Munger Lok Sabha Seat: मुंगेर में Lalu Yadav के 'एमवाई' समीकरण का लिटमस टेस्ट, Lalan Singh को दे पाएंगे टक्कर?
मुंगेर से 1952 से लेकर 2024 तक यादव समाज से पांच बार सांसद चुने गए हैं। इसमें सर्वाधिक तीन बार डीपी यादव एक बार विजय कुमार विजय तथा एक बार 2004 में जयप्रकाश नारायण यादव लोकसभा चुनकर पहुंचे। इसमें डीपी यादव तथा जयप्रकाश नारायण यादव केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय से एक भी व्यक्ति अब तक संसद भवन तक नहीं पहुंच पाया है।
मनीष कुमार, मुंगेर। मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में इस बार राजद के एमवाई (यादव-मुस्लिम) समीकरण का लिटमस टेस्ट होने वाला है। यादव और मुस्लिम राजद का कोर वोटर रहा है पर 2004 के बाद से अब तक राजद ने मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से किसी भी यादव समाज के अलावा मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाया है।
2009 में राजद ने धानुक समाज के रामबदन राय को प्रत्याशी बनाया। जिसे जदयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने 1.89 लाख मतों के भारी अंतर से पराजित किया। इसके बाद 2014 में राजद ने दोबारा धानुक समाज के प्रगति मेहता को अपना प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में प्रगति मेहता मुकाबले में भी नहीं आ सके।
इस चुनाव में एनडीए से लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी और जदयू प्रत्याशी राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के बीच मुकाबला हुआ। इसमें वीणा देवी को जीत मिली। 2019 के चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के पास चली गई। इसमें कांग्रेस की नीलम देवी व जदयू के राजीव रंजन सिंह के बीच मुकाबला हुआ। इसमें ललन सिंह 1.67 लाख मतों के अंतर से जीते।
इस बार फिर मुंगेर सीट राजद के खाते में है तथा राजद ने धानुक समाज की कुमारी अनीता को अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में यह देखना है कि राजद अपने परंपरागत वोटरों को कुमारी अनीता के पक्ष में शिफ्ट कर पाता है अथवा नहीं।
बता दें कि मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या लगभग दो लाख तथा मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 90 हजार है। ऐसे में राजद धानुक व कुर्मी वोटरों के भरोसे चुनाव जीतने की जुगत लगा रहा है, लेकिन धानुक व कुर्मी समाज के वोटर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़ कर राजद के साथ जाएंगे, इसमें संदेह है।
विगत 15 वर्ष से अपने समाज के प्रत्याशी नहीं मिलने के बावजूद यादव व मुस्लिम समुदाय के लोग कुमारी अनीता को वोट करेंगे, यह कहना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।
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