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Bihar Politics: ... तो इस वजह से कट गया मुजफ्फरपुर से अजय निषाद का टिकट, नए उम्मीदवार से BJP को क्या होगा फायदा?

Bihar Politics मुजफ्फरपुर सीट से अजय निषाद का टिकट कट गया है। उनकी जगह पर भाजपा ने डॉ. राज भूषण चौधरी को मुजफ्फरपुर से उम्मीदवार बनाया है। पार्टी के इस नए चेहरे को मैदान में उतारने का निर्णय थोड़ा अप्रत्याशित जरूर हो सकता है मगर वर्तमान सांसद का टिकट कटने का अंदेशा पहले से था। यह इसलिए कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में उनका बेहतर फीडबैक नहीं आया था।

By Prem Shankar Mishra Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 25 Mar 2024 02:42 PM (IST)
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जनता की नाराजगी अजय निषाद पर पड़ गई भारी
प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार की एकमात्र सीट मुजफ्फरपुर से भाजपा ने वर्तमान सांसद अजय निषाद का टिकट काटा है।रविवार शाम को जारी सूची में लगातार दो बार सांसद रहे अजय निषाद की जगह डॉ. राज भूषण चौधरी को पार्टी ने मुजफ्फरपुर से उम्मीदवार बनाया है।

भाजपा ने पिछले चुनाव में अजय निषाद से ही चार लाख से अधिक वोटों से पराजित होने वाले वीआइपी उम्मीदवार रहे डा. राज भूषण पर भरोसा जताया है।

पार्टी के इस नए चेहरे को मैदान में उतारने का निर्णय थोड़ा अप्रत्याशित जरूर हो सकता है, मगर वर्तमान सांसद का टिकट कटने का अंदेशा पहले से था। यह इसलिए कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में उनका बेहतर फीडबैक नहीं आया था।

पिता कैप्टन जय नारायण निषाद की विरासत को आगे बढ़ाते हुए पहली बार वर्ष 2014 में कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह को लगभग दो लाख 23 हजार एवं 2019 में राज भूषण चौधरी को 4.10 लाख वोट से हराने वाले अजय निषाद से संसदीय क्षेत्र की जनता की नाराजगी की रिपोर्ट पार्टी के प्रदेश से लेकर शीर्ष नेतृत्व के पास थी।

यह बात पार्टी के कार्यकर्ता भी दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। कैप्टन निषाद वर्ष 1996, 1998 एवं 1999 में लगातार तीन बार राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए सांसद बने। 2004 में जदयू उम्मीदवार जार्ज फर्नांडीस को मौका मिला, मगर पांच साल बाद फिर कैप्टन ने बहुकोणीय संघर्ष में बाजी मारी।

संसदीय क्षेत्र में कोई बड़ी योजना नहीं आई

फर्नांडीस अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। इसके बाद से यह सीट इसी परिवार के पास रही। इन 15 वर्षों में मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में हुए काम की तुलना जनता पास के दरभंगा से करते रहे। वहीं, जार्ज फर्नांडीस के काम की तुलना भी की जाती रही। यहां वह कमजोर पड़ गए।

संसदीय क्षेत्र में कोई बड़ी योजना तो नहीं आई, मगर इस दौरान भारत वैगन और आइडीपीएल जैसी दो बड़ी यूनिटें यहां बंद हो गईं। पताही से विमान उड़ने का सीधा मामला मुजफ्फरपुर संसदीय सीट से नहीं जुड़ा है, मगर यह सेवा शुरू नहीं हो पाने का दर्द यहां की जनता को भी है।

रिंग रोड का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार के स्तर से लटक गया। यह कुछ ऐसी चीजें रहीं जिससे यहां की जनता का बेहतर फीडबैक नहीं रहा।

दो साल पहले भाजपा में शामिल हुए

एक ओर जहां अधिक उम्र का हवाला देकर कई सांसदों को भाजपा से फिर टिकट मिलना मुश्किल लग रहा था। वहीं 55 वर्ष के सांसद अजय निषाद का टिकट कटने के पीछे मुख्य रूप से यही कारण माना जा रहा है।

दूसरी ओर डा. राज भूषण चौधरी की उम्मीदवारी का निर्णय अचंभित करने वाला है। अजय निषाद से करीब दस वर्ष छोटे राज भूषण करीब दो वर्ष पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं। बोचहां विधानसभा उप चुनाव के दौरान उन्हें भाजपा में शामिल कराने में अजय निषाद की बड़ी भूमिका थी।

वीआइपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई सीट पर वर्ष 2022 में उप चुनाव हो रहा था। वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी की ताकत को कमजोर करने के लिए पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल डा. राज भूषण को भाजपा में लाया गया था। महज दो साल पहले भाजपा में पार्टी में उन्होंने अपनी जगह बना ली।

पीएम मोदी ने जताया आभार 

मूल रूप से समस्तीपुर के रोसड़ा से जुड़े डॉ. राज भूषण ने उम्मीदवारी के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का आभार जताया है।

जिले की राजनीति से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा दूसरे किसी चेहरे को उम्मीदवार बना सकती थी, मगर सबसे बड़ी परेशानी निषाद यानी सहनी वोट है। वीआइपी से गठबंधन नहीं और अजय निषाद का टिकट कटने की स्थिति में किसी निषाद चेहरा पर ही भरोसा करना था।

इस कारण से भी डॉ. राज भूषण चौधरी पार्टी की पसंद बने। टिकट कटने पर सांसद अजय निषाद को अंदाजा नहीं था। उन्होंने कहा, पार्टी ओर क्षेत्र के लिए बेहतर काम किया। पार्टी के निर्णय का वह स्वागत करते हैं।

कांग्रेस और राजद के निर्णय का इंतजार

अजय निषाद की उम्मीदवार भाजपा से खत्म होने के बाद अब जनता की नजर कांग्रेस और राजद की ओर है। पिछले दो चुनाव में यहां कांग्र्रेस और वीआइपी उम्मीदवार महागठबंधन की तरफ से उतर चुके हैं। भाजपा उम्मीदवार की जीत का आंकड़ा दो लाख से बढ़कर चार लाख हो गया है।

ऐसे में विपक्ष मजबूत उम्मीदवार को ही उतारना चाहेगा। दूसरी ओर राजद जिस तरह से कांग्रेस को दरकिनार कर अपने उम्मीदवार उतारता जा रहा है, ऐेसे में मुजफ्फरपुर सीट पर विपक्ष की उम्मीदवारी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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