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नेपाल की शैली में बन रहा पंडाल

जिले के मधवापुर प्रखंड मुख्यालय स्थित बाबा पंचेश्वर नाथ महादेव मंदिर प्रांगण में ग्रामीणों के सहयोग से शारदीय नवरात्र (दुर्गा पूजा) पिछलेए 60 वर्ष से होता चला आ रहा है। इस बार यहां की प्रतिमा की खासियत है कि अन्य वर्षों की अपेक्षा प्रतिमा भव्य है।

By Edited By: Updated: Sun, 02 Oct 2016 03:00 AM (IST)
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मधुबनी। जिले के मधवापुर प्रखंड मुख्यालय स्थित बाबा पंचेश्वर नाथ महादेव मंदिर प्रांगण में ग्रामीणों के सहयोग से शारदीय नवरात्र (दुर्गा पूजा) पिछलेए 60 वर्ष से होता चला आ रहा है। इस बार यहां की प्रतिमा की खासियत है कि अन्य वर्षों की अपेक्षा प्रतिमा भव्य है। ¨सह पर सवार माता का महिषासुर का रौद्र रूप में संहार करती दिखेंगी। सजावट के जदिए इसे जीवंत बनाने की योजना है। खासियत यह है कि पूजा में सभी समुदाय की भागीदारी होती है। यहां मां दुर्गा से मांगी मुरादे यहां होती है पूरी।

स्थापना का इतिहास

मधवापुर में सर्वप्रथम 1956 ई. में सीतामढ़ी जिला के चरौत महंत भगवत प्रेमी वृजनारायण दास ने अपने सामर्थ से प्रतिमा निर्माण कराकर विधि-विधान पूर्वक मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ की। 1961 तक उनके द्वारा पूजा होता रहा। इसके बाद लोगों में मां के प्रति आस्था बढ़ी और 1962 से 1970 तक स्थानीय निवासी स्व. मुंगालाल पूर्वे के द्वारा यहां पूजा का आयोजन होता रहा। उनके छोड़ने के बाद गांव के प्रबुद्ध व्यक्ति नौरतमल जैन, जगदीश गुप्ता, जगदीश चौधरी, जगदीश ठाकुर एवं स्व. देवानंद साह के द्वारा घर घर चन्दा वसूल कर मां दुर्गा की पूजा जारी रखी। इनके जाने के बाद समाज के प्रबुद्ध श्यामनंदन मिश्र, रामबहादूर पूर्वे आदि लोगों के द्वारा पूजा जारी रखा गया। इसके बाद स लेकर अबतक पूजा समिति का गठन कर यहां पूजा होती आ रही है।

आकर्षण का केन्द्र

वैसे तो प्रति वर्ष यहां का पंडाल आकर्षण का केन्द्र रहा है परंतु इस वर्ष पूजा स्थल पर भव्य व आकर्षक पंडाल एवं गेट का निर्माण अंतिम चरण में है। जो नेपाल की शैली पर आधारित है। पंडाल का रंग सफेद रखा गया है। जिस पर विद्युत की झिलमिल रोशनी से आकर्षक लगेगा। गांव के ही पंडाल निर्माता के द्वारा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है। सीतामढ़ी जिला के सुरसंड के कुशल मूर्तिकार के द्वारा मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी सहित अन्य देवी देवताओं की भव्य व आकर्षक प्रतिमा बनाई जा रही है। इसके अलावे बिजली की सजावट यहां मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। जो देखते ही बनता है।

विधि व्यवस्था पर नजर

यहां पूजा के दौरान विधि व्यवस्था बिलकुल पूजा समिति के सदस्यों के द्वारा रहती है। पूजा समिति के सैकड़ों सदस्यों को शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु बैच लगाकर पूजा स्थल पर प्रतिनियुक्त किया जा ता है। साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से लोगों को सूचित किया जाता है। इसके अलावे स्थानीय प्रशासन की ओर से दस दिनों तक पुलिस बल तैनात किए जाते हैं।

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षष्ठी तिथि को खुल जाता पट

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पूजा समिति के अध्यक्ष नीलांबर मिश्र, सचिव उमाशंकर प्रसाद गुप्ता, उपाध्यक्ष राजेश नायक आदि ने बताया कि यहां विधि विधान पूर्वक मां की पूजा की जाती है। यहां षष्ठी की तिथि से ही मां दुर्गा दरबार का पट लोगों के दर्शन और पूजन के लिए खोल दिया जाता है। विजयादशमी के दिन पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के मटिहानी से भगवान लक्ष्मी नारायण की डोला के साथ यात्रा निकाली जाती है। जिसमें बड़ी संख्या में हाथी घोड़ा, बैल गाड़ी सहित मोटर वाहन लेकर लोग भाग लेते है। विजयादशमी के अगले दिन यहां मां की प्रतिमा का विर्सजन करने की परंपरा शुरू से रही है।