को जबाव देते नहीं बन रहा था। लगभग दो घंटे से अधिक तक ट्रेन रुकी रही। स्टेशन अधीक्षक द्वारा पुन: मेमो दिया गया, तब जाकर ट्रेन सहरसा को रवाना हुई।
इस बावत स्टेशन अधीक्षक से कई बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने जबाव देना मुनासिब नहीं समझा।
कोट
'स्टेशन अधीक्षक द्वारा जिस ट्रैक पर सिग्नल दिया गया उसपर ट्रेन का परिचालन किया गया। संयोगवश मुझे एहसास हो गया कि इंजन झुक रहा है। किसी तरह ट्रेन रोकी गई। नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।'
नारायण ¨सह, चालक, जनहित एक्सप्रेस।
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