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अब भिलाइ स्टील प्लांट में जमालपुर निर्मित क्रेन का दिखेगा जलवा

-51 क्रेन बन चुका है कारखाना में संवाद सहयोगी जमालपुर (मुंगेर) एशिया प्रसिद्ध रेल इंजन

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Feb 2022 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 22 Feb 2022 08:31 PM (IST)
अब भिलाइ स्टील प्लांट में जमालपुर निर्मित क्रेन का दिखेगा जलवा

-51 क्रेन बन चुका है कारखाना में संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर) : एशिया प्रसिद्ध रेल इंजन कारखाना जमालपुर निर्मित 140 टन भर का डीजल हाइड्रोलिक क्रेन का जलवा अब छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित स्टील प्लांट में दिखेगा। प्लांट से कारखाना का एकरारनामा हुआ है। पहली बार किसी कंपनी में जमालपुर क्रेन से काम लिया जाएगा। क्रेन को लेकर मंगलवार को कारखाना और स्टील प्लांट कंपनी के अधिकारियों के बीच डील हुई। अगले माह जमालपुर रेल कारखाना से क्रेन कंपनी को सौंपना है। मंगलावर की शाम भिलाई स्टील प्लांट से आए एजीएम सुमित सिंह ने मुख्य कारखाना प्रबंधक सुदर्शन विजय के साथ बैठक की। डिप्टी क्रेन पीएन मांझी, डिप्टी प्रेम प्रकाश, सरोज कुमार सहित रेल के कई अधिकारियों की मौजूदगी में 25.1 करोड़ में क्रेन देने पर सहमति बनी। कारखाना से पहली बार 140 टन भार का क्रेन किसी कंपनी को दी जा रही है। अब तक रेलवे में ही इस्तेमाल होता रहा है। क्रेन बनाने का काम तेजी से चल रहा है। क्रेन शाप में तैयारी शुरू हो गई है।

जर्मनी के बाद बना पहला 140 टन का क्रेन जमालपुर रेल कारखाना ऐसा है कि जर्मनी के बाद पहला 140 टन (भार वाला) का क्रेन बनाया। अभी तक यह तमगा देश के किसी दूसरे कारखाना को नहीं मिला है। महत्वपूर्ण कारखाना में शामिल इस कारखाना का इतिहास गौरवशाली रहा है। कारखाना समय-समय पर क्षेत्रीय वाद और राजनीतिक अपेक्षा का दंश झेल है। कारखाना में बने जैक का डिमांड देश भर में है। निजी कंपनियों को क्रेन भी कारखाना उपलब्ध कराने की कवायद शुरू है। रेलवे को 51 क्रेन दे चुका है कारखाना 1989 से 2021 के बीच जमालपुर रेल कारखाना 51 क्रेन का निर्माण कर चुका है। यहां के क्रेन की विशेषता है कि वह 90 डिग्री पर काम कर सकता है। आज रेल दुर्घटना के दौरान पटरी से उतरे बोगियों को पटरी पर चढ़ाने या रेलवे ब्रिज व कंटेनर को उतारने-चढ़ाने में जमालपुर में बने क्रेन का ही उपयोग होता है। इस समय जमालपुर में 140 टन भार उठाने वाला डीजल हाइड्रोलिक क्रेन बन रहा है। रेल इंजन कारखाना जमालपुर के कर्मियों ने पहली बार आइसीएफ कोच व एलएचबी कोच के लिए 35 टन यूनिवर्सल जैक का निर्माण भी कारखाना में हुआ।


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