Bihar news: मधुबनी में रोचक मामला, चोरी न हों मूर्तियां, इसलिए घर को बनाया संग्रहालय
Madhubani news मधुबनी में स्थित वाचस्पति संग्रहालय की मूर्तियों व अन्य सामग्री को सेवानिवृत्त हो चुके प्रधान सहायक ने रखा है घर में। सरकार को पत्र लिखने के बावजूद इन्हें सहेजने की नहीं की गई पहल 26 प्रकार की दुर्लभ व बहुमूल्य सामग्री के रखरखाव की चिंता।
By Kapileshwar SahEdited By: Dharmendra Kumar SinghUpdated: Thu, 17 Nov 2022 04:15 PM (IST)
मधुबनी, {कपिलेश्वर साह}। वषर्षों पहले मिथिला में हुई खोदाई में निकलीं मूर्तियों व पुरातात्विक सामग्री को संग्रहालय की जगह निजी आवास पर रखा गया है। सिर्फ इसलिए कि ये सुरक्षित रहें। चोरों से बचाने के लिए मधुबनी के अंधराठा़़ढी वाचस्पति संग्रहालय के निवर्तमान प्रधान सहायक पं. हरिदेव झा को आठ वषर्ष पूर्व यह निर्णय लेना प़़डा था। उन्होंने 26 प्रकार की दुर्लभ व बहुमूल्य सामग्री को अपने घर में सहेजकर रखा है। यहां जो सामग्री रखी गई हैं, उनमें मिथिला के प्रथम राजा और कर्नाट वंश के संस्थापक नान्यदेव की नामांकित सूर्य प्रतिमा, पत्थर व धातु निर्मित कलाकृतियां, शिलालेख, स्थापत्य शिल्प के नमूने, यक्षिणी, बोधित्सव, बालगोपाल, सिंहवाहिनी दुर्गा, विभिन्न आकार के शिवलिंग व जलधारी, अष्टदल कमलासीन भगवान बुद्ध, श्रीविष्णु, श्रीलक्ष्मी, श्रीमंत्र, सोना व चांदी के चार सिक्के, पांडुलिपि, चौखट आदि हैं।
2000 में हुआ था अधिग्रहण
मूर्तियों को संभाल रहे पं. हरिदेव झा कहते हैं कि अंधराठा़़ढी प्रखंड क्षेत्र में मिलने वाली देव प्रतिमाएं व अन्य प्राचीन सामग्री को सहेजने के लिए 1969 में उनके पिता पं. सहदेव झा के नेतृत्व में वाचस्पति संग्रहालय की स्थापना हुई थी। तब वाचस्पति संग्रहालय विकास समिति के बैनर तले इसकी देखरेख होती थी। 1983 में तत्कालीन जिलाधिकारी अशोक सिह की पहल पर संग्रहालय भवन का शिलान्यास किया गया। दो वषर्ष बाद 1985 में दरभंगा के तत्कालीन कमिश्नर बी. कृष्णन द्वारा भवन का उद्घाटन किया गया। 2000 में बिहार सरकार द्वारा संग्रहालय का अधिग्रहण कर लिया गया, हालांकि इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया। 2009 में पं. सहदेव झा के निधन के बाद पं. हरिदेव झा दायित्व संभाल रहे हैं। बताते हैं कि 2010 से 2013 के बीच कला--संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव, निदेशक व मंत्री को एक दर्जन पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया था, लेकिन किसी का ध्यान नहीं गया।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।