Move to Jagran APP

बिहार में है प्रभु राम की बड़ी बहन का ससुराल, पर्वत-वन के बीच आस्था; इतिहास और प्रकृति से भेंट कराता है पवित्र श्रृंगीऋषि धाम

बिहार का लखीसराय जिला धार्मिक यात्रा के लिए अच्छा है। यह भूभाग रामायण सर्किट के तहत विकास के लिए प्रस्तावित है। माना जाता है कि भगवान राम की बड़ी बहन का यहां ससुराल है। ऐसे में आप आस्था के साथ इतिहास और प्रकृति से भेंट के लिए यहां की यात्रा कर सकते हैं। यहां स्थित विशाल मोरवे डैम का नीला पानी और हरीतिमा मन मोह लेती है।

By Mritunjai Mishra Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 14 Jun 2024 08:27 PM (IST)
Hero Image
लखीसराय स्थित श्रीइंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोक धाम। जागरण
मृत्युंजय मिश्रा, लखीसराय। यदि कहीं यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं तो बिहार का लखीसराय भी आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यहां प्रभु राम से जुड़ा पवित्र श्रृंगीऋषि धाम है, जहां आप पर्वत-वन के बीच आस्था, इतिहास और प्रकृति से भेंट कर सकते हैं।

बिहार सरकार की ओर से रामायण सर्किट के प्रस्तावित भाग में जनजातीय जीवनशैली से भी परिचित होने का अवसर मिल सकता है। यहां का विशाल मोरवे डैम का नीला पानी मन मोह लेता है।

निकट ही छोटी अयोध्या कहे जाने वाले बड़हिया में मां बाला त्रिपुर सुंदरी सिद्धपीठ और जयनगर पहाड़ी पर विश्व की एकमात्र महिला बौद्ध भिक्षुणियों का आराधना स्थल है।

शृंगीऋषि धाम

पहाड़ी शृंखलाओं के बीच यह स्थल पौराणिक, धार्मिक एवं रमणीक है। यहां की प्राकृतिक छटा शिमला और दार्जीलिंग की अनुभूति कराती है। यह पहाड़ की ऊंचाई पर वह स्थान है, जहां कभी शृंगीऋषि तप किया करते थे।

भगवान राम की शांता नामक एक बड़ी बहन थीं। शांता का विवाह शृंगीऋषि के साथ हुआ था। धाम पर जलकुंड भी है और यज्ञशाला के अवशेष भी।

इसी यज्ञकुंड में त्रेता युग में राजा दशरथ ने आकर पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। श्रीराम सहित चार संतान के जन्म लेने के बाद उन्होंने उनका मुंडन संस्कार भी यहीं कराया था।

लखीसराय के बड़हिया में पिंड स्वरूपा मां बाला त्रिपुर सुंदरी। जागरण

यहां की वादियां काफी सुंदर हैं। पहाड़ के नीचे मोरवे डैम का विशाल जलाशय है, जिसका नीला पानी लोगों को रोमांचित करता है।

पहाड़ी पर जनजातियों की छोटी-छोटी बस्तियां हैं, जो अलग भारतीय-संस्कृति का एहसास पर्यटकों को कराती हैं। इस स्थल को रामायण सर्किट से जोड़ने की पहल बिहार सरकार कर रही है।

अयोध्या से जानकीधाम सीतामढ़ी, बक्सर एवं शृंगीऋषि धाम के जुड़ने से राष्ट्रीय मानचित्र पर यह स्थल भविष्य में दिखेगा।

लखीसराय के बड़हिया स्थित मां बाला त्रिपुर संदरी मंदिर। सौजन्य : मंदिर कमेटी

जयनगर लाली पहाड़ी

लखीसराय गौतम बुद्ध की भी तपोभूमि रही है। प्राचीन काल में इसे कृमिला के नाम से जाना जाता था। कृमिला गौतम बुद्ध के शिष्य थे।

जयनगर लाली पहाड़ी, घोषी कुंडी, बिछवे पहाड़ी सहित कई स्थल यहां गौतम बुद्ध से जुड़े हुए हैं। जिला मुख्यालय स्थित जयनगर लाली पहाड़ी की खोदाई राज्य सरकार ने कराई है।

