जर्मनी के बाद इस जिले में बनती है नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के कोचों को हटाने वाली क्रेन, 75 दिन में होती है तैयार
North East Express train accident बिहार में हुई रेल दुर्घटना ने कई लोगों को सदमे में डाल दिया है। इस दौरान कई ट्रेनें रद्द की गई। हालांकि नॉर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस की पुनर्बहाली का कार्य भी शुरू किया गया। क्या आपको पता है कि दुर्घटनाग्रस्त कोचों को हटाने के लिए 140 टन की क्षमता वाली जिस क्रेन का सहारा लिया गया उसे जर्मनी के बाद मुंगेर जिले में तैयार किया जाता है।
जागरण संवाददा, जमालपुर (मुंगेर)। नॉर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त कोचों को हटाने के लिए 140 टन की क्षमता वाली क्रेन का सहारा लिया गया था। यह क्रेन जर्मनी के बाद देश में मुंगेर जिले के जमालपुर रेल कारखाना में तैयार होती है।
रेल हादसे होने पर कोच व मलवा हटाने, कंटनेर साइड करने के अलावा पुल-पुलियों का गार्डर रखने में जमालपुर निर्मित क्रेन का इस्तेमाल होता है।
क्या है इतिहास?
1961 में जमालपुर रेल कारखाने ने दो टन की क्षमता वाली क्रेन बनाई थी। 1986 में 140 टन की क्रेन का निर्माण शुरू हुआ। इससे पहले 140 टन भार उठाने की क्षमता वाली क्रेन जर्मनी में बनती थी। एक क्रेन को बनाने में लगभग 75 दिन लगते है।
400 तकनीशियन और कर्मचारी इस काम को करते हैं। भारतीय रेलवे को क्रेन निर्माण में लगभग 20 करोड़ का खर्च आता है। पूरे देश के अलग-अलग रेल जोन में लगभग 54 क्रेन जमालपुर रेल कारखाने ने अब तक दी है।
आंखों में तैर रहा था खौफनाक मंजर
रघुनाथपुर से महज चंद कदमों की दूरी पर रेल की पटरी के दोनों तरफ मौजूद दिल्ली-कामाख्या नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे के प्रभावित यात्रियों की आंखों में खौफनाक मंजर तैर रहा था। जान बच गई इसका संतोष, लेकिन रात में हादसे के बाद कानों में लोगों की चीखपुकार गूंज रही थी।
यात्रा के दौरान झपकी आनी शुरू ही हुई थी कि एक जबरदस्त झटके से सबकुछ उलटपुलट हो गया। थोड़ी ही देर में हर कोच से मदद की पुकार आने लगी। घबराहट के मारे दम घुटने लगा। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए?
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