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National Small Industry Day: लघु उद्योगों का बिहार में बढ़ा चलन! बिजनेस के लिए मिला 40 लाख तक का लोन, बढ़ी कमाई

आज देश भर में लघु उद्योग दिवस मनाया जा रहा है। बिहार में पिछले सालों लघु उद्योगों की गति बढ़ी है। उद्योग विभाग से ऋण लेने के बाद कई लोगों ने छोटे उद्योग शुरू किए हैं। सीट-कवर फ्लावर मिल तेल मिल छोटे कल-कारखाने सहित अन्य उद्योगों को स्थापित कर लोग खुद सबल बन रहे हैं। लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया जा रहा है।

By Rajnish Kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 30 Aug 2023 10:44 AM (IST)
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मसाला तैयार के बाद पैकिंग करते आशीष कुमार व अन्य। फोटो- जागरण

हैदर अली, मुंगेर। हाल के तीन वर्षों में मुंगेर में लघु उद्योगों की गति बढ़ी है। उद्योग विभाग से ऋण लेने के बाद कई लोगों ने छोटे उद्योग शुरू किए हैं। सीट-कवर, फ्लावर मिल, तेल मिल, छोटे कल-कारखाने सहित अन्य उद्योगों को स्थापित कर लोग खुद सबल बन रहे हैं। लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया जा रहा है।

जिला उद्योग विभाग भी ऋण देने में पहले की तुलना बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। दो वित्तीय वर्षों में लघु उद्योगों के लिए ऋण देने का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। जिला उद्योग केंद्र के प्रबंधक ललित कुमार ने बताया कि 2022-23 में लघु उद्योगों के लिए ऋण देने के 105 लक्ष्य मिले थे।

उद्योग विभाग ने 141 युवाओं को रोजगार और उद्योग उपलब्ध कराया गया। इसी तरह 2023-24 के लिए 272 लक्ष्य मिले हैं। सात माह में 80 लोगों को ऋण उपलब्ध कराए गए हैं।  

दो वित्तीय वर्ष में 221 लोगों के बीच 18.35 करोड़ का दिया गया ऋण 

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) के अंतर्गत 2022-2023 में 141 लोगों में 62 लोगों को पांच-पांच लाख रुपये दिए गए। कुल मिलाकर तीन करोड़ का ऋण उद्योग के लिए स्वीकृत किया गया। इसी तरह चार लोगों को 10-10 लाख की राशि दी गई। कुल 40 लाख का ऋण मुहैया कराया गया।

पीएमइजीपी के तहत ही दो लोगों को फ्लावर और मसाला मिल के लिए 25-25 लाख रुपये का ऋण दिया गया। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 75 लोगों को 10-10 लाख का ऋण स्वीकृत किया गया। कुल 7.5 करोड़ का ऋण स्वीकृत हुआ।

2023-2024 में पीएमइजीपी के तहत 30 लोगों के बीच पांच-पांच लाख के हिसाब से डेढ़ करोड़ का ऋण दिया गया। दो लोगों को 10-10 लाख और तीन लोगों को 25-25 लाख का ऋण स्वीकृत किया गया। 45 लोगों को 10-10 लाख का ऋण स्वीकृत किए गए। कुल 4.5 करोड़ का ऋण मिला।

केस स्टडी एक

माधोपुर की दीपा कुमारी ने लाकडाउन के बाद मसाला उद्योग के लिए पीएमईजीपी योजना से 25 लाख रुपये का ऋण लिया। दीपा ने अपनी जमीन पर मसाला का छोटा उद्योग स्थापित किया।

अभी वे दूसरे जिलों में भी मसालों की आपूर्ति कर रही हैं। हर माह उन्हें ढाई से तीन लाख रुपये की आमदनी हो रही है। उन्होंने आठ लोगों को काम दिया हुआ है। सभी को सात से आठ हजार रुपये महीने का पारिश्रमिक दिया जाता है।

केस स्टडी दो

जमालपुर प्रखंड के गुलालपुर निवासी अभिमन्यु कुमार ने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से 10 लाख रुपये का ऋण फ्लावर मिल के लिए लिया। उद्योग का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने ही किया था। वे 25 और 50 किलोग्राम के पैकेट बनाकर दूसरे जिलों में भी आटे की आपूर्ति कर रहे हैं।

गेहूं की धुलाई से सफाई के लिए छह महिलाएं और पुरुष काम में लगे हैं। इस उद्योग में पत्नी सीता देवी भी सहयोग करती हैं। मजदूरों को पांच हजार रुपये महीने में पारिश्रमिक दिया जाता है।

पीएमईजीपी से मिला संबल 

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है। इसे एमएसएमई मंत्रालय द्वारा ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए शुरू किया गया है।

इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को उनका अपना उद्योग शुरू करने के लिए एक लाख से 50 लाख तक का लोन दिया जाता है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत बेरोजगार युवाओं को ऋण के लिए प्रोजेक्ट बनाकर उद्योग केंद्र में जमा करना होता है।

मुख्यमंत्री उद्यमी योजना

बिहार सरकार बेरोजगार युवाओं को रोजगार स्थापित करने के लिए ऋण देती है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 10 लाख तक का ऋण दिया जाता है।

इस योजना के तहत बेकरी, वायरिंग, कंप्यूटर हार्डवेयर, पापड़, फर्नीचर, मसाला उत्पादन सहित कुल 48 तरह के उद्योग लगा सकते हैं और दूसरे को भी रोजगार दे सकते हैं। इस योजना के लिए सरकार ने कुछ मानदंड तय कर रखे हैं।

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