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दरभंगा ज‍िले में जलपान में मिला बासी भोजन तो विद्यालय छोड़ घर बैठी छात्राएं

Darbhanga news कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यायल कोयलाजान में सौ में बची मात्र 40 छात्राएं। आरोप है क‍ि शौचालय की सफाई का जिम्मा भी उन्हीं के पास था। इन्कार किया तो वार्डेन की फटकार सुनने को मिली।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Updated: Sun, 17 Jul 2022 02:22 PM (IST)
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कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यायल कोयलाजान। फोटो-जागरण
दरभंगा (बिरौल), जासं। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यायल कोयलाजान में बच्‍च‍ियों के पठन -पाठन के साथ आवासीय एवं शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा गई है। स्थिति यह है कि शिकायत के बावजूद लगातार बासी भोजन एवं शौचालय की सफाई से इन्कार करने वाली छात्रा पढ़ाई छोड़कर घर बैठने को मजबूर हो गई हैं। महादलित समुदाय की बच्‍च‍ियों का आरोप है कि उन्हें लगातार सुबह के जलपान में रात का बासी भोजन दिया जाता था। शौचालय की साफ-सफाई का जिम्मा भी उन्हीं के सुपुर्द था। जब कभी इन्कार किया तो वार्डेन की फटकार सुनने को मिली। इससे हमलोगों के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ रहा था।

विवशता में पढ़ाई छोड़कर घर बैठ गए हैं। विद्यालय में मात्र 40 छात्राएं अब अध्यनरत रह गई हैं। जबकि, नामाकंन सौ का हुआ था। छात्राएं विद्यालय क्यों नहीं आ रही हैं, छात्रावास छोड़कर क्यों चली गई इसकी जानकारी लेने वाला भी प्रखंड में कोई नहीं है। विद्यालय में शिक्षिकाओं की भी कमी है। इसका लाभ उठाकर वार्डेन छात्राओं पर अपना हुकूम चला रही है। जैसे वह उनकी घर की दासी हो। कटैया मुसहरी टोल के बेचन सदा की पुत्री रवीना कुमारी सहित करीब आधा दर्जनों छात्राओं ने बताया कि हम लोग विद्यालय में रहकर पढऩे गए थे। किसी की चाकरी करने नहीं गए थे। जब पढ़ाई ही नहीं होगी तो जाकर क्या करेंगे। उससे तो बेहतर है घर पर माता-पिता ताजा भोजन देते हैं, कुछ पढऩे का भी अवसर मिल जाता है। किसी की प्रताडऩा नहीं सहनी पड़ती है। कहा कि घर पर ही पढ़ लेंगे।

कस्तूरबा गांधी विद्यालय नहीं जाएंगे। बता दें कि विद्यायल में शिक्षक के चार पद सृजित हैं। लेकिन, मात्र तीन शिक्षकों के भरोसे ही विद्यालय तथा छात्रावास की पढ़ाई चल रही है। भीषण गर्मी पड़ रही है। इसमें विद्युत आपूर्ति वाधित होने के बाद छात्राओं पर क्या बीतती है इस वर वार्डेन का ध्यान नहीं है। जबकि, विद्यालय में जेनरेटर की सुविधा इसीलिए दी गई है छात्राओं को पंखे और प्रकाश की सुविधा निर्वाध रूप से मिलती रहे। लेकिन, जेनरेटर दिखावे का ही है।

ना पौशाक मिली और न पाठ्यपुस्तक :

महादलित बस्ती में बच्‍च‍ियां अपने अपने काम में लगी थी। अभिभावकों ने कहा कि एक सप्ताह पहले कस्तूरबा गांधी विद्यायल से अपने ब'िचयों को घर ले आए हैं। वहीं पर मौजूद छात्रा ज्योति कुमारी, किरण कुमारी, प्रियंका कुमारी आदि ने कहा कि स्कूल ड्रेस नहीं मिला। पढऩे के लिए किताब खरीदना पड़ता था। वार्डन के डर से विद्यायल छोड़ दिया है। उनके रहते विद्यालय नहीं जाएंगे।

- बच्‍च‍ियों को सारी सुविधाएं मिल रही है।आरोप निराधार है। अभिवावक से संपर्क किया जाएगा। प्रयास कर रहे हैं कि बच्‍च‍ियां  वापस लौट आएं। - मधुमिता - वार्डेन, कस्तूरबा आवासीय विद्यालय कोयलाजान

- मामला बेहद गंभीर है। मामले की जाचं की जाएगी। दोषी पाए जाने पर कठोर करवाई की जाएगी। विद्यायल छोड़ गए ब'िचयों के घर पदाधिकारी को भेजा जाएगा। नाराज बच्‍च‍ियों को समझाया जायेगा। -

संजीव कुमार कापर- एसडीओ, बिरौल।

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