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Madhepura Dm Car Accident: मधेपुरा डीएम की गाड़ी से हादसा प्रकरण में कई जवाब अधूरे, फिर भी जांच हो गई पूरी

Madhepura Dm Car Accident बिहार में मधेपुरा के जिलाधिकारी (डीएम) की गाड़ी से दुर्घटना मामले में मधुबनी पुलिस ने शुक्रवार को जांच तो पूरी कर ली लेकिन कई प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ दिया। पुलिस की जांच हादसे के कारणों तक ही सिमटी रह गई जिसके आधार पर डीएम के वाहन चालक का ड्राइविंग लाइसेंस रद करने की बात कही गई है।

By Jagran NewsEdited By: Sanjeev KumarUpdated: Sun, 03 Dec 2023 12:12 PM (IST)
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मधेपुरा डीएम की कार दुर्घटना पर सवाल (जागरण)

 जागरण संवाददाता, मधुबनी। बिहार में मधेपुरा के जिलाधिकारी (डीएम) की गाड़ी से दुर्घटना मामले में मधुबनी पुलिस ने शुक्रवार को जांच तो पूरी कर ली, लेकिन कई प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ दिया। पुलिस की जांच हादसे के कारणों तक ही सिमटी रह गई, जिसके आधार पर डीएम के वाहन चालक का ड्राइविंग लाइसेंस रद करने की बात कही गई है।

दुर्घटना के बाद चालक और वाहन में सवार लोग भाग गए थे। भागने वाले कौन थे और उन पर नियम के तहत क्या कार्रवाई हुई, इस पर पुलिस मौन रह गई। दुर्घटनाग्रस्त वाहन से मिले बैग किसके थे, यह भी अब तक पता नहीं चल पाया।

बता दें कि विगत 21 नवंबर को मधुबनी जिले के फुलपरास स्थित एनएच-57 पर मधेपुरा डीएम विजय प्रकाश मीणा की गाड़ी से कुचलकर मां-बेटी सहित तीन लोगों की मृत्यु हो गई थी। हादसे में एक मजदूर घायल हो गया था।

इस मामले में मधुबनी के एसपी सुशील कुमार ने शुक्रवार को बताया कि हादसे की जांच पूरी हो गई। मोटरयान निरीक्षक (एमवीआइ) और फोरेंसिक टीम ने जांच में पाया कि गाड़ी में किसी प्रकार की तकनीकी खराबी नहीं थी। दुर्घटना बक्सर के के दहिवार निवासी चालक भुट्टो पासवान की लापरवाही से हुई।

चालक पर सीआरपीसी की धारा 41 (ए) के तहत कार्रवाई की गई है। जानकारों की मानें तो इसके तहत पुलिस बिना सूचना दिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। पुलिस के नोटिस भेजने पर यह उस व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है कि निर्देशों का पालन करते हुए तय समय पर पुलिस के सामने उपस्थित हो।

फुलपरास हादसे के बाद घटनास्थल से डीएम के वाहन के चालक और उसमें सवार यात्री भाग गए थे। उन्होंने हताहतों को उपचार दिलाने की जिम्मेदारी नहीं निभाई। इस तरह के मामले को गैर इरादतन हत्या के रूप में दर्ज किया जाता है, लेकिन यहां पुलिस ने चालक और वाहन में सवार लोगों को राहत दे दी।

इतना ही नहीं मधुबनी एसपी ने खुद स्पष्ट भी किया कि उनकी जांच में यह प्रश्न ही नहीं था कि मधेपुरा डीएम गाड़ी में थे या नहीं। वहीं, न तो मधेपुरा जिला प्रशासन और न ही जांच टीम ने यह बताया कि डीएम की गाड़ी सर्विसिंग के लिए कब और क्यों भेजी गई थी, उसमें क्या खराबी थी।

यह भी पता नहीं लगाया गया कि सर्विसिंग के लिए गाड़ी पटना के किसी सेंटर पर भेजी गई थी। यह भी बड़ा सवाल है कि जांच टीम मधेपुरा कब गई और किससे मिली, जबकि मधेपुरा जिला प्रशासन की टीम ने स्पष्ट किया है कि उनसे जांच टीम का कोई अधिकारी नहीं मिला।

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