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Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तरकाशी सुरंग हादसे पर प्रशांत किशोर का बयान, बोले- देश में कहीं भी दुर्घटना हो, मरता हमेशा...

प्रशांत किशोर ने उत्तरकाशी सुरंग हादसे पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि देश में कहीं भी हादसा हो उसमें मरने वाला बिहार का ही होता है। पीके ने कहा कि उत्तराखंड में टनल में जो लोग फंसे हुए हैं उसमें चार या पांच बिहार के बच्चे हैं। उन परिवारों पर क्या बीत रही है लेकिन नेता फिर भी समाज को बांटने में लगे हैं।

By Abhay KumarEdited By: Rajat MouryaUpdated: Fri, 24 Nov 2023 04:18 PM (IST)
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उत्तरकाशी सुरंग हादसे पर प्रशांत किशोर का बयान, बोले- देश में कहीं भी दुर्घटना हो, मरता हमेशा...

जागरण टीम, मधुबनी। Prashant Kishor On Uttarkashi Tunnel Collapse उत्तरकाशी टनल हादसे पर जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर का बड़ा बयान सामने आया है। मधुबनी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि देशभर में कहीं भी हादसा क्यों न हो, उसमें मरने वाला और भुगतने वाला बिहार का ही बच्चा होता है।

प्रशांत किशोर ने कहा कि उत्तराखंड में टनल में जो लोग फंसे हुए हैं, उसमें चार या पांच बिहार के बच्चे हैं। उन परिवारों पर क्या बीत रही है... अभी पांच-सात दिन पहले सूरत में सेप्टिक टैंक साफ करते हुए बिहार के पांच बच्चों की मृत्यु हो गई। उनके परिवारों को अब कौन पूछने वाला है।

'जो काम कोई नहीं करता...'

उन्होंने कहा कि दुर्घटना देश में कहीं भी हो, उसमें मरने वाला बिहार का ही बच्चा होता है, क्योंकि 2 करोड़ से ज्यादा बिहार के लोग आज 10 हजार, 12 हजार 15 हजार रुपये के लिए सबसे कठिन स्थिति में काम कर रहे हैं। बिहार के लोग वो काम करते हैं जो कोई भी नहीं करता और इसकी बड़ी वजह है गरीबी।

उन्होंने कहा कि उसे यह करना पड़ता है, क्योंकि उसे अपने बच्चे को रोटी खिलानी है। बच्चे का पेट भरना है तो उसे खतरा लेकर काम करना पड़ेगा। ये लोग एक बार भी पलायन की बात नहीं करते हैं। इन 2 करोड़ परिवारों की जिंदगी कैसे सुधरेगी। यहां अभी भी ये लोग समाज को बांटने में लगे हैं।

'मधुबनी से बच्चे सबसे ज्यादा कर रहे पलायन'

प्रशांत किशोर ने कहा कि मधुबनी के लोग अपने गौरवशाली इतिहास पर पीठ थपथपाना बंद करें। मधुबनी में मैं जब आया तो यहां के लोगों ने कहा कि ये विद्वानों की धरती है, लेकिन मैं कहता हूं कि ये विद्वानों की जमीन नहीं है, बल्कि मजदूरों की जमीन है। सबसे ज्यादा मधुबनी, सीतामढ़ी से आपके बच्चे पलायन कर रहे हैं। विद्वानों की जमीन कभी थी, आज मजदूरों की जमीन बन गई है। इसके लिए कहीं न कहीं आप और हम सभी दोषी हैं। जिन नेताओं ने इसको इस दशा में पहुंचाया है, उन नेताओं को आपने और हमने चुनकर भेजा है।

पीके ने कहा कि अगर आप नहीं सुधरिएगा तो ये कथा-कहानी का हिस्सा बन जाएगा कि मधुबनी में कभी विद्वान पैदा होते थे, अब यहां पर केवल मजदूर पैदा हो रहे हैं, ये दुखद स्थिति है। इसमें यहीं दो मत नहीं है कि ये जगह इटेलेक्चुअल कैपिटल है, घर-घर में लोगों ने पांडुलिपि लिखी है, लेकिन वो चीजें बर्बाद हो गईं। अब उन्हीं घरों से पांडुलिपि नहीं लिखी जा रही है, मजदूर बनाकर भेजे जा रहे हैं, लोग मजदूर बनकर निकल रहे हैं।

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