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नई पीढ़ी पढ़ेगी पेड़ों की कहानी

मधुबनी। एक समय था कि गांव की पहचान पेड़ों से होती थी। यह पेड़ आधुनिक जमाने में दिशा और रास्ता बताने वाले एप की भूमिका इन पेड़ों की ही थी। किसी के घर जाना हो फलां पेड़ से सौ डेग (कदम) आगे या पीछे। दाएं या बाएं। पेड़ों को यही पहचान दिलाने के लिए व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जिला प्रशासन ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 19 Oct 2019 10:50 PM (IST)
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नई पीढ़ी पढ़ेगी पेड़ों की कहानी

मधुबनी। एक समय था कि गांव की पहचान पेड़ों से होती थी। यह पेड़ आधुनिक जमाने में दिशा और रास्ता बताने वाले एप की भूमिका इन पेड़ों की ही थी। किसी के घर जाना हो, फलां पेड़ से सौ डेग (कदम) आगे या पीछे। दाएं या बाएं। पेड़ों को यही पहचान दिलाने के लिए व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जिला प्रशासन ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कई पीढि़यों को देख चुके इन पेड़ों को अभिभावक का दर्जा देते हुए उसे संरक्षित किया जाएगा। साथ ही इन पेड़ों की कहानी नई पीढि़यों को पढ़ाई जाएगी। ताकि, वह इन पेड़ों की अहमियत समझ सके। इसके लिए जिले की सभी पंचायतों में से कम से कम दस ऐसे पेड़ों का चयन किया जा रहा है जो वर्षों पुराना हो। डीएम शीर्षत कपिल अशोक के निर्देश पर इस योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। प्रथम चरण में पेड़ों का चयन किया जा रहा है। सामाजिक समरसता का भी संदेश देंगे ये पेड़

योजना के अनुसार इन सभी पेड़ों के चारों ओर चबूतरा का निर्माण किया जाएगा। ताकि, यहां गांव के लोग बैठ सकें। परिचर्चा कर सकें। इससे गांवों में सामाजिक समरसता का संदेश भी जाएगा। पेड़ के पास बने चबूतर के बगल में ही उसका विवरण भी रहेगा। मसलन, पेड़ से जुड़ी गांव में कोई प्रचलित कहानी या यह कितना पुराना है। वहीं इसमें पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता संदेश भी होगा। ताकि, लोग पेड़ों को काटने की जगह उसे संरक्षित करे। वहीं वन विभाग को इसे रोगों से मुक्त रखने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसकी देख-रेख के लिए पंचायत के ही दस लोगों की समिति बनाई जाएगी। नए पेड़ को लगाने भी अधिक जरूरी पुराने को बचाने

डीएम का मानना है कि हम पौधारोपण कर रहे। मगर, नए पेड़ों से उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। पुराने पेड़ इस मामले में अधिक कारगर हैं। इसलिए नए पेड़ों के लगाने से भी ज्यादा जरूरी है पुराने पेड़ों को बचाना। इसे देखते हुए नई पीढि़यों के सामने वर्षों पुराने पेड़ों की कहानी रखना जरूरी है। इस कड़ी में पेड़ों को अभिभावक का दर्जा देते हुए प्रशासन एक पुस्तक भी तैयार करा रहा है। 'सेविग द गार्डियंस ऑफ मिथिला' पुस्तक में जिले के महत्वपूर्ण पेड़ों व उसकी कहानी को शामिल किया जाएगा। दो एकड़ में फैला है याज्ञवल्क्य ऋषि से जुड़ा पेड़

जिले में कई ऐसे पेड़ हैं जो पैराणिक ²ष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। इसमें बिस्फी में याज्ञवल्क्य ऋषि से जुड़ा विशाल पेड़ भी है। कहा जाता है कि याज्ञवल्क्य ऋषि का यहां आश्रम था। बरगद का यह पेड़ करीब दो एकड़ क्षेत्र में फैला है। इसके अलावा कई ऐसे पेड़ हैं जिनकी रोचक कहानियां हैं। इन सभी का समावेश सेविग द गार्डियंस ऑफ मिथिला' में किया जाएगा।

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