ठंड पड़ गई है। बाजार में हरी-भरी सब्जियों की भरमार है ये किफायती भी हैं इसलिए लोग इन्हें अपनी डायट में शामिल कर खूब सेहत बना रहे हैं। इस क्रम में बिहार के मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड के दाल का कटोरा कहे जाने वाले क्षेत्र हेमजापुर टाल की साग कई जिलों में अपनी सोंधी खूशबू फैला रही है। यहां के किसानों को इससे खूब आमदनी भी हो रही है।
By Rajnish KumarEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 15 Dec 2023 03:17 PM (IST)
संवाद सूत्र, हेमजापुर (मुंगेर)। धरहरा प्रखंड के दाल का कटोरा कहे जाने वाले क्षेत्र हेमजापुर टाल में साग की सोंधी खूशबू फैल रही है। दिसंबर माह में किसानों के माध्यम से बड़े पैमाने पर चने की साग तुड़ाई (चना या सरसो की पौध से उपर का हिस्सा तोड़ने) की प्रक्रिया चल रही है। साग तोड़ने की इस प्रक्रिया से न केवल स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा है बल्कि साग बेचकर घर चलाने के लिए दो-चार पैसे की आमदनी भी हो रही है, जहां एक ओर बाजारों में दूसरी हरी सब्जियां काफी महंगी हो रही है।
हरी-हरी साग से सज रही सब्जी की थालियां
दूसरी तरफ स्थानीय व शुद्ध होने के साथ सस्ता की वजह से चने की साग का यह व्यंजन अधिकांश लोगों की थालियों की शोभा बढ़ा रहा है।बताते हैं कि हेमजापुर क्षेत्र का चने की साग मांग दूसरे जिलों से भी होती है इसलिए बड़े पैमाने पर कारोबारी यहां का साग खरीदकर मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय, लखीसराय सहित अन्य जिलों में ले जाकर इस बेचते हैं।
हेमजापुर की साग कई जिलों में फैली रही सोंधी महक
प्रखंड के विस्तृत भू भाग पर आधे इलाके में धान की और आधे इलाके में चने की खेती वर्षों से की जा रही है। इसके अलावा 10 हजार हेक्टेयर में सरसों, मटर, मंसूर एवं गेहूं सहित अन्य फसलों की खेती की जा रही है।यह क्षेत्र दाल का कटोरा कहा जाता है। खगड़िया और बेगूसराय जिले की महिलाएं यहां से मसूर खरीद कर ले जाती है। कहा जाए तो जिले का हेमजापुर की चने की साग कई जिलों में अपनी सोंधी महक फैला रहा है।
महिलाओं को घर पर मौसमी रोजगार
चने की खेती में सांग तुड़ाई एक प्रक्रिया है। नवंबर-दिसंबर माह में साग की तुड़ाई किसानों के माध्यम से कराई जाती है। इस कार्य में अधिकांशत महिला मजदूर होती है जो अत्यंत बारीकी से साग तुड़ाई का काम करती है। बदले में इसे कुछ मजदूरी भी दिया जाता है। तात्कालिक तौर पर सर्दी के इस मौसम में यह काम महिलाओं के लिए वैकल्पिक रोजगार बन गई है।महिलाओं में बिंदा देवी, रेखा देवी, कोमल देवी, शोभा देवी ने कहा कि साग तुड़ाई से किसानों के खेतों की सफाई हो जाती है। घर चलाने के लिए कुछ मजदूरी भी मिल जाती है। हरी सब्जियां बाजारों में काफी महंगी है इसलिए काफी सस्ती होने की वजह से अधिकतर लोग साग का सेवन कर रहे हैं। इससे ग्रामीण महिलाओं को कुछ मुनाफा भी हो रहा है।
हरी साग सब्जियां शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है। चने की साग में प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन, फाइवर, आयरन व विटामिन भी पाए जाते हैं- डा. वाई.के. दिवाकर, फिजिशियन।
गर्भवती महिलाओं को अक्सर गैस संबंधित परेशानियां होती है। साग का सेवन ऐसी महिलाओं के लिए लाभप्रद माना जाता है। इससे कब्ज की समस्या दूर होती है। चने की साग पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है- डा. दयानिधि (एंब्रायोलाजिस्ट)।
सब्जियों की कीमत पर एक नजर
आलू : 18 से 20 रुपये प्रति किलो।
बैंगन : 20 से 22 रुपये प्रति किलो।
टमाटर : 40 रुपये प्रति किलो।
सेम : 40 रुपये प्रति किलो।
गोभी : 40 रुपये दो पीस।
करेला : 30 रुपये किलो।
मटर : 50 से 60 रुपये प्रति किलो।
कद्दू : 60 रुपये में दो।
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