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राजनगर की ऐतिहासिक धरोहरों को आज भी उद्धारक का इंतजार, क्षेत्र के विकास का सपना अधूरा

मधुबनी। अंधराठाढ़ी व राजनगर प्रखंडों को मिला कर बना है राजनगर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र।

By JagranEdited By: Updated: Fri, 23 Oct 2020 11:15 PM (IST)
राजनगर की ऐतिहासिक धरोहरों को आज भी उद्धारक का इंतजार, क्षेत्र के विकास का सपना अधूरा

मधुबनी। अंधराठाढ़ी व राजनगर प्रखंडों को मिला कर बना है राजनगर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र। इस विधानसभा क्षेत्र में राजनगर प्रखंड की 25 और अंधराठाढ़ी प्रखंड की 18 पंचायतें शामिल हैं। इस विधानसभा क्षेत्र के लोग यूं तो अनेकों जन समस्याओं से जूझ रहे हैं। देश को आजादी मिले सात दशक से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन राजनगर राज परिसर को पर्यटन केंद्र का दर्जा नहीं मिल सका। हर चुनाव में प्रत्याशी जनता को उक्त स्थल को पर्यटन केंद्र का दर्जा दिलाने का आश्वासन मतदाताओं को थमाते आ रहे हैं। लेकिन, दशकों बीत जाने के बाद भी इनके वादे व दावे धरातल पर आकार नहीं ले सके। विधानसभा में शामिल इलाकों की प्रमुख समस्याओं में कृषि महाविद्यालय की स्थापना ना होना, अधूरे पश्चिमी कोसी नहर का निर्माण पूर्ण नहीं होना, राजनगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को रेफरल अस्पताल का दर्जा नहीं मिल पाना, अंधराठाढ़ी प्रखंड स्थित भदुआरघाट में कमला नदी पर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण नहीं हो पाना, पलार गांव में स्लूइस गेट का निर्माण और कमलादित्य स्थान को पर्यटन केंद्र का दर्जा दिलाया जाना सहित छोटे-बड़े दर्जनों मुद्दे शामिल हैं। जनता अब नेताओं से इन समस्याओं को लेकर सवाल करने लगी है।

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1. राज परिसर को नहीं मिला पर्यटन क्षेत्र का दर्जा :

देश की आजादी के बाद जमींदारी प्रथा की समाप्ति के साथ ही राजनगर स्थित ऐतिहासिक राज परिसर को पर्यटन केंद्र का दर्जा दिलाए जाने की मांग लोग उठाने लगे। जनता में यह आस जगी थी कि राज परिसर को पर्यटन केंद्र का दर्जा मिलने से निरंतर जर्जरता का शिकार हो रहे उक्त स्थल का संरक्षण व विकास तो होगा ही, साथ ही पर्यटन मानचित्र में शामिल होने से देश-विदेश के पर्यटकों का आगमन होगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अनेकों अवसर मिल सकेंगे। इससे इलाके की आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। लेकिन, यह सपना आज तक हकीकत ना बन सका। 2. नहीं हुई कृषि महाविद्यालय की स्थापना :

विगत दो दशक पूर्व राजनगर स्थित डायजी क्वार्टर में कृषि महाविद्यालय का शिलान्यास चतुरानन मिश्र व राजकुमार महासेठ की मौजूदगी में तत्कालीन राज्यपाल एआर किदवई ने किया था। शिलान्यास के बाद स्थानीय लोगों में कृषि शिक्षा व कृषि कार्य के उत्तरोत्तर प्रगति की आस जगी थी। लेकिन, कृषक बहुल राजनगर विधानसभा क्षेत्र के लोगों का दशकों पुराना सपना अब तक अधूरा है। 3. भदुआर घाट में नहीं हुआ उच्च स्तरीय पुल का निर्माण :

राजनगर व अंधराठाढ़ी प्रखंडों के बीच भदुआर घाट में कमला नदी पर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण स्थानीय जनता की पुरानी मांग रही है। भदुआर घाट में पुल का निर्माण होने से राजनगर व अंधराठाढ़ी प्रखंड की दूरी काफी कम हो जाएगी। अंधराठाढ़ी प्रखंड फिलहाल दो भागों में विभक्त है। उक्त प्रखंड की कुछ पंचायतें कमला नदी के पूरब और शेष पंचायतें पश्चिम में स्थित हैं।

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4. उपेक्षित रह गया अंधराठाढ़ी स्थित कमलादित्य स्थान :

अंधराठाढ़ी प्रखंड स्थित सुप्रसिद्ध कमलादित्य स्थान स्थित सूर्य मंदिर को पर्यटन केंद्र का दर्जा दिलाया जाना अंधराठाढ़ी के लोगों का वर्षों पुराना सपना रहा है। दशकों बीत जाने के बाद भी यह अधूरा है। विधानसभा चुनाव में एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा में है।

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5. पलार गांव में नहीं हो सका स्लुइस गेट का निर्माण :

कृषक बहुल अंधराठाढ़ी प्रखंड क्षेत्र के पलार गांव में स्लुइस गेट का निर्माण विगत कई चुनावों से बड़ा मुद्दा रहा है। हर चुनाव में उम्मीदवार पलार गांव के किसानों को स्लुइस गेट का सपना दिखाते आ रहे हैं। लेकिन, उनका सपना अब तक अधूरा ही है।

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राजनगर सहित संपूर्ण मिथिला कृषि प्रधान क्षेत्र है। दो दशक पूर्व जब कृषि महाविद्यालय का शिलान्यास हुआ तो स्थानीय लोगों में क्षेत्र के चहुंमुखी विकास की उम्मीद जगी थी। यदि कृषि कॉलेज की योजना धरातल पर उतरी होती तो न केवल कृषि कार्य को बढ़ावा मिलता, बल्कि कृषि आधारित शिक्षा से युवाओं की त़कदीर भी बदल सकती थी। इस योजना को अविलंब पूरा किया जाना चाहिए।

- डॉ. हीरानंद आचार्य, मतदाता

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हर चुनाव में प्रत्याशी राज परिसर को पर्यटन केंद्र का दर्जा दिलाने का आश्वासन देकर चुनाव जीतते रहे हैं, लेकिन आज तक इसे किसी ने पूरा नहीं किया। उक्त परिसर को पर्यटन केंद्र का दर्जा दिलाने को जनप्रतिनिधि व सरकार को ठोस पहल करनी चाहिए, ताकि यह ऐतिहासिक धरोहर जमींदोज होने से बचाया जा सके। इसके संरक्षण से क्षेत्र का विकास भी होगा।

- छोटेलाल साह, मतदाता

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