New Year 2023 : सैलानियों को हैप्पी न्यू ईयर कहने के लिए तैयार भीम बांध और ऋषिकुंड, मनमोहक हैं यहां के नजारे
नववर्ष पर खास इंतजामों के साथ सैलानियों को हैप्पी न्यू ईयर कहने के लिए भीम बांध और ऋषिकुंड तैयार है। पहली जनवरी को बढ़ी संख्या में पिकनिक मनाने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं। यहां सुबह से शाम तक एक जनवरी को भीड़ रहती है।
जागरण संवाददाता, मुंगेर। एक जनवरी को पिकनिक मनाने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी भीमबांध, खड़गपुर झील और ऋषिकुंड पहुंचते हैं। इस बार सैलानियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। जिला प्रशासन की ओर से तीन जगहों को संवारा गया है। गंगटा मोड़ से भीमबांध तक पहुंचने वाली सड़क पूरी तरह चकाचक कर दिया गया है। गर्म कुंड की साफ-सफाई कर दी गई है।
ऋषिकुंड में पेंटिंग और सड़क किनारे लाइटिंग की गई है। तीनों जगहों पर पहली जनवरी को पिकनिक मनाने वालों की संख्या एक लाख से ज्यादा होती है। सैलानियों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए पिकनिक स्पाट को तैयार कर दिया गया है।
दरअसल, नव वर्ष पर मुंगेर के अलावा दूसरे जिलों से लोग तीनों जगहों पर लोग पिकनिक के लिए पहुंचते हैं। प्रकृति की वादियों के घने जंगल के बीच में स्थित भीम बांध पर्यटक के लिए आकर्षक का केंद्र है। ऐसे तो पर्यटकों की टोली सालों भर भीम बांध के नजारों का आनंद लेने के लिए पहुंचती है, लेकिन एक जनवरी को सैलानियों की भीड़ भीमबांध में काफी बढ़ जाती है।
भीम बांध में गर्म पानी के आनंद के साथ साथ वनभोज का आनंद उठाने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वन्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि भीम बांध में इस बार नए वर्ष पर विशेष तैयारी की गई है। सैलानियों को गंगटा मोड़ से पहुंचने में परेशानी नहीं होगी। इसके लिए चकाचक सड़क बनाया गया है।
11 कुंड से निकलता है गर्म जल
ठंड के मौसम में बरियारपुर प्रखंड स्थित ऋषि कुंड ठंड सैलानियों से गुलजार रहता है। नव वर्ष पर बड़ी संख्या में लोक पिकनिक मनाने के लिए यहां पहुंचते हैं। पहाड़ियों की तराई से निकलने वाले 11 कुंड से लगातार गर्म जल निकलता है। नवंबर महीने से प्रतिदिन एक हजार सैलानी गर्म जल में स्नान कर पहाड़ी की सुंदरता को देखकर अभिभूत होते हैं।
यहां प्रत्येक तीन साल पर मलमास मेला लगता है। यहां का जल पाचन क्रिया तथा चर्मरोग को ठीक करता है। यह स्थल की ऋषि मुनियों की तपस्थली रही है। किवदंतियों की मानें तो यहां हरेश्वरनाथ शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए थे तथा लोगों ने बाद में मंदिर बनाया। इसके अलावा यहां पांच देवी-देवताओं की मूर्तियां है। सैलानी स्नान करने के बाद यहां पूजा-अचर्ना करते हैं।
प्रकृति की अद्भुत छटा, पहाड़ियों से घिरी है खड़गपुर झील
प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज पहाड़ों के बीच खड़गपुर झील स्थित है। नव वर्ष पर खड़गपुर झील सर्दी के मौसम में पिकनिक मनाने व सैर सपाटे के लिए बेहतर माना जाता है। यहां की खूबसूरती सर्दी के मौसम में लोगों की खुशियां को दोगुना कर देता है। ठंड के मौसम में यहां के और इस हाट स्पाट का आनंद ही कुछ अलग है। सर्दी के मौसम में जिला के अलावे बिहार अन्य जिला के लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं।
हवेली खड़गपुर झील को 1876 में दरभंगा महाराज ने सिंचाई के उद्देश्य से खुदवाया था। इस झील से कई नहरें निकली है। इन नहरों से 1377 एकड़ में रबी फसल की सिंचाई होती है। खड़गपुर झील के चारो तरफ पहाड़ की हरी भरी वादियां है। खड़गपुर झील की नैसर्गिकता को देखने बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं।