नेपाल के एक फैसले से परेशान दो देशों के लोग, आटा-दाल पर लग रहा 15% तक टैक्स, भारतीय बाजारों में पसरा सन्नाटा
रोजमर्रा के सामानों पर शुल्क लगने का सीधा असर एक भारतीय सीमावर्ती बाजारों में नजर आ रहा है। वहीं दूसरी ओर नेपाल में रोजमर्रा के सामानों पर करीब 10 से 20 फीसदी महंगाई बढ़ गई है। इससे आम जनजीवन प्रभावित होने लगे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Wed, 14 Jun 2023 05:25 PM (IST)
संवाद सूत्र, हरलाखी: नेपाल में भारतीय बाजारों से खरीदे गए रोजमर्रा के सामानों पर सीमा शुल्क लगने लगा है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को खासा परेशानी हो रही है।
रोजमर्रा के सामानों पर शुल्क लगने का सीधा असर एक भारतीय सीमावर्ती बाजारों में नजर आ रहा है। वहीं दूसरी ओर नेपाल में रोजमर्रा के सामानों पर करीब 10 से 20 फीसदी महंगाई बढ़ गई है। इससे आम जनजीवन प्रभावित होने लगे हैं। जब इसकी पड़ताल की तो जो बातें सामने आईं, वो इस प्रकार हैं-
भारतीय बाजार की कीमत
- प्रति किलो चावल सामान्य- 20 से 40
- आटा- 40 से 50
- चीनी- 40 से 42
- दाल राहर- 120- 130
- खाद्य तेल- 125 से 140
- आलू- 15 से 20
- प्याज-18 से 20
- धनिया- 80 से 100
- हल्दी- 90 से 100
- मिर्च- 240 से 260
भंसार वैट
- चावल- 10% ××
- आटा- 15% 13%
- चीनी- 20% 13%
- दाल राहर-10% 13%
- खाद्य तेल-15% 13%
- आलू- 8% 13%
- प्याज- 8% 13%
- धनिया- 8% 13%
- हल्दी- 10% 13%
- मिर्च- 10% 13%
नेपाल के बाजार की कीमत
- प्रति किलो चावल सामान्य- 30 से 50
- आटा- 50 से 60
- चीनी- 50 से 55
- दाल राहर- 120 से 125
- खाद्य तेल- 140 से 150
- आलू- 20 से 30
- प्याज- 25 से 30
- धनिया- 100 से 125
- हल्दी- 110 से 130
- मिर्च- 260 से 300
सीमा शुल्क लगने से भारतीय बाजारों पर असर
भारत और नेपाल के बीच बेटी-रोटी का संबंध रहने के कारण दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों का एक-दूसरे के यहां आना जाना लगा रहता है। इसी क्रम में नेपाल मूल के अधिकांश लोग अपने घरेलू उपयोग के लिए रोजमर्रा का सामान भारतीय बाजार से खरीदते रहे हैं, लेकिन बीते कुछ दिनों से नेपाल में रोजमर्रा की वस्तु पर सीमा शुल्क लगने से लोगों ने भारतीय बाजारों में खरीदारी करना कम कर दिया है।
इसका भारतीय सीमावर्ती बाजारों पर काफी असर पर गया है। भारतीय सीमा पर अवस्थित किराना व्यवसायी भोगी महतो, रामविलास भगत, मुकेश कुमार, हंसराज मंडल व मंगनू माली ने बताया कि सीमा शुल्क लगने से नेपाल के ग्राहकों का आना 60 फीसदी कम हो गया है। इससे यहां के व्यवसायियों को प्रतिदिन काफी नुकसान हो रहा है।
नेपाल के ग्राहकों द्वारा भारतीय क्षेत्र के सीमा से सटे हरिणे, उमगांव व पिपरौन बाजार से प्रतिदिन करीब दस लाख रुपए से अधिक का व्यवसाय होता था। जो अब घटकर तीन से पांच लाख के बीच रह गया है।
व्यवसायियों ने यह भी कहा कि नेपाल की इस गतिविधि से सीमा पर रोजमर्रा के वस्तुओं की कालाबाजारी शुरू हो सकती है। इस विषय पर दोनों देशों के आलाकमान को ठोस पहल करने की जरूरत है ताकि सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को अनचाही महंगाई से बचाया जा सके।
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