Chhath Puja 2024: माता सीता ने मनाया था छठ महापर्व और किया था स्नान, अब उस सीताकुंड की बदलेगी सूरत
मुंगेर की पवित्र धरती पर माता सीता ने छठ का व्रत करने के बाद कुंड में स्नान किया था। इस कुंड को सीताकुंड के नाम से जाना जाता है। सीताकुंड को लंबे समय से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की जा रही है जिसके लिए डीपीआर बनाया गया है। जल्द ही इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
कामेश, मुंगेर। चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत 5 नवंबर से होने वाली है, जिससे पहले लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
ऐसी मान्यता है कि इस महापर्व की शुरुआत मुंगेर की धरती से हुई थी। लंका से विजय प्राप्त कर लौटने के समय माता सीता भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के साथ मुंगेर में रुकी थीं।मुंगेर की पवित्र धरती पर ही माता सीता ने महापर्व छठ का अनुष्ठान किया था। इसका वर्णन वाल्मीकि व आनंद रामायण में भी है। आज भी यहां माता सीता के पवित्र चरण चिह्न मौजूद हैं।
अब यह स्थान सीताचरण के नाम से जाना जाता है। साल 1974 में यहां मंदिर का निर्माण भी कराया गया है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब भगवान राम वनवास के लिए निकले थे, तब वे मां सीता और लक्ष्मण के साथ मुद्गल ऋषि के आश्रम आए थे।
उस समय मां सीता ने गंगा मां से वनवास काल सकुशल बीत जाने की प्रार्थना की थी। वनवास व लंका विजय के बाद भगवान राम व मां सीता फिर से मुद्गल ऋषि के आश्रम आए थे।
वहां ऋषि ने माता सीता को सूर्य उपासना की सलाह दी थी। उन्हीं के कहने पर मां सीता ने वहीं गंगा नदी में एक टीले पर छठ व्रत किया। माता सीता ने (वर्तमान) सीता कुंड में स्नान भी किया था।जिस कुंड में माता सीता ने स्नान किया था आज उस कुंड को सीताकुंड नाम से जाना जाता है। सीता कुंड को पर्यटन स्थल में शामिल करने के लिए डीपीआर बनाया गया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।चारों भाइयों के कुंड का जल शीतल
- सीताकुंड को लेकर मान्यता यह भी है कि माता सीता ने अपनी पवित्रता प्रमाणित करने के लिए यहीं पर अग्नि परीक्षा दी थी। अग्नि परीक्षा के बाद प्रज्ज्वलित अग्नि गर्म जल में प्रवेश कर गई।
- इस कारण से सीताकुंड का जल हमेशा गर्म रहता है। सीताकुंड के अलावा भगवान श्रीराम सहित चारों भाइयों के नाम पर भी यहां अलग-अलग कुंड हैं।
- श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन ने अपने बाणों से बनाया था। चारों कुंड माता सीता के कुंड के आसपास होने के बाद भी इन कुंडों का जल बिल्कुल ठंडा रहता है।