तिलकोत्सव में मिथिला परिधान में नजर आएंगे प्रभु श्रीराम, VHP के स्वयंसेवकों को मिली बड़ी जिम्मेदारी
अयोध्या में होने वाले तिलकोत्सव की तैयारियां मधुबनी में भी जोरों पर हैं। प्रभु श्रीराम और उनके भाइयों के लिए मिथिला की परंपरा के अनुसार वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं। मिथिला पेंटिंग की छटा बिखेरते वस्त्र पाग और दोपटा प्रमुख होंगे। इन वस्त्रों को अयोध्या भेजे जाने वाले उपहारों में शामिल किया जाएगा। मधुबनी के कलाकार तैयार वस्त्रों को VHP के स्वयंसेवकों को सौंपेंगे जो उन्हें जनकपुरधाम ले जाएंगे।
कपिलेश्वर साह, मधुबनी। अयोध्या में तिलकोत्सव के लिए मधुबनी में भी तैयारी चल रही है। प्रभु श्रीराम और उनके तीनों भाइयों के लिए मिथिला की परंपरा के अनुरूप वस्त्र तैयार किए जा रहे हैं। मिथिला पेंटिंग की छटा बिखेरते वस्त्र, पाग और दोपटा प्रमुख होंगे। तिलकोत्सव में भेजे जाने वाले उपहार में इन्हें भी शामिल किया जाएगा। इन वस्त्रों पर मधुबनी पेंटिंग करने की जिम्मेदारी रामनगर की कलाकार विनीता झा और निशा झा को दी गई है।
धोती व कुर्ता के कपड़े पर छोटे-छोटे फूल, मोर पंख, हाथी, मछली सहित अन्य शुभ आकृति वाली छवि उकेरी जा रही है। वहीं, मिथिला की परंपरा के अनुसार प्रभु श्रीराम के लिए लाल रंग का पाग और मिथिला पेंटिंग युक्त आकर्षक दोपटा होगा। कपड़े से अयोध्या में कुर्ता सिलाया जाएगा।मधुबनी के कलाकार तैयार वस्त्रों को मधुबनी में विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) के स्वयंसेवक को सौंपेंगे। वे इसे जनकपुरधाम ले जाएंगे। अयोध्या में 18 नवंबर को तिलकोत्सव के लिए जनकपुरधाम से 16 नवंबर को उपहार भेजा जाएगा। उसी में सभी प्रकार के वस्त्रों को शामिल किया जाएगा।
मन-मस्तिष्क में प्रभु श्रीराम के मनमोहक स्वरूपों की छवि
कलाकार विनीता झा का कहना है कि पेंटिंग्स बनाते समय मन-मस्तिष्क में प्रभु श्रीराम के मनमोहक स्वरूपों की छवि उभरती है। उनकी छवियों से ही प्रेरणा मिलती है। दशरथ नंदन श्रीराम और जनक नंदनी जानकी तथा रामायण के प्रसंगों पर कूची चलने के साथ-साथ लाल-पीला संग अन्य रंग मुस्काते हुए उनके स्वरूप को प्रस्तुत करते हैं। पाहुन श्रीराम और माता सीता की पेंटिंग से मन को असीम शांति मिलती है।
मधुबनी पेंटिंग के केंद्र में प्रभु श्रीराम व जानकी का जीवन चरित्र
पद्मश्री कलाकार दुलारी देवी ने बताया कि मधुबनी पेंटिंग की यात्रा में सर्वाधिक पेंटिंग प्रभु श्रीराम और रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर उकेरी गई है। भगवान श्रीराम जन्म, जनकपुर आगमन, धनुष यज्ञ, स्वयंवर, वन गमन, वनवास से अयोध्या वापसी पर दीपोत्सव जैसे विभिन्न प्रसंगों पर बनाई गई पेंटिंग सबसे अधिक पसंद की जाती है।पद्मश्री कलाकार बौआ देवी ने बताया कि मधुबनी पेंटिंग की उत्पत्ति प्रभु श्रीराम और माता सीता के विवाह के समय हुई थी। सीता स्वयंवर काल में जनकपुरनगरी को स्थानीय कला से सजाया गया था। यही मिथिला (मधुबनी) पेंटिंग के रूप में प्रसिद्ध हुई। यह कला प्रभु श्रीराम व माता जानकी को समर्पित है।ये भी पढ़ें- 6 दिसंबर को होगा प्रभु श्रीराम और माता जानकी का विवाह, अयोध्या से जनकपुरधाम जाएंगे 500 बराती
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