Bihar Election: रिश्तेदारी के बहाने वोटरों को रिझाने की कोशिश, पकड़ में नहीं आ रहा मतदाता; टेंशन में उम्मीदवार
Bihar Politicsबिहार में इस बार वोटरों का मिजाज पकड़ना मुश्किल हो रहा है। उम्मीदवार समझ नहीं पा रहे हैं कि वोटर किस तरफ जा रहे हैं। जदयू के नरेश पासवान व्यवसायिक प्रकोष्ठ के अशोक चौधरी लगातार अपनी जाति व रिश्तेदारी में पक्ष में वोट डालने की बात कहकर घूम रहे हैं। इनके अलावा अन्य नेता भी यही उपाय अपना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मधेपुरा। Madhepura News: लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान अब तेज हो चुका है। इस बार मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशी और उनके समर्थकों को परेशान कर रही है। ऐसे में मतदाताओं को रिझाने की कोशिश में प्रत्याशी और और उनके समर्थक जुट गए हैं।
जदयू के नरेश पासवान, व्यवसायिक प्रकोष्ठ के अशोक चौधरी लगातार अपनी जाति व रिश्तेदारी में पक्ष में वोट डालने की बात कहकर घूम रहे हैं। वहीं परिवहन मंत्री शीला मंडल ने भी क्षेत्र में दो दिनों तक घूमकर प्रचार किया। इधर राजद से विनीता भारती भी पक्ष में करने के लिए लोगों के बीच जा रही है। इसके अलावा जयकांत यादव भी लगे हुए हैं।
रिश्तेदारों के जरिए वोटरों के पास पहुंचने की कोशिश
मालूम हो कि मधेपुरा लोकसभा में राजद और जदयू के प्रत्याशी के बीच मुकाबला है। ऐसे में दोनों प्रत्याशी और उनके समर्थक वोटरों को साधने के लिए रिश्तेदारों के बहाने उनके घर पहुंच कर अपने पक्ष में मतदान करने को लेकर रिझाने में जुट गए हैं। प्रचार अभियान के दौरान जाति का विशेष ध्यान दिया जा रहा है।जिस जाति के लोग वहां उस जाति के नेताओं को भेजा जा रहा
जिस जाति के लोग जिस गांव में अधिक वहां उस जाति के नेताओं को भेजा जा रहा है। जनसंपर्क के दौरान नेताजी के कार्यकर्ता मतदाताओं को पूरी तरह से भरोसे में लेने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन मतदाता भी इस नेताओं को आश्वासन देने में पीछे नहीं हट रहे हैं। हालांकि जनसंपर्क कर लौटने पर राजद और जदयू के कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी को माहौल अपने पक्ष करने का पूरा आश्वासन देने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
रिश्तेदारों के समक्ष भी नहीं दिख रहे उत्साह
इस बार के चुनाव में वोटरों ने चुप्पी की चादर ओढ़ ली है। जनसंपर्क के लिए जाने वाले नेताओं को भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि इसकी वजह क्या है। एनडीए गठबंधन के नेता ने कहा कि मतदाताओं में कोई खास उत्साह नहीं दिख रहा है। वोट देने के नाम पर हामी तो भर रहें हैं।लेकिन प्रचार के लिए कोई दिलचस्पी भी नहीं दिखायी। उन्होंने बताया कि अपने रिश्तेदार के यहां जाकर गांव में महौल बनाने में मदद करने को कहा। लेकिन रिश्तेदारों ने कहा वोट देंगे लेकिन चुनाव प्रचार से हम लोगों को अलग रखिये। जबकि पूर्व के चुनावों में यह स्थिति नहीं थी। ऐसे में प्रचार में जाने वाले नेताजी भी सशंक्ति नजर आ रहे हैं।
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