लखीसराय स्थित शृंगीऋषि धाम पर श्रद्धालुओं की भीड़। जागरण

यहां विश्व के पहले और इकलौते महिला बौद्ध भिक्षुणियों के आराधना स्थल के अवशेष मिले हैं। इन्हें संरक्षित किया जा रहा है।

पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बनी हुई है। इस पर चढ़ने के बाद गंगा का किनारा, जंगल-पहाड़ की हरियाली एवं विस्तृत नगर को देखा जा सकता है।

लखीसराय में शृंगीऋषि धाम की पहाड़ियों के बीच मोरवे डैम। जागरण

मां बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर

लखीसराय जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बड़हिया एक आध्यात्मिक नगर है। गंगा के किनारे स्थित इस नगर के मध्य में ऊंचे टीले पर मां बाला त्रिपुर सुंदरी मिट्टी के पिंड के रूप में विराजमान हैं।

मंदिर के मध्य में स्थित एक पौराणिक कूप (कुआं) के जल से ही मां की पूजा की जाती है। इस धाम को सिद्धपीठ के रूप में जाना जाता है।

लखीसराय की जयनगर लाली पहाड़ी पर खोदाई में मिले बौद्ध अवशेष। जागरण

श्रीइंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर

लखीसराय में एक पौराणिक शिवधाम है। तीन नदियों गंगा, किऊल व हरूहर से घिरे स्थल पर विशाल शिवलिंग स्थापित है।

इस जगह को श्रीइंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम नाम दिया गया। किंवदंती है कि पाल वंश के छठे राजा नारायण पाल भी इस शिवलिंग की पूजा करते थे। ऐसा कहा जाता है कि मुगलों ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।

11 फरवरी, 1993 को जगन्नाथपुरी के तत्कालीन शंकराचार्य ने मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण के बाद फिर से यहां पूजा-अर्चना कर मंदिर का उद्घाटन किया था। यहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस वर्ष आए थे।

लखीसराय स्थित श्रीइंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोक धाम। जागरण

ऐसे पहुंचें लखीसराय

  • हावड़ा-नई दिल्ली रेल लाइन पर होने के कारण आप सुगमता से रेलमार्ग से पहुंच सकते हैं।
  • सड़क मार्ग से यह एनएच 80 से जुड़ा है। पटना से सड़क मार्ग से इसकी दूरी 135 किलोमीटर और रेलमार्ग से 108 किलोमीटर है।
  • देवघर से लखीसराय 121 किलोमीटर है। पटना और देवघर दोनों जगहों पर आप हवाई जहाज से भी पहुंच सकते हैं।

अयोध्या में भी आश्रम

रामनगरी श्रृंगीऋषि की भी उपस्थिति से गौरवांवित है। यद्यपि आज भले ही इस ओजस्वी-तेजस्वी ऋषि का अस्तित्व केंद्र से करीब 30 किलोमीटर दूर रामनगरी की पूर्व दिशा में पुण्यसलिला सरयू के तट पर स्थित एक आश्रम तक सिमटा हो, किंतु उनका स्मरण राजा दशरथ का वह वह यज्ञ कराने वाले मर्मज्ञ आचार्य के रूप में होती है, जिसके फलस्वरूप भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न सहित श्रीराम का जन्म हुआ।

अशोकधाम मंदिर में शिवलिंग की पूजा करते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। सौजन्य : सूचना एवं जनसंपर्क विभाग

इस अवदान के लिए श्रीराम से संबंधित संपूर्ण वांगमय सहित संपूर्ण अयोध्या श्रृंगीऋषि के प्रति कृतज्ञ है। केंद्र से 20 किलोमीटर दूर रामनगरी के ईशानकोण पर बस्ती जिला के अंतर्गत मखौड़ा धाम में वह यज्ञस्थल भी युगों बाद चिह्नित-संरक्षित है, जहां श्रृंगीऋषि ने राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था।

यह भी पढ़ें

उत्तराखंडः भारत-चीन सीमा से सटी नीती घाटी, जहां सीमा दर्शन के साथ होती है ऐतिहासिक-पौराणिक स्थलों की सैर भी

उत्तराखंड हिमालय में चारधाम यात्रा के साथ शीत केदार दर्शन भी, जानें इन मंदिरों का माहात्म्य

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।