Bihar: 'नौकरी करने वालों को ही गांधी मैदान बुलाकर दे दिया नियुक्ति पत्र', नीतीश के दावों पर प्रशांत किशोर का तंज
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे प्रशांत किशोर जन सुराज यात्रा शुरू करने के बाद से ही उनपर लगातार हमलावर हैं। प्रशांत किशोर इन दिनों शिक्षक नियुक्ति को लेकर बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे दावों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनका आरोप है कि शिक्षक नियुक्ति के नाम पर गुमराह किया जा रहा है। सवा लाख शिक्षकों की नियुक्ति को वह धोखा बता रहे हैं।
संवाद सूत्र, बासोपट्टी। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार के सवा लाख शिक्षक नियुक्ति पर सवाल खड़ा किया है। शिक्षकों की इस नियुक्ति को प्रशांत किशोर एक धोखा बता रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारे बच्चे दूसरे राज्यों में जाकर कंधों पर बोरा ढोएंगे और गुजरात-यूपी के बच्चे यहां आकर हम लोगों को पढ़ाएंगे। हजारों की संख्या में यूपी के और दूसरे राज्यों के बच्चे यहां शिक्षक बनकर पढ़ाएंगे तो हम लोग क्या करेंगे?
नीतीश कुमार ने बिहार को अनपढ़ बना दिया
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार वह राज्य है, जहां पूरी दुनिया के लोग पढ़ने के लिए आते थे और आज देखिए नीतीश कुमार के राज में पूरे बिहार को अनपढ़ बना दिया गया।
यह नीतीश कुमार की दूरदर्शिता का आलम है कि हमारे बच्चे दूसरे राज्य में ठेला लगाएंगे और वहां के बच्चे यहां आकर नौकरी करेंगे।
हमारे बच्चे मजदूरी करें और....
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के करोड़ों बच्चे बाहर जाकर मजदूरी कर रहे हैं और यूपी और मध्य प्रदेश के बच्चे यहां आकर शिक्षक बनेंगे। ये नीतीश कुमार की सोच है और उनकी नीतियों का परिणाम है।
शिक्षक नियुक्ति पर सवाल खड़ा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जिन शिक्षकों ने परीक्षा पास की है, उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जा रहा है। नियोजित शिक्षकों के सर्विस कंडीशन को बदला जा रहा है, और नई नियुक्तियां हुई ही नहीं हैं।
शिक्षक नियुक्ति का आंकड़ा जारी करे सरकार
प्रशांत किशोर ने कहा कि एक लाख 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति में एक बड़ी संख्या उन शिक्षकों की है, जो पहले से नौकरी में थे।
प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार से सवाल पूछा कि कितने नए लोगों को नौकरी मिली? उसमें कितने बच्चे बिहार के हैं? सरकार को इसका आंकड़ा जारी करना चाहिए।
बिहार सरकार के दावे पर उठाया सवाल
प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोग जो सीधे परीक्षा पास करके आए हैं, उसमें एक बड़ी संख्या में वो बच्चे हैं, जो बिहार के बाहर के हैं।
मेरा कहना है कि एक लाख 25 हजार नियुक्ति पत्र देने का बिहार सरकार जो दावा कर रही है, ये तो ऐसे हो गया कि जो लोग पहले से नौकरी कर रहे हैं, उन्हें गांधी मैदान में बुलाकर नया नियुक्ति पत्र दे दीजिए और कहें कि सब लोगों को नौकरी दे दी है।
स्थिति स्पष्ट करे सरकार
एक लाख 25 हजार में एक बड़ी संख्या उन बच्चों, शिक्षकों की है जो पहले नौकरी में थे। दूसरा एक बड़ी संख्या उन बच्चों की है जो दूसरे राज्यों से आए हैं, वे बिहार के बच्चे नहीं हैं। कुछ हजार बच्चों को जरूर नौकरी मिली है।
सरकार को ये स्पष्ट करना चाहिए कि एक लाख 25 हजार में कितने नए लोगों को नौकरी मिली है, कितने बिहार के बच्चों को नौकरी मिली और कितने बाहर के बच्चों को नौकरी मिली है?
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