Bihar Makka Fasal Rate: नहीं मिल रही मक्का फसल की वाजिब कीमत, हताश हो रहे किसान
किसानों के पास अपने उत्पाद के भंडारण के लिए कोई भी समुचित व्यवस्था नहीं है। लिहाजा किसान खासकर मक्का की फसल को अपने खेत से ही औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं। प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने बताया कि इस साल मक्के का मूल्य जहां 1700 से 1900 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है। जबकि लागत मूल्य 25 से 35 हजार रुपए प्रति एकड़ है
संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा)। प्रखंड क्षेत्र व आसपास के इलाकों में पीला सोना के रूप में विख्यात मक्का की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान अपने आप को काफी ठगा महसूस कर रहे हैं। मक्का की कीमत कम रहने से किसानों को लागत मूल्य भी निकालना असंभव दिख रहा है। लिहाजा मक्का उत्पादक किसान जहां दिनोंदिन आर्थिक रूप से कमजोर होकर कर्जदार होते जा रहे हैं। वहीं, नकदी फसलों में शुमार मक्का की खेती से किसानों का मोहभंग होता जा रहा है।
पुरैनी के आलोक कुमार, रंजन यादव, राजीव कुमार ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र सहित आसपास के इलाके के 75 प्रतिशत किसान आर्थिक समृद्धि का द्वार खुलने की आशा जताकर नकदी फसल के रूप में मक्का की बृहत पैमाने पर खेती करते हैं।
हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में मक्के की खेती की प्रति किसानों का रुझान काफी बढ़ा है। अन्य फसलों के मुकाबले अधिक लाभ के कारण इसके रकबे में लगातार बढ़ोतरी भी हो रही है, लेकिन फसल तैयारी के समय मक्का उत्पादक किसानों को अपने उत्पाद की बिक्री करने के लिए नजदीक में बड़ी मंडी उपलब्ध नहीं है।
एक तो मंडी का अभाव दूसरा इस इलाके में मक्का आधारित कोई भी उद्योग स्थापित नहीं रहने से किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है। लिहाजा दिन-रात मेहनत करने व व्यापक पैमाने पर मक्का की बेहतर उपज प्राप्त करने के बावजूद भी किसानों को वाजिब कीमत नहीं मिलने से वे काफी हताश हैं।
इससे नकदी फसल के रूप में विख्यात मक्का की खेती से किसानों का मोह भंग होता जा रहा है। इतनी कड़ी मेहनत के बावजूद मक्का का उचित भाव नहीं मिलने से किसान दिनोंदिन आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं।
भंडारण की नहीं है कोई व्यवस्था
अधिकांश किसानों के पास अपने उत्पाद के भंडारण के लिए कोई भी समुचित व्यवस्था नहीं है। लिहाजा किसान खासकर मक्का की फसल को अपने खेत एवं खलिहानों से ही औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं। प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने बताया कि इस साल मक्के का मूल्य जहां 1700 से 1900 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है। जबकि लागत मूल्य 25 से 35 हजार रुपए प्रति एकड़ है।
महाजनों से कर्ज लेकर करते हैं खेती
अधिकांश किसानों का कहना है कि प्रति वर्ष महाजनों से कर्ज लेकर मक्का की फसल लगाते हैं। करीब पांच महीने से अधिक दिनों तक बिना धूप-छांव का परवाह किए कड़ी मेहनत कर फसल तैयारी होने का इंतजार करते हैं। इसी फसल पर बेटे-बेटियों की शादी सहित अन्य महत्वपूर्ण घरेलू कार्य निर्भर करता है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक उत्पाद का कीमत नहीं मिलने से शादी-विवाह सहित घरेलू कार्य की बात तो दूर महाजन से लिए गए कर्ज भी चुकाना उन्हें भारी पड़ रहा है।
उद्योग व बड़ी मंडी का है आभाव
दर्जनों किसानों ने बताया की इतने वृहत पैमाने पर मक्का की खेती होने के बावजूद इस क्षेत्र में मक्का आधारित उद्योग नहीं रहने एवं मक्का बेचने के लिए इस इलाके में बड़ी मंडी एवं रैक पाइंट नहीं होने से हर वर्ष किसानों की परेशानी काफी बढ़ जाया करती है। लिहाजा किसान स्थानीय व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम पर मक्का बेचने को मजबूर हो जाते हैं।
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