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महर्षि मेंही की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने की उठी मांग

मुंगेर । महर्षि मेंही के जीवन पर लिखी पुस्तक को पाठयक्रम में शामिल किया जाए इसकी मांग मंगलव

By JagranEdited By: Updated: Tue, 29 Sep 2020 08:15 PM (IST)
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महर्षि मेंही की जीवनी पाठ्यक्रम में शामिल करने की उठी मांग

मुंगेर । महर्षि मेंही के जीवन पर लिखी पुस्तक को पाठयक्रम में शामिल किया जाए, इसकी मांग मंगलवार को बड़ी दरियापुर स्थित संतमत सत्संग कार्यालय में उठी। प्रखंड अध्यक्ष प्रमोद यादव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बीसवीं सदी के महान संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज की जीवनी पर लिखी गई पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके इसे लेकर राज्य सरकार को अवगत कराया जाएगा। बैठक को संबोधित करते हुए प्रखंड अध्यक्ष एवं सचिव उदय शंकर स्वर्णकार ने कहा कि सद्गुरु महर्षि मेंही बिहार राज्य के पूर्णिया जिला के रहने वाले थे। उनका जन्म अपने नाना के यहां मधेपुरा जिला में हुआ था और भागलपुर के कुप्पाघाट के गुफा में इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। राज्य में इनके लाखों अनुयाई है, इसलिए उनकी जीवनी पर लिखी गई पुस्तक को विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करना नितांत आवश्यक है। प्रचार मंत्री राजन कुमार चौरसिया, एवं उप प्रचार मंत्री अधिवक्ता आशीष कुमार ने कहा सद्गुरु महर्षि मेंही का जीवन चरित्र बहुत ही अद्भुत और अनुकरणीय है। उन्होंने दर्जनों आध्यात्मिक पुस्तक एवं सैकड़ों पदावली भजन की रचना किए हैं। उनके भजनों में ईश स्तुति, दोहा, छप्पय, आरती, छंद, बरसाती, पुकार, कहरा, कजली, अरिल, कुंडलिया, मंगल, उपदेश, चौपाई, शब्द, चैतावर, होली इत्यादि शामिल है। जो छात्रों के लिए बहुत ही लाभदायक होगा। कहा कि सद्गुरु महर्षि मेंही के जीवन और उपदेश पर दर्जनों विद्वानों ने शोध कर डिलीट एवं पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। इस अवसर पर राजेश सरस्वती, पवन चौरसिया, अशोक प्रसाद ताती, रामचंद्र मंडल, परशुराम चौरसिया, सच्चितानंद मंडल, सीताराम वैध, अंबिका तांती, अभिमन्यु शाह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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