Bihar: स्कूलों में LPG का विकल्प बनेगी गोबर गैस, इससे बनेगा मध्याह्न भोजन; खरीदा जाएगा 1500 से 1700 किलो गोबर
Bihar News मधुबनी के मध्य विद्यालय रहिका में पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्लांट बनाने का काम चल रहा है। यहां उत्पादित गैस से विद्यालय के 600 बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बनाया जाएगा। इसकी सफलता के बाद दूसरे स्कूलों के लिए प्लांट लगाए जाएंगे। इसके लिए लखनऊ की कंपनी आनंद इंजीनियरिंग बायो एक्सपर्ट को 50 लाख में काम दिया गया है।
ब्रजमोहन मिश्र, मधुबनी : राज्य के सरकारी और कस्तूरबा विद्यालयों में गोबर गैस एलपीजी का विकल्प बनेगी। इससे पशुपालकों के लिए आमदनी का स्रोत भी विकसित होगा, क्योंकि गोबर की खरीदारी उन्हीं से होगी।
मधुबनी के मध्य विद्यालय, रहिका में पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्लांट बनाने का काम चल रहा है। यहां उत्पादित गैस से विद्यालय के 600 बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बनाया जाएगा।
इसके अलावा पास के ही कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में रहनेवाली लगभग 400 लड़कियों के लिए भी भोजन बनेगा। इसकी सफलता के बाद दूसरे स्कूलों के लिए प्लांट लगाए जाएंगे।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण चरण-दो) और बिहार लोहिया स्वच्छता मिशन के तहत यह काम हो रहा है। इसके लिए लखनऊ की कंपनी आनंद इंजीनियरिंग बायो एक्सपर्ट को 50 लाख में काम दिया गया है।
35 किलो एलपीजी के बराबर प्रतिदिन तैयार होगी गैस
बिहार लोहिया स्वच्छता मिशन के जिला समन्वयक संजीव कुमार झा ने बताया कि तीन महीने में इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है। प्रतिदिन 1500 से 1700 किलो गोबर ग्रामीणों से खरीदा जाएगा।
इससे 70 क्यूबिक मीटर गैस का प्रतिदिन उत्पादन होगा। यह लगभग 35 किलोग्राम एलपीजी के बराबर होगी। कंपनी तीन साल तक प्लांट की देखभाल करेगी। स्कूल तक गैस पाइपलाइन बिछाने से लेकर रसोई का सारा सेट तैयार करने की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।
बारिश से प्रभावित हुआ काम
संजीव कुमार ने बताया कि जून में ही काम शुरू हुआ था, मगर बारिश के कारण बाधित हो गया। फिर से शुरू किया गया है। 90 दिनों में काम पूरा किया जाना है। इसमें चार चैंबर बनाए जाएंगे।
डाइजेस्टर, ऑटो मिक्सर यूनिट, ऑटोफिल पंप (एक एचपी), ऑटो आउटलेट 40 क्यूबिक मीटर गैस बैलून रहेगा। मध्य विद्यालय और कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की रसोई तक गैस पाइपलाइन बिछाई जाएगी।
गोबर की खरीद कंपनी करेगी। गोबर का रेट अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन अधिकतम 50 पैसे प्रति किलो हो सकता है। प्लांट से जो खाद निकलेगी, उसकी बिक्री की जाएगी